प्रदेश सरकार भी नहीं चाहती कि निष्पक्ष हों अफसरों की भर्तियां
 चहेतों को भर्ती करने के लिए सरकार के इशारे पर बार-बार बदले जाते हैं नियम

चंडीगढ़, 12 सितंबर। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं हरियाणा कांग्रेस कमेटी की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार नहीं चाहती कि प्रदेश में क्लास-वन व टू अफसरों की भर्तियां निष्पक्ष हों। इसलिए चहेतों को एडजस्ट करने के लिए बार-बार भर्तियां के नियम बदले जाते हैं। जिससे भर्तियां कोर्ट में अटक जाती हैं ऐसे में पढ़े-लिखे युवा अफसर बनने से वंचित रह जाते हैं। ऐसे में नकारा हो चुके हरियाणा लोक सेवा आयोग (एचपीएससी) को तुरंत प्रभाव से भंग कर देना चाहिए।

मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि कितना बड़ा दुर्भाग्य है कि प्रदेश में क्लास-1 व 2 के 32 प्रतिशत पद खाली पड़े हैं। स्वीकृत पद 68714 में से 21951 खाली पड़े हैं। पिछले साढ़े 6 साल के दौरान सिर्फ 13990 पदों को भरने के लिए विज्ञापन जारी किए गए, लेकिन इनमें से सिर्फ 4376 पदों पर ही भर्ती की जा सकी है। जबकि, एचपीएससी इस अवधि के दौरान 155 करोड़ रुपये खर्च कर चुका है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एचपीएससी पर कोर्ट के अंदर 473 केस चल रहे हैं, जिनमें से 70 प्रतिशत केस 2018 के बाद की भर्तियों को लेकर हैं। इनमें नॉन एचसीएस से आईएएस, एचसीएस, पीजीटी, एडीओ, डीडीए, एटीपी, वेटरनरी सर्जन, असिस्टेंट प्रोफेसर, असिस्टेंट इंजीनियर, डिप्टी डायरेक्टर हॉर्टिकल्चर समेत अनेक भर्तियां शामिल है। ये भर्तियां विज्ञापन जारी होने के बाद नियम बदलने, पुरानी भर्तियों का पैटर्न बदलने, भर्ती परीक्षा लेने के बाद भी भर्ती नियम में बदलाव करने, प्रश्न पत्र से हिंदी मीडियम हटाने के कारण अटकी हुई हैं।

कुमारी सैलजा ने कहा कि एचपीएससी अपने गलत कारनामों के लिए अरसे से सुर्खियों में बना हुआ है। कभी इनकी भर्तियों को हाई कोर्ट या तो रद्द कर देता है या फिर स्टे कर देता है। कभी बाहरियों को नौकरियां बांटने के मामले सामने आते हैं तो कभी भर्तियों की एवज में नोटों से भरे सूटकेस मिलने पर चर्चाओं में आता है। इसके अलावा भर्ती परीक्षा में प्रश्नों का दोहराव भी सामने आ चुका है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जो आयोग न तो निष्पक्ष भर्ती कर सकता है और न ही खाली पड़े पदों को भर सकता है, तो फिर उसे भंग करने में ही भलाई है। आयोग के चेयरमैन और सदस्यों को अब तुरंत प्रभाव से हटाते हुए नए सिरे से आयोग का गठन करना चाहिए।

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