प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने की थी स्वामित्व योजना की शुरुआत
सरकार ने प्रदेश को लाल डोरा मुक्त किया
हमने प्रॉपर्टी की ई रजिस्ट्रेशन करना शुरू किया
सरकार ने अंग्रेजों के समय से चले आ रहे कईं कानूनों से आजादी दिलाई
पहली बार मकान की रजिस्ट्री मिलने पर लोगों में खुशी की लहर
रजिस्ट्री की लागत मात्र 183 रुपये 

चंडीगढ़, 26 अगस्त- हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि आज प्रदेश के सभी गांवों को लाल डोरा मुक्त किया जा चुका है। प्रदेश में अब तक 6,260 गांवों में 25 लाख 17 हजार 266 प्रॉपर्टी कार्डों को अंतिम रूप दिया गया है। इनमें से 24 लाख 51 हजार 613 कार्ड मालिकों को दिए भी जा चुके हैं और उनके परिवार पहचान पत्रों से जोड़े जा चुके हैं। यही नहीं अब तक 3,613 गांवों की 4 लाख 62 हजार सम्पत्तियों की रजिस्ट्री की जा चुकी है।       

 मुख्यमंत्री ने यह जानकारी आज यहां सीएम की विशेष चर्चा कार्यक्रम के दौरान ऑडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना के लाभार्थियों से सीधा संवाद करने के दौरान दी। एक घंटे के इस कार्यक्रम के तहत 13334 लोग जुड़े।

  श्री मनोहर लाल ने कहा कि हमने वर्ष 2019 के विधानसभा चुनावों के दौरान अपने चुनावी घोषणा पत्र में गाँवों में लाल डोरे के अन्दर की प्रापर्टी का मालिकाना हक प्रॉपर्टी रिकॉर्ड में दर्ज कराने का वायदा किया था। हमने 27 अक्तूबर 2019 को जनसेवा का दायित्व पुन: संभाला और इसके 3 मास बाद ही 25 दिसम्बर को इस वायदे को पूरा कर दिया। इस तरह लाल डोरा मुक्त गांव करना हमारी वचनपूर्ति का भी प्रतीक है। राज्य सरकार ने गांवों को लाल डोरा मुक्त करने की योजना का शुभारंभ 25 दिसम्बर, 2019 को सुशासन दिवस पर किया था। इसके एक माह बाद 26 जनवरी, 2020 को गणतंत्र दिवस पर जिला करनाल का गांव सिरसी पहला लाल डोरा मुक्त गांव बना।       

 मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा प्रदेश के लिए यह बड़े गर्व और गौरव की बात है कि हमारी इस योजना को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 24 अप्रैल, 2020 को पूरे देश में प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना के नाम से लागू किया। उस दिन प्रधानमंत्री के कर कमलों से पहली रजिस्ट्री प्राप्त करने का सौभाग्य हरियाणा के सिरसी गावं के ही नागरिक को मिला था।       

 श्री मनोहर लाल ने कहा कि सरकार ने अंग्रेजों के समय से चले आ रहे कानूनों को खत्म करने का अभियान चलाया है, जिसमें से गांव को लाल डोरा मुक्त करना भी एक है। इसके तहत हमें कई पुराने कानूनों से आजादी मिली है।

पहली बार मकान की रजिस्ट्री मिलने पर लोगों में खुशी की लहर, रजिस्ट्री की लागत मात्र 183 रुपये        

 मुख्यमंत्री ने संवाद के दौरान रजिस्ट्री पाने वाले जिन 13 लोगों से बातचीत की उनमें भिवानी से श्री रंजीत, फरीदाबाद से श्री दीप चंद, गुरुग्राम से श्री सतीश, अम्बाला से श्री चमन लाल शर्मा, फतेहाबाद से श्री जगत पाल, यमुनानगर से श्री राजेश, हिसार से श्री बलवान, सोनीपत से श्री बिजेन्द्र कुमार, झज्जर से श्री नरेन्द्र कुमार, महेन्द्रगढ़ से श्री रण सिंह, पलवल से श्री सिंहराज, कैथल से श्री मलकीत सिंह और पानीपत से श्री अनिल शामिल हैं।        

