1978 में इन्दिरा गांधी की सदस्यता भी छीनी गई थी, और फिर वे कैसे धूम धड़ाके से वापस आईं यह तो सबको मालूम ही है।

4/8/2023 :- ‘ माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने राहुल गांधी जी की सज़ा पर रोक लगाकर भारतीय लोकतंत्र और न्यायपालिका में लोगों की आस्था को बढ़ाया है। इस फैसले से भाजपा की नकारात्मक राजनीति का अहंकारी ध्वज आज उनके नैतिक अवसान के शोक में झुक जाना चाहिए।’ उक्त बातें हरियाणा कांग्रेस सोशल मीडिया की स्टेट कॉर्डिनेटर सुनीता वर्मा ने मोदी सरनेम वाले मानहानि मामले में आज उच्चतम न्यायालय द्वारा निचली अदालत के सजा के फैसले पर लगाई रोक पर खुशी जताते हुए और उसे स्वागत योग्य बताते हुए प्रेस के नाम जारी विज्ञप्ति में कही। उन्होंने कहा कि निचली अदालत द्वारा मानहानि मामले में इतनी बड़ी कार्यवाही करना लोकतंत्रात्मक व्यवस्था पर सवालिया निशान लगा रही थी, जिसे स्वयं सुप्रीम न्यायालय ने भी यह कहते हुए माना की ट्रायल कोर्ट के जज ने अधिकतम सज़ा देने में ग़लती की है।

महिला कांग्रेस नेत्री ने कहा कि भाजपा की पूरी मशीनरी के निरंतर प्रयासों के बावजूद जननेता राहुल गांधी ने हार मानने, झुकने या दबने से इंकार करते हुए न्यायिक प्रक्रिया में अपना विश्वास जताया, इसी विश्वास के सहारे राहुल की सजा पर 133 दिन बाद रोक लगा दी गई। ये देश के अरबों न्यायप्रिय सच्चे लोगों की और भारतीय संविधान की जीत है ये नफरत के खिलाफ मोहब्बत की जीत है। उन्होंने कहा कि भाजपा वालों को भी ये पता है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला सही है। क्योंकि अगर ऐसे बयानों के आधार पर ही सबकी लोकसभा सदस्यता रद्द होने लग जाये तो नरेंद्र मोदी के साथ ही झूठ और नफरत फ़ैलाने वाले आधे से ज्यादा बीजेपी नेताओं के तो आधार कार्ड ही रद्द हो जायेंगें।

वर्मा ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा की हम एक कांग्रेस पार्टी के सच्चे सिपाही और आदर्श विपक्षी पार्टी के रूप में आपकी विफ़लताओं को सामने लाना और उन्हें उजागर करना जारी रखेंगे। हम अपने संवैधानिक आदर्शों को कायम रखेंगे और अपनी संस्थाओं में विश्वास बनाए रखेंगे जिन्हें आप पूरी तरह से नष्ट करना चाहते हैं। अब आगे भी संसद और सड़क तक जनता के सवालों पर संग्राम जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि कोर्ट के इस फैसले से अब राहुल जी की संसद सदस्यता बहाल होगी, उन्हें फिर से उनका घर भी मिलेगा और वो अब चुनाव भी लड़ सकेंगे। इससे साफ है की एनडीए हार गया और इंडिया जीत गया।

महिला कांग्रेस नेत्री वर्मा ने कहा की वैसे भी ये मामला शुरू से ही राजनीति से प्रेरित था और सजा भी किसी ने राज्यसभा में जाने की जल्दबाजी में दे दी थी, क्योंकि ‘मोदी सरनेम’ मामले में शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी का मूल उपनाम ‘मोदी’ नहीं है और उन्होंने बाद में यह उपनