कभी मॉस्क, कभी दवा तो कभी ऑक्सीमीटर खरीद में सामने आ रहे हैं घोटाले
 आयोग बनाकर कराई जाए जांच, स्वतंत्र आयोग के बिना जांच संभव नहीं
125 रुपये वाला एन-95 मास्क  313 रुपये प्रति पीस के हिसाब खरीदा था

चंडीगढ़, 05 सितंबर।  अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं हरियाणा कांग्रेस की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा कि कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान प्रदेश में जमकर खरीद घोटाले किए गए। कभी मॉस्क तो कभी दवा और कभी ऑक्सीमीटर की खरीद के नाम पर घोटाले को अंजाम दिया गया। इन घोटालेबाजों के खिलाफ आज तक किसी भी तरह की जांच नहीं की गई क्योंकि, भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार का घोटाले में संलिप्त लोगों को पूरा आशीर्वाद रहा है। इसलिए पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के जस्टिस की अध्यक्षता में एक स्वतंत्र आयोग बनाकर इन तमाम घोटालों की जांच कराई जानी चाहिए क्योंकि सरकार ने अपने स्तर पर कमेटी बनाकर आज तक जो भी जांच करवाई है उसे अंजाम तक नहीं पहुंचने दिया और न ही किसी जांच को सार्वजनिक किया गया है। शराब घोटाले सहित अनेक घोटालों की जांच रिपोर्ट सरकार की अलमारी में बंद है उन्हें सार्वजनिक करने में सरकार पीछे क्यों हट रही है।

मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि ताजा घोटाला खानपुर कलां स्थित भगत फूल सिंह राजकीय महिला मेडिकल कॉलेज में सामने आया है। एक आरटीआई में मिले जवाब के अनुसार हॉरपिन इंजेक्शन और एन 95 मास्क सरकार द्वारा निर्धारित दरों के मुकाबले मार्केट से कहीं अधिक दाम पर खरीदे गए। हार पिन के इंजेक्शन का सरकार ने दाम 16 रुपये प्रति इंजेक्शन तय किया हुआ था, लेकिन इसे 263 रुपये में खरीदा गया। एन 95 मास्क के दाम 125 रुपये निर्धारित किए हुए थे, लेकिन इनकी खरीद 313 रुपये प्रति पीस के हिसाब से की गई। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इससे पहले भिवानी स्वास्थ्य विभाग द्वारा ऑक्सीमीटर की खरीद का घोटाला सामने आ चुका है। इसमें 625 ऑक्सीमीटर की खरीद 1190 रुपये प्रति पीस के हिसाब  से की गई, जबकि उसी दौरान डीसी भिवानी ने 290 रुपये प्रति पीस की दर से एक हजार ऑक्सीमीटर की खरीद की थी। इससे साफ है कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने खरीद के नाम पर फंड की बंदरबांट की। रोहतक के पंडित भगवत दयाल शर्मा पीजीआईएमएस और झज्जर के नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट द्वारा कोरोना काल में किया गया इंजेक्शन खरीद घोटाला सामने आया था।

उन्होंने कहा है कि महामारी कोरोना के खतरे के बीच प्रदेश सरकार ने कोरोनिल किट खरीद घोटाला किया। इसमें बिना कोई दवा खरीदें ही अपने चहेते कमर्शियल बाबा रामदेव की कंपनी को 02 करोड़ 72 लाख रुपये का भुगतान कोरोना रिलीफ फंड से कर दिया गया। जबकि इसकी एवज में सरकार को कोई किट नहीं मिली। वहीं, पीजीआईएमएस रोहतक ने कितनी ही दवाएं कोरोना के नाम पर महंगे दाम पर खरीदी और इनका वितरण तक नहीं किया गया। बाद में ये स्टाक में ही एक्सपायर हो गई। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कोरोना के दौरान रेमडेसिवीर, एटोपोसाइड, मोनोक्लोनल एंटी बॉडीज आदि इंजेक्शन जरूरतमंदों को मिले नहीं, लोग भटकते रहे और लोगों को अपने मरीजों की जान बचाने के लिए बाजार में कई गुना रेट पर खरीदने पड़े। इधर, अकेले पीजीआई रोहतक में 15 लाख से अधिक के ये टीके एक्सपायर हो गए। जबकि, जबकि इनको लेकर प्रदेश में  मारामारी मची हुई थी, जबकि  ये स्टॉक में आ चुके थे। पीजीआई रोहतक ने एन-95 मास्क और पीपीई किट की खरीदारी में भी बड़ा घोटाला किया। एक मास्क 280 रुपये का खरीदा गया। यह करोड़ों रुपये का घोटाला रहा। कुमारी सैलजा ने कहा कि कोरोना को आपदा में अवसर के तौर पर देखा गया। इसलिए उस समय स्वास्थ्य विभाग में हुई तमाम खरीद की जांच स्वतंत्र आयोग बनाकर करवानी चाहिए ताकि, दोषियों को सबक सिखाया जा सके।