हरियाणा विधान सभा अध्यक्ष ने राष्ट्रमंडल संसदीय संघ के 9 वें भारत क्षेत्र सम्मेलन को किया संबोधित। कहा – जन प्रतिनिधियों को अपनी भूमिका के प्रति रहना होगा सचेत, नए स्किल भी विकसित करें। कोर्ट से आम आदमी डरता है, कार्यपालिका के अधिकारी एक बार चयनित होते हैं, जनप्रतिनिधियों की हर 5 साल में परीक्षा। वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक राजस्थान उदयपुर, 22 अगस्त : हरियाणा विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने मंगलवार को राजस्थान के उदयपुर में राष्ट्रमंडल संसदीय संघ के 9 वें भारत क्षेत्र सम्मेलन को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने देशभर के पीठासीन अधिकारियों और सचिवों के सम्मुख लोकतान्त्रिक संस्थानों के माध्यम से राष्ट्र को सुदृढ़ करने में जन प्रतिनिधियों की भूमिका पर व्याख्यान दिया। इस 2 दिवसीय सम्मेलन में उपराष्ट्रपति जगदीप सिंह धनखड़, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, हरियाणा विधान सभा के उपाध्यक्ष रणबीर गंगवा, सचिव राजेंद्र कुमार नांदल भी शामिल रहे। इस मौके पर देशभर के पीठासीन अधिकारियों को संबोधित करते हुए ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि भारत न केवल दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, बल्कि यह विश्व का सर्वश्रेष्ठ लोकतंत्र भी है। लोकतंत्र की इस सफलता के पीछे मूल कारण यह है कि भारत की जड़ों में ही लोकतंत्र हैं। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र जनता का शासन है, जिसमें जनता भगवान के समान है। इसकी विशिष्टता यह है कि जनता किसी भी व्यक्ति को शासन की बागडोर सौंप सकती है। विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि जनप्रतिनिधियों को संविधान की मर्यादा में रहकर काम करना होता है। हमारा यह संविधान देश की आर्थिक, भौगोलिक, सामाजिक, भाषायी विविधिता को ध्यान में रखकर बनाया गया है। यहां पंचायत से लेकर संसद तक लोकतांत्रिक संस्थाओं की रचना की गई है। समय की जरूरत के अनुसार संविधान संशोधन भी हो रहे हैं।विस अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने व्याख्यान में संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर, सरदार वल्लभभाई पटेल, महात्मा गांधी और आचार्य चाणक्य के विचारों का उल्लेख करते हुए कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था मानव आकांक्षाओं का आईना है। इन आकांक्षाओं को संसद, राज्य विधानमंडलों और पंचायतों में जनता के प्रतिनिधियों के माध्यम से पूरा किया जाता है। उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था में जनप्रतिनिधि को एक साथ तीन भूमिकाओं को निभाना होता है। वह अपने निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधि, विधानमंडल का सदस्य और पार्टी कार्यकर्ता की तरह कार्य करता है। इन सभी भूमिकाओं में संतुलन जरूरी है।उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों को चुनाव आचार संहिता और दल बदल निरोधक कानूनों का गहराई से अध्ययन करना चाहिए तथा विधायी कामकाज में अपनी रूचि बढ़ानी चाहिए। समितियों की कार्यवाही में सहभागिता बढ़ाकर ही वे गरीब कल्याण और योजनाओं के क्रियान्वयन में प्रभावी भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने कहा कि लोगों का विश्वास जीतने के लिए उनके दुख-सुख में भागीदार होना चाहिए। हमें अपने राष्ट्रीय चिन्हों का सम्मान करना चाहिए। विस अध्यक्ष ने अपने व्याख्यान में लोकतंत्र के तीन स्तंभों विधान पालिका, न्याय पालिका और कार्य पालिका की जिम्मेदारियों और शक्तियों का भी विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने कहा कि आज आम आदमी कोर्ट के नाम से डरता है। न्याय प्रक्रिया को सरल और त्वरित करना होगा। उन्होंने कहा कि कार्यपालिका में अधिकारी एक बार ही परीक्षा पास करते हैं, लेकिन विधान पालिका में जनप्रतिनिधियों को हर 5 साल बाद जनता के सम्मुख अपनी जवाबदेही तय करनी होती है। उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा आलोचना के शिकार भी जनप्रतिनिधि ही होते हैं। उन्होंने कहा कि कुछ नेताओं के कारण समाज सभी जनप्रतिनिधियों के प्रति नकारात्मक नजरिया बना लेता है। ऐसे सभी जनप्रतिनिधियों को पूरी सावधानी के साथ कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों को नागरिकों के रोल मॉडल के रूप में भी कार्य करना चाहिए। सांप्रदायिक सौहार्द बनाने में भी जनप्रतिनिधियों की विशेष भूमिका रहनी चाहिए। समाज के सामने जब-जब भी ऐसी चुनौती आती है, तो इन्हें अपने संकीर्ण राजनीतिक व वोट बैंक संबंधी लाभों को दरकिरार कर समाज हित में सक्रिय होना चाहिए। इस दौरान उन्होंने कहा कि आधुनिक समय की मांग के अनुसार विधायकों को डिजीटल तकनीकों में पारंगत होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि हरियाणा विधान सभा में सदन की कार्यवाही पूरी तरह से पेपरलैस कर दी गई है। गत 26 मई को केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्रालय की ओर से हरियाणा विधान सभा को राष्ट्रीय ई-विधान एप्लीकेशन (नेवा) परियोजना को सबसे कम समय में सिरे चढ़ाने के लिए प्रशस्ति प्रमाण पत्र प्रदान किया गया है। उन्होंने कहा कि इससे विधान सभा में सलाना 7 से 8 करोड़ रुपये की बचत हुई है। उन्होंने पीठासीन अधिकारियों से आह्वान किया वे अधिक से अधिक संख्या में जनप्रतिनिधियों को सदन के प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियमों के अध्ययन के लिए प्रोत्साहित करें। उन्होंने जनप्रतिनिधियों से आग्रह किया कि वे अपने कार्यक्षेत्र की आवश्यकता के अनुसार अध्ययन की आदत विकसित करें। विधायी कामकाज से संबंधित सामग्री को समृद्ध बनवाना उनका नैतिक कर्तव्य भी और जिम्मेदारी भी। उन्होंने कहा कि इन नियमों में ऐसे कई महत्वपूर्ण उपकरण प्रदान किए गए हैं, जिनसे हम मतदाताओं की हितों की रक्षा के साथ अपने देश व प्रदेश के विकास में योगदान दे सकते हैं। इनमें प्रश्नकाल, ध्यानाकर्षण प्रस्ताव, अविश्वास प्रस्ताव, स्थगन प्रस्ताव, निजी सदस्यों के संकल्प और समितियों की कार्यप्रणाली प्रमुख है। जनप्रतिनिधि सदन के पटल पर सीधे तौर पर जनता के मुद्दे उठाते हैं। Post navigation कला रामचंद्रन संभालेंगी पंचकूला पुलिस मुख्यालय में प्रशासन, गुरुग्राम की पुलिस कमिश्नर कला रामचंद्रन को सीएम खट्टर ने क्यों हटाया 10 एचसीएस अधिकारियों के स्थानांतरण एवं नियुक्ति आदेश जारी