रजिस्ट्री मिलने पर लोगों में खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। उत्साहित लोगों में से कोई कह रहा था कि आज हम सही मायने में गांव के वासिंदे बने हैं, क्योंकि अब तक तो हम अपने बुर्जुगों के नाम कहे जाने वाली जमीन पर बैठे थे और अब मात्र 183 रुपये में रजिस्ट्री पाकर हम सही मायने में जमीन के मालिक बने हैं।        

इस सीएम की विशेष चर्चा कार्यक्रम की सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह रहता है कि सम्बंधित जिले की उपायुक्त भी इस संवाद के दौरान ऑनलाइन जुड़ते हैं और स्वयं मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल बातचीत के बाद अधिकारियों को लोगों द्वारा रखी गई समस्याओं का शीघ्र-अतिशीघ्र हल करने के निर्देश देते हैं।         

उन्होंने कहा कि लाल डोरे के अंतर्गत गांव में किसी प्रकार की संपत्ति का राजस्व रिकार्ड नहीं हुआ करता। मकान या प्लॉट की खरीद व बिक्री के समय रजिस्ट्री नहीं होती। ऐसी संपत्ति पर बैंक से ऋण भी नहीं मिलता। मालिकाना हक पर भी झगड़े होते रहते थे। इसलिए प्रदेशभर के ग्रामीण लंबे समय से गांवों को लाल डोरा मुक्त करने की मांग करते आ रहे थे। हमने गांवों के लोगों की इन समस्याओं को समझा और इनको समाप्त करने के लिए गांवों को लाल डोरा मुक्त करने का बीड़ा उठाया। आज प्रदेश के सभी गांवों को लाल डोरा मुक्त किया जा चुका है।       

 उन्होंने कहा कि इस काम के लिए हर गांव में ग्रामीण और आबादीदेह क्षेत्र का फील्ड वेरिफिकेशन का कार्य किया गया और लाल डोरा के भीतर की हर सम्पत्ति का मानचित्रण किया गया। इसके बाद प्रत्येक सम्पत्ति को विशिष्ट पहचान दी गई है। अब लाल डोरे के अंदर की भूमि व संपत्ति का रिकॉर्ड सही रहेगा, जिससे मालिकाना हक के सम्बन्ध में विवाद भी नहीं होगा। कोई भी व्यक्ति गली या पंचायत की अन्य जमीन को दबा नहीं पाएगा।

जमीन की फर्द ऑनलाइन        

श्री मनोहर लाल ने कहा कि गांवों के लाल डोरे को खत्म करने के अलावा भी हमने जमीन के रिकार्ड के आधुनिकीकरण के लिए कई नए कदम उठाए हैं। हाल ही में राज्य सरकार ने जमीन की फर्द को भी ऑनलाइन किया है। अब फर्द लेने के लिए किसी को भी कार्यालयों के चक्कर नहीं काटने पड़ते।

रिमांड को खत्म किया        

उन्होंने कहा कि हमने भूमि विवादों के शीघ्र निपटान के लिए रिमांड को खत्म किया है। यह प्रथा विवादों के शीघ्र निपटान में बड़ी बाधा थी और भ्रष्टाचार की भी जननी थी। इसके चलते भूमि विवाद पर कई पीढिय़ों तक फैसला नहीं होता था। नायब तहसीलदार से मामला तहसीलदार के पास जाता था। तहसीलदार से जिला राजस्व अधिकारी के पास जाता था। उसके बाद कमिश्नर के पास जाता था, फिर फाइनेंशल कमीश्नर के पास जाता था। कई मामलों में उच्च अधिकारी अपने स्तर पर निर्णय न करके कुछ ऑब्जर्वेशन लगाकर मामले को नीचे के अधिकारियों को भेज देते थे। मामला फिर पहले वाली प्रक्रिया से गुजरते हुए उसी उच्च अधिकारी तक पहुंचता था। हमने रिमांड की इस प्रथा को खत्म किया है, जिससे भूमि विवाद को सुलझाने में समय की बचत होती है।

