भारत ही इंडिया है व इंडिया ही भारत है और संविधान में भी ‘इंडिया दैट इज़ भारत’ लिखा गया है, तो फिर वो कौन लोग हैं जो इंडिया लिखना और बोलना पसंद नही करते?

*6/9/2023 :- “ये मज़ेदार बात है कि भारत की सम्मानित राष्ट्रपति जी की ओर से G-20 के राष्ट्राध्यक्षों को जो निमंत्रण पत्र भेजा गया वो पूरा आमंत्रण अँग्रेजी में है, किंतु दिक्कत सिर्फ इंडिया शब्द से हुई जिसे हटाकर ‘प्रेजिडेंट ऑफ़ भारत’ किया गया, किंतु अंग्रेजों द्वारा दिए गए शब्द ‘प्रेजीजेंट’ और अंग्रेजी भाषा को नही बदला गया। कम से कम राष्ट्रपति ऑफ भारत ही कर देते ताकि हम सभी आपकी अंग्रेज गुलामी की मानसिकता से छुटकारा पाने की समझ के कायल तो हो जाते।” उक्त बातें हरियाणा कांग्रेस सोशल मीडिया की स्टेट कॉर्डिनेट सुनीता वर्मा ने प्रेस के नाम जारी विज्ञप्ति में कही। पूरे देश में ‘भारत बनाम इंडिया’ के मुद्दे पर छिड़ी बहस पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि इंडिया शब्द को गुलामी का प्रतीक मानने वाले बताएं कि अटल जी और आडवाणी जी ने ‘इंडिया साइनिंग’ का नारा दिया था, क्या वो ‘गुलाम’ थे? स्टार्टअप इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया, मेक इन इंडिया, खेलो इंडिया के नाम से अपनी नीतियां लागू करने वाली बीजेपी सरकार क्या पहले गुलाम सोच की थी जो इंडिया गठबंधन बनने के बाद उसका राष्ट्रवाद जाग गया?

महिला कांग्रेस नेत्री ने कहा कि दरअसल, इंडिया गठबंधन ने बीजेपी सरकार को बुरी तरह से हिला दिया है। लिहाज़ा बौखलाहट में इनके द्वारा नैरेटिव को बदलने की भयंकर कोशिश हो रही है। महिला सुरक्षा, बेरोजगारी, महंगाई, काला धन, चीन की भारतीय सीमा में घुसपैठ, आत्महत्या करते किसान, भ्रष्टाचार, बिकती राष्ट्रीय संपत्तियां, बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य, बढ़ती गरीबी तथा भुखमरी पर ये लोग बात करने के लिए तैयार नहीं। ये लोग सिर्फ अपनी दकियानुसी सोच को आम जनता पर थोपना चाहते हैं।

वर्मा ने कहा की भारतीय संविधान तथा ‘यूनियन ऑफ स्टेट’ व ‘इंडिया दैट इज भारत’ की बात करने वाले राहुल गाँधी जी ने जो पदयात्रा की उसका नाम रखा “भारत जोड़ो यात्रा” और विपक्षी दलों का गठबंधन बनाया तो उसका नाम इंडिया रख दिया। साथ ही उन्होंने नाम के साथ जो स्लोगन जारी किया उसमें दोनों शब्दों का इस्तेमाल कर लिया- “जुड़ेगा भारत, जीतेगा इंडिया”। ये है असली राष्ट्रवाद। लेकिन आज नफरत बांटने की राजनीति करने वाले चंद लोग देश को नाम, जाति, धर्म और भाषाओं के आधार पर बांटने का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि असल में इंडिया गठबंधन ने संघ और बीजेपी की भक्ति बदल दी, ये लोग कल तक हिंदुस्तान की मांग कर रहे थे, अब भारत तक सीमित हो गए हैं। ये है इंडिया गठबंधन की ताकत। पहले जिन्हें कभी तिरंगा से नफरत थी उन्हें आज इंडिया से नफरत हो गई है।

सुनीता वर्मा ने कहा कि भारत नाम तो इस देश का पूर्व काल में कई युगों से है। इसे बदलने की आवश्यकता नहीं है। दो भाषाओं का ये एक ही शब्द है, इंडिया का मतलब ही भारत है और भारत का मतलब ही इंडिया है। उन्होंने कहा कि जियो की व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी से निकले उन अंधभक्तों को बता देती दूं जो ये सोचते हैं की इंडिया शब्द अंग्रेजों की देन है जो हमें गुलाम मानसिकता का अहसास कराता है तो वो ये जान लें कि सिंधु घाटी सभ्यता अर्थात इंडस वैली जो हमारी गौरवमयी तथा समृद्ध सभ्यता, संस्कृति और विरासत थी, उस ग्रीक भाषा के इंडस से ही इंडिया शब्द बना है जिसे बाद में बाबा साहेब आंबेडकर ने संविधान में जोड़ा।

संविधान विरोधी सरकार ये जान ले कि बाबा साहेब के दिए इस नाम को यों खत्म होने नही दिया जाएगा। अगर नाम बदलने को ही मास्टरस्ट्रोक समझते हो तो ये जानलो गवर्नमेंट ऑफ इंडिया का नाम पहले बदलना पडेगा, साथ ही भारतीय मुद्रा से, इंडिया गेट से, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, आईआईटी, आईआईएम, इसरो, एम्स तथा बीजेपी के बड़े नेताओं के ट्विटर हैंडल से और देश के राष्ट्रीय प्रतीक चिन्हों से भी ये इंडिया शब्द हटाना पड़ेगा लेकिन क्या लोगों की जुबान से इसे हटा पाओगे? इसके साथ ही इन्हें ये भी जानलेना चाहिए की हिंदू शब्द अरब मुसलमानों का तथा शाह शब्द मुगलों का दिया हुआ नाम है।

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