23 तारीख, 23 वा वर्ष और 23 वे तीर्थंकर, जैन समाज के लिए भाग्यशाली

  23वें तीर्थंकर भगवान को 23 किलो का लड्डू किया जाएगा समर्पित           
 सकल जैन समाज हेली मंडी में मोक्ष कल्याण दिवस को लेकर उत्साह                 
 मोक्ष कल्याण दिवस पर हेली मंडी जैन मंदिर में होगा आयोजन

फतह सिंह उजाला                                       

पटौदी 22 अगस्त । 23 अगस्त बुधवार का दिन कल समस्त जैन समाज के द्वारा बहुत ही सौभाग्य शाली माना जा रहा है 23 तारीख और 23वें वर्ष में तीर्थंकर भगवान का मोक्ष कल्याण दिवस मनाया जाएगा। जैन समाज के प्रबुद्ध लोगों का कहना है कि ऐसी सौभाग्यशाली तिथि पर पार्श्वनाथ मोक्ष कल्याण के प्रतिमूर्ति तीर्थंकर भगवान की पूजा सहित आशीर्वाद प्राप्त करना अपने आप में सौभाग्य का बात है।  मोक्ष कल्याण दिवस की पूर्व संध्या पर विजय कुमार जैन ने बताया कि जैन ने कि भगवान पार्श्वनाथ जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर माने जाते हैं। इनका जन्म अरष्टिनेम के एक हजार वर्ष बाद इक्ष्वाकु वंश में पौष माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को हुआ था।

कमठ के द्वारा पंचाग्नि तप कर्म से नाग जलने की जो घटना हुई उससे भगवान पार्श्वनाथ को वैराग्य हुआ और वे प्रव्रजित हुए। भगवान पार्श्वनाथ क्षमा के प्रतीक और सामाजिक क्रांति के प्रणेता हैं। उन्होंने अहिंसा की व्याप्ति को व्यक्ति तक विस्तृत कर सामाजिक जीवन में प्रवेश दिया जो अभूतपूर्व क्रांति थी। उनका कहना था कि हर व्यक्ति के प्रति सहज करुणा और कल्याण की भावना रखें। जैन पुराणों के अनुसार भगवान पार्श्वनाथ को तीर्थंकर बनने के लिए पूरे नौ जन्म लेने पड़े थे।

पूर्व जन्म के संचित पुण्यों और दसवें जन्म के तप के फलतः ही वे 23वें तीर्थंकर बने। पुराणों के अनुसार पहले जन्म में वे मरुभूमि नामक ब्राह्मण बने। दूसरे जन्म में वज्रघोष नामक हाथी, तीसरे जन्म में स्वर्ग के देवता, चौथे जन्म में रश्मिवेग नामक राजा, पांचवें जन्म में देव बने, छठे जन्म में वज्रनाभि नामक चक्रवर्ती सम्राट, सातवें जन्म में देवता बने, आठवें जन्म में आनंद नामक राजा बने, नौवें जन्म में स्वर्ग के राजा इंद्र बनें। इसके बाद दसवें जन्म में तीर्थंकर बने। धर्मसभा को सम्बोधित डॉ. वरुण मुनि ने कहा कि भगवान पार्श्वनाथजी तीस वर्ष की आयु में ही गृह त्याग कर संन्यासी हो गए। 83 दिन तक कठोर तपस्या करने के बाद 84वें दिन कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति हुई। कहते हैं भगवान महावीर के माता पिता भी इन्हीं के अनुयायी थे। भगवान पार्श्वनाथ का प्रतीक चिह्न सर्प, चौत्यवृक्ष- धव, यक्ष- मातंग, यक्षिणी- कुष्माडी हैं। भगवान पार्श्वनाथ ने चार गणों की स्थापना की। प्रत्येक गण एक गणधर के तहत कार्य करता था। उनके गणधरों की संख्या 10 थी। आर्यदत्त स्वामी इनके प्रथम गणधर थे। इस अवसर पर संघ मंत्री महावीर जी लोढा ने कहा कि हमारा अहोभाव है कि आज भगवान पार्श्वनाथ जन्म कल्याणक प्रसंग पर सामुहिक आराधना हुई। इसी मोके पर देवेंद्र हैप्पी जैन ने बताया कि चीज में शिव शंकर भगवान पारसनाथ मोक्ष कल्याण दिवस के मौके पर उनके द्वारा 23 किलो का लड्डू भगवान तीर्थंकर को समर्पित किया जाएगा इस मौके पर जैन समाज के प्रधान रिंकू जैन दिनेश जैन पंकज जैन बुलबुल जैन मंजू जैन मधु जैन मंजू जैन शोभा जैन शिवानी जैन प्रीति जैन व अन्य लोग भी मौजूद रहे

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