ई-पंजीकरण प्रणाली        

मुख्यमंत्री ने कहा कि लोगों को रजिस्ट्री करवाने अथवा तहसील के अन्य कार्यों के लिए इंतजार न करना पड़े तथा कार्यालयों के बार-बार चक्कर न काटने पड़ें, यह सुनिश्चित करने के लिए हमने ई-पंजीकरण प्रणाली शुरू की है। इसके अंतर्गत सम्पत्ति की रजिस्ट्री के लिए कोई भी व्यक्ति पहले ही अपॉइंटमेंट ले सकता है। ई रजिस्ट्रेशन प्रणाली राज्य की सभी तहसीलों व उप-तहसीलों में 3 फरवरी, 2015 से शुरू की गई। इस प्रणाली के तहत यदि आवेदक चाहे तो अपनी रजिस्ट्री तीन दिन के अन्दर डाक द्वारा प्राप्त कर सकता है। डाक खर्च आवेदक को जमा करवाना होगा। पूरे प्रदेश में ई-स्टैम्पिंग प्रणाली भी मार्च, 2017 से लागू की जा चुकी है नवम्बर 2017 से सभी तहसीलों में ऑनलाइन पैन सत्यापन सेवा भी शुरू की गई है। इसी प्रकार सदियों पुराने राजस्व रिकार्ड को सुरक्षित रखने के लिए उसका डिजिटलीकरण किया गया है तथा रिकार्ड के संरक्षण के लिए सभी जिलों में आधुनिक रिकार्ड रूम बनाये गये हैं।

ई-भूमि वैब पोर्टल        

श्री मनोहर लाल ने कहा कि राज्य सरकार ने सार्वजनिक विकास परियोजनाओं के लिए जमीनों के जबरन अधिग्रहण की प्रथा को समाप्त किया है। इस दिशा में ई-भूमि वैब पोर्टल शुरू किया गया है, जिस पर किसान विकास परियोजनाओं के लिए अपनी जमीन स्वेच्छा से दे सकता है। इसका उद्देश्य राज्य में विकास परियोजनाओं के लिए स्थल निर्धारित करते समय निर्णय लेने में भू-मालिकों को शामिल करना है अब तक ई-भूमि वैब पोर्टल पर लगभग 10,000 किसानों ने अपनी लगभग 26 हजार एकड़ भूमि का पंजीकरण करवाया है।

ग्राम सचिवालय        

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में आई0टी0 युक्त च्ग्राम सचिवालयज् योजना के अंतर्गत अब तक 1856 ग्राम सचिवालयों की स्थापना की जा चुकी है। सभी विभागों के ग्राम स्तरीय अधिकारी / कर्मचारी इस सचिवालय में बैठते हैं ताकि लोगों के सभी सरकारी कार्य एक ही परिसर में हो सकें। इसी प्रकार, राज्य के 6188 गांवों में इंटरनेट कनैक्टिीविटी बढाने के लिए आप्टिकल फाइबर केवल बिछाई जा चुकी है और 5953 ग्राम पंचायतों में वाई-फाई हॉटस्पॉट लगाए जा चुके हैं।        

उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य गांवों में शहरों जैसी सुविधाएं विकसित करना है। इन सब सुविधाओं की जानकारी रखने और आगे के विकास की योजना बनाने के लिए हमने च्ग्राम दर्शनज् पोर्टल का 2 अक्तूबर, 2020 को शुभारम्भ किया है इस पोर्टल पर राज्य की 6197 ग्राम पंचायतों का संपूर्ण डाटा उपलब्ध है और हर गांव की पूर्ण हो चुकी विकास परियोजनाओं की जानकारी व पंचायत में करवाए जाने वाले आवश्यक कार्यों की सूची भी मौजूद है।       

 मुख्यमंत्री ने प्रदेश के गांवों के विकास में पढे-लिखे लोगों के विजन का लाभ उठाने के लिए हमने पढ़ी-लिखी पंचायतों का प्रावधान किया है। उन्होंने कहा कि हम ग्रामीणों की सम्पत्ति को सब प्रकार के विवादों से मुक्त करने और गांव की जरूरत के अनुसार अधिकतम विकास करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।        

इस अवसर पर मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव श्री डी.एस. ढेसी, राजस्व विभाग के वित्तायुक्त एवं अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री राजेश खुल्लर, विकास एवं पंचायत विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री अनिल मलिक, विभाग के महानिदेशक श्री डी.के.बेहरा, सूचना, लोक सम्पर्क, भाषा एवं संस्कृति विभाग के संयुक्त निदेशक (प्रशासन) श्री गौरव गुप्ता के अलावा अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे। 

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