भाजपा-जजपा सरकार ने प्रदेश के 2.80 करोड़ लोगों को पोर्टलों के ऐसे जंजाल में फंसा दिया है कि जिससे चलते वह हर रोज अपनी रोजी-रोटी कमाने की बजाय पोर्टलों पर दर्ज अपने गलत ब्यौरों को ठीक करवाने सुबह से सांय तक जद्दोजहद करता रहता है : विद्रोही
जब प्रदेश में कोई भी वर्ग, क्षेत्र भाजपा-जजपा सरकार की कारगुजारियों से संतुष्ट नही है तो फिर खट्टर जी किस नये हरियाणा बनने का जुमला उछालकर अपना सत्ता अहंकार दिखा रहे है : विद्रोही

19 अगस्त 2023 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि भाजपा-जजपा सरकार से हरियाणा में कोई भी वर्ग खुश नही है। प्रदेश के हर वर्ग, क्षेत्र में सरकार की जनविरोधी नीतियों के चलते भारी विरोध होने पर भी मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर अपने आको मोदीजी के नये भारत बनने की तर्ज पर कह रहे है कि 2014 के बाद नया हरियाणा बन रहा है। विद्रोही ने कहा कि यह कैसा नया हरियाणा बन रहा है जहां बेकारी, गरीबी, नशाखोरी, महिला असुरक्षा बढ़ रही है। वहीं सरकारी, गैरसरकारी कर्मचारियों, व्यापारियों, किसानों, मजदूरों, छोटे दुकानदारों, कामगारों में सरकार के प्रति असंतोष, रोष बढ़ रहा है। जब प्रदेश में कोई भी वर्ग, क्षेत्र भाजपा-जजपा सरकार की कारगुजारियों से संतुष्ट नही है तो फिर खट्टर जी किस नये हरियाणा बनने का जुमला उछालकर अपना सत्ता अहंकार दिखा रहे है। हरियाणा की जनता तो लोकसभा, विधानसभा चुनाव 2024 का बेसब्री से इंतजार कर रही है जब वह वोट की चोट से सत्ता अहंकार में मदमस्त संघीयों को करारा सबक सिखाएगी। भाजपा-जजपा सरकार ने प्रदेश के 2.80 करोड़ लोगों को पोर्टलों के ऐसे जंजाल में फंसा दिया है कि जिससे चलते वह हर रोज अपनी रोजी-रोटी कमाने की बजाय पोर्टलों पर दर्ज अपने गलत ब्यौरों को ठीक करवाने सुबह से सांय तक जद्दोजहद करता रहता है। 

विद्रोही ने आरोप लगाया कि भाजपा-जजपा सरकार के खिलाफ सरकारी, अर्ध-सरकारी कर्मचारियों में इस कदर रोष है कि वे सरकारी कार्यालयों में आमजनों के काम करवाने की बजाय अपनी मांग को लेकर सरकार के खिलाफ सड़कों पर आंदोलन करते रहते है जिसके चलते आमजनों के आवश्यक सरकारी काम भी समय पर नही हो पा रहे। प्रदेश के विभिन्न विभागों के क्लर्क 42 दिन तक हडताल पर रहे और मांगे पूरी न होने पर निराश होकर बेमन से काम पर लौट तो गए लेकिन कर्मचारियों के मन में जो सरकार के खिलाफ रोष है, उससे उनका कार्य किस हद तक प्रभावित हो रहा है, यह बताना भी बेमानी है।

क्लर्क काम पर लौटे तो 12 दिन से आशा वर्कर हड़ताल पर है। तीन दिन के लिए हडताल शुरू करने वाली आशा वर्कर की हड़ताल को 12 दिन हो चुके है, सरकार उनसे वार्ता करने को तैयार नही है। इस महंगाई के दौर में आशा वर्कर 4 हजार रूपये मासिक मानदेय पर अपना घर कैसे चलायेे, यह सत्तारूढ़ संघी समझने को तैयार नही। कहने को आशा वर्कर पार्ट टाईम कर्मचारी है, पर जिस तरह सरकार की विभिन्न योजनाओं का भार आशा बहनों पर डाला हुआ है, उसके चलते वे पार्ट टाईम बजाय पूरे टाईम के लिए सरकार का काम करती रहती है। विद्रोही ने मांग की कि सरकार सत्ता अहंकार व हठधर्मिता छोडकर आशा बहनों से वार्ता करके उनकी समस्याओं व मांगों का समाधान करे। वहीं प्रदेश के विभिन्न विभागों के सरकारी कर्मचारियों में जो असंतोष है, उसको भी चिंगारी बनने से रोकने के लिए आवश्यक है कि सरकार सभी वर्गो के कर्मचारियों को विश्वास में लेकर उनकी समस्याओं का संतोषजनक समाधान निकाले। 

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