
चंडीगढ़, 30 अगस्त – भाजपा प्रवक्ता तथा हरियाणा सरकार के मीडिया सचिव प्रवीण आत्रेय ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री भुपेंद्र सिंह हुड्डा द्वारा नूंह दंगों की ज्यूडिशियल इंक्वायरी की मांग न केवल जनता का ध्यान भटकाने प्रयास है अपितु जांच आगे बढऩे से कांग्रेस की परेशानी भी बढऩे लगी है। कांग्रेस विधायक मामन ख़ान द्वारा अपने समर्थकों को सोशल मीडिया के जरिए उकसाने का प्रयास, दंगों से दो दिन पहले तक की लोकेशन, फ़ोन के जरिए ऐसे लोगों के सम्पर्क में रहना जिन पर दंगों में शामिल होने के आरोप है। इससे भी अधिक कांग्रेस का इतिहास । यह सभी तथ्य कांग्रेस पार्टी पर शक पैदा करने के लिए प्रयाप्त है। शायद इसीलिए भुपेंद्र सिंह हुड्डा की परेशान बढ़ रही हैं। इस कारण भुपेंद्र सिंह हुड्डा हरियाणा पुलिस की क्षमताओं पर सवाल खड़े करने लगे हैं।
प्रवीण आत्रेय ने कहा कि प्रेसवार्ता में भुपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि मुख्यमंत्री बताएं साजिश किसने रचीं थी। अपने सवाल का जवाब जानने के लिए भुपेंद्र सिंह हुड्डा को जांच पूरी होने का इंतजार करना चाहिए। जल्द ही साजिश रचने वालों के नाम और चेहरे सामने होंगे।
प्रवीण आत्रेय ने कहा कि प्रेसवार्ता के जरिए भुपेंद्र सिंह हुड्डा जैसे सीनियर नेता को झूठ नहीं बोलना चाहिए। परिवार पहचान पत्र पर विधानसभा में चर्चा से कांग्रेस भाग गई। मुख्यमंत्री मनोहर लाल जब कांग्रेस के सवालों का जवाब दे रहे थे उस वक्त कांग्रेस ने वाक आउट कर दिया। तो चर्चा से भागा कौन ?
प्रवीण आत्रेय ने कहा कि भुपेंद्र सिंह हुड्डा ने प्रेसवार्ता में एस पी आई ( सामाजिक प्रगति सूचकांक) का हवाला देकर स्वयं ही हरियाणा को सबसे असुरक्षित राज्य घोषित कर दिया। जबकि सच्चाई इससे उलट है।भुपेंद्र सिंह हुड्डा द्वारा ऐसा स्तरहीन और तथ्यहीन तर्क हास्यास्पद है इससे एक बात पूरी तरह स्थापित हो गई कि या तो उन्हें एसपीआई की जानकारी नहीं या कांग्रेस पार्टी मनोहर लाल का विरोध करते करते हरियाणा के विरोध पर आ गई है।
प्रवीण आत्रेय ने बताया कि एसपीआई एक व्यापक उपकरण है जो राष्ट्रीय और उप-राष्ट्रीय स्तर पर किसी देश की सामाजिक प्रगति के समग्र माप के रूप में काम कर सकता है। सूचकांक सामाजिक प्रगति के तीन महत्वपूर्ण आयामों – बुनियादी मानवीय आवश्यकताएं, भलाई की नींव और अवसर – में 12 घटकों के आधार पर राज्यों और जिलों का आकलन करता है । सूचकांक एक व्यापक ढांचे का उपयोग करता है जिसमें राज्य स्तर पर 89 संकेतक और जिला स्तर पर 49 संकेतक शामिल हैं।बुनियादी मानव आवश्यकताएँ जैसे पोषण और बुनियादी चिकित्सा देखभाल, जल और स्वच्छता, सुरक्षा और आश्रय के मामले में राज्यों और जिलों के प्रदर्शन का आकलन करती हैं। हरियाणा का प्रदर्शन सामाजिक प्रगति सूचकांक में राजस्थान, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, मध्यप्रदेश, तेलंगाना जैसे अन्य बड़े राज्यों से कहीं बेहतर था।