वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

हिसार 8 सितंबर : विश्व हिन्दू महासंघ भारत के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं दिल्ली में स्थित कालका मंदिर पीठाधीश्वर गुरुदेव सुरेंद्रनाथ जी अवधूत दिशा निर्देशानुसार विश्व हिन्दू महासंघ भारत के राष्ट्रीय सचिव हरीश वर्मा ने पाटौदी (गुड़गांव) में स्थित आश्रम हरी मंदिर के महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव जी महाराज को विश्व हिन्दू महासंघ में राष्ट्रीय मार्गदर्शक मंडल में मनोनन किया है।

विश्व हिन्दू महासंघ भारत के राष्ट्रीय सचिव हरीश वर्मा ने पाटौदी (गुड़गांव) में स्थित आश्रम हरी मंदिर में पहुंच कर महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव जी से शिष्टाचार भेंट की व हिंदुत्व व सनातन धर्म विस्तार से चर्चा की। इस मौके पर महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव महाराज जी ने विश्व हिन्दू महासंघ संगठन की प्रशंसा करते हुए कहा कि संगठन देश में हिन्दू धर्म के प्रचार- प्रसार व उसकी रक्षा की दिशा में अपनी अहम भूमिका अदा कर रहा है। उन्होंने कहा कि विश्व हिन्दू महासंघ ने मुझे जो जिम्मेदारी सोंपी है व उसे जिम्मेदारी को पूरी निष्ठा से निभाएंगे। इस के अलावा महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव महाराज जी ने कहा कि सबसे प्राचीन धर्मों में हमारा हिन्दू धर्म है। इस धर्म का इतिहास हजारों साल पुराना है। पड़ौसी देश पाकिस्तान, नेपाल व चीन तक में सिन्धु घाटी सभ्यता एवं हिन्दू धर्म के कई चिन्ह एवं प्रमाण मौजूद हैं। हिन्दू धर्म सनातन धर्म है जिसका मतलब होता है सदा बना रहने वाला। हमारे ऋषि-मुनियों ने हजारों वर्ष पहले इस प्रकार की गणनाएं कर दी थी जो आज के विज्ञान के लिए आश्चर्य का विषय है। उन्होंने ऐसी प्रणाली को विकसित कर लिया था जिससे वे गृहों की चाल, दशा व अन्य खगोलीय घटनाएं, भूत, वर्तमान, भविष्य तक को स्पष्ट एवं सटीक बता देते थे। दुनिया भर के अनेक बुद्धिजीवियों ने भारत की सभ्यता, संस्कृति, धर्म का वैज्ञानिक आधार मानते हुए इसको स्वीकार किया है। हिन्दू धर्म की महानता के प्रचार-प्रसार में हरीश वर्मा विश्व हिन्दू महासंघ के माध्यम से जो कार्य कर रहे हैं वह सराहनीय है।

इस मौके पर विश्व हिन्दू महासंघ के राष्ट्रीय सचिव हरीश वर्मा ने महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव महाराज जी को आश्वासित करते हुए कहा कि व देश के महान सन्तों के सानिध्य में रह कर अपनी टीम का प्रदेश स्तर पर गठन कर के सनातन धर्म का अत्यधिक प्रचार-प्रसार करते रहेंगे।

इस मौके पर विश्व हिन्दू महासंघ भारत के कई सदस्य उपस्थित रहे।

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