भाजपा से सत्ता न छिने, इसके लिए वे साम्प्रदायिक उन्माद के भावनात्मक मुद्दों को सत्ता बल व चंद पूंजीपतियों के काले धन के प्रयोग से हवा दे रहे है : विद्रोही मोदी-भाजपा-संघ के पास विगत 9 सालों में किये जनहित व विकास कार्य बखान करने के लिए शून्य बटा सन्नाटा है : विद्रोही 13 सितम्बर 2023 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि इंडिया गठबंधन की लगातार हो रही मजबूती से मोदी-भाजपा-संघ बुरी तरह से डर व घबरा गए है। विद्रोही ने कहा कि इंडिया गठबंधन बनने के बाद मोदी जी को साफ दिख रहा है कि अब दिल्ली से झोला उठाकर चलने का समय आ गया है, लेकिन विगत 9 सालों से सत्ता का आनंद उठा रहे मोदीजी व संघ सत्ता को किसी भी तरह बरकरार रखकर अपनी सत्ता लिप्सा को शांत करना चाहते है। भाजपा से सत्ता न छिने, इसके लिए वे साम्प्रदायिक उन्माद के भावनात्मक मुद्दों को सत्ता बल व चंद पूंजीपतियों के काले धन के प्रयोग से हवा दे रहे है। मोदी-भाजपा-संघ के पास विगत 9 सालों में किये जनहित व विकास कार्य बखान करने के लिए शून्य बटा सन्नाटा है। मोदीजी ने वर्ष 2014 व 2019 लोकसभा चुनावों में जनता से जितने भी वादे किये थे, उनको पूरा करना तो दूर की बात, मोदी-भाजपा ने उन वादों से यूटर्न लेकर अधिकांश को जुमला बता दिया। विद्रोही ने कहा कि विगत 9 सालों में मोदी-भाजपा ने सत्ता दुरूपयोग से आमजनों की जेब काटकर चंद पूंजीपतियों व भाजपा-संघ की तिजौरियां भरने के सिवाय कुछ नही किया। जिस तरह देश में महंगाई, बेरोजगारी, आर्थिक बदहाली, गरीबी बढ़ रही है, उसके चलते आमजनों का ना केवल मोदी-भाजपा सरकार से मोह भंग हो चुका है अपितु जनता में मोदी-भाजपा के प्रति भारी रोष भी है जो वोट की चोट से निकलना तय है। विद्रोही ने कहा कि अपनी गिरती साख से घबराकर मोदीजी साम्प्रदायिक उन्माद, नफरत, बटवारे की राजनीति के लिए अब सनातन धर्म, इंडिया बनाम भारत जैसे अनर्गल मुद्दों को सत्ता बल पर उछालकर एकबार फिर मतदाताओं को भावनात्मक रूप से ठगकर वोट हडपने की रणनीति बना रहे है जो बताता है कि भाजपा भी मान चुकी है कि आने वाला समय कांग्रेस व इंडिया गठबंधन का है और जनता अब भाजपा को कोई भाव नही देने वाली। Post navigation नकारा एचपीएससी को तुरंत भंग करे गठबंधन सरकार : कुमारी सैलजा सनातन के विरोध पर सुरजेवाला, हुड्डा, शैलजा, आदि कांग्रेसी नेताओं की चुप्पी सवाल खड़ा करती है :- धनखड़