आज हरियाणा के मशहूर सांगी सूरज भान (बदी) द्वारा निर्देशित तथा महाशय दयाचंद मायना द्वारा रचित “नेता जी सुभाष चंद्र बोस सांग का किया गया मंचन
हरियाणा के कला एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग द्वारा किया जा रहा है आयोजन

चंडीगढ़, 22 अगस्त –आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत मेरी माटी मेरा अभियान के तहत कला एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग, हरियाणा द्वारा टैगोर थियेटर, सेक्टर-18, चंडीगढ़ में किया जा रहा 3 दिवसीय सांग उत्सव- 2023 देशभक्ति के रंग में रंगा नजर आ रहा है। 21 अगस्त से आरंभ हुए इस सांग उत्सव में अलग-अलग विधाओं के प्रतिष्ठित कलाकारों की प्रतिभा देखने को मिल रही है। आज 22 अगस्त को हरियाणा के मशहूर सांगी श्री सूरज भान (बदी) द्वारा निर्देशित तथा महाशय दयाचंद मायना द्वारा रचित “नेता जी सुभाष चंद्र बोस सांग का मंचन किया गया। लगभग 2 घंटे तक चले इस कार्यक्रम में कुल 14 कलाकारों ने नेता जी सुभाष चंद्र बोस पर देश भक्त शहीदों पर आधारित रागनी व सांग प्रस्तुत किया।

कला एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग के प्रवक्ता ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि सांग उत्सव- 2023 के दुसरे दिन का शुभारंभ गृह-1 विभाग के विशेष सचिव श्री महावीर कौशिक के कर कमलो द्वारा किया गया। इस सांग उत्सव-2023 के लिए प्रवेश बिलकुल निःशुल्क है।

प्रवक्ता ने बताया कि कला एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग, हरियाणा द्वारा कला और संस्कृति के नए आयाम स्थापित करते हुए भारतीय संस्कृति को नई पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभाई जा रही है। विभाग की ओर से विभिन्न आयोजनों में अलग-अलग विधाओं के प्रतिष्ठित कलाकारों की प्रतिभा का सम्मान तो किया ही जाता है, साथ ही उभरते कलाकारों को मंच प्रदान करते हुए सांस्कृतिक छटा बिखेरने में तत्पर रहता है। इस कड़ी में कला एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री राजेश खुल्लर और महानिदेशक डॉ अमित अग्रवाल के दिशा निर्देशों के अनुसार में आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत “मेरी माटी मेरा देश” अभियान के तहत सांग उत्सव- 2023 का आयोजन की पहल की गई है।

प्रवक्ता ने बताया कि आज का कार्यक्रम कला एवं सांस्कृतिक अधिकारी (थियेटर) श्रीमति तानिया जी.एस चौहान के नेतृत्व में आयोजित किया गया। “नेता जी सुभाष चंद्र बोस सांग के मंचन के दौरान उनकी जीवन की कथा को बताया गया कि “बंगाल प्रान्त के कटक शहर में पं० जानकी नाथ बोस रहते थे। 23 जनवरी, 1897 में शनिवार के दिन जानकी नाथ बोस के घर एक बच्चे ने जन्म लिया जिसका नाम सुभाष चंद्र बोस रखा गया और युवा होने पर लन्दन ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से डिग्री प्राप्त करके 1921 में वापस कलकत्ता आ गए। उन्होंने भारत का गुलाम रहना उचित न समझा और स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े कई जगह उत्तेजित भाषण देने से अंग्रजों की हिट लिस्ट में आ गए। जिसकी वजह से उन्हें अपने ही घर में नजरबंद कर दिया गया। एक रोज भारत माता सपने में आती है और सुभाष चंद्र को जगाती है और कहती है मुझे आजाद कराओ”।

सांग के मंचन के दौरान उपस्थित दर्शकों ने न केवल कलाकारों के अभिनय की सराहना की बल्कि विभाग के इस अनूठे प्रयास को भी प्रशंसनीय बताया। इस प्रकार के आयोजनों से न केवल हमारी प्राचीन संस्कृति को पहचान मिलती है बल्कि कलाकारों को अपनी कला के प्रदर्शन के लिए एक बेहतर मंच भी प्रदान होता है। इस प्रकार के कार्यक्रम देशभक्ति और एकता की पहचान बनते हैं।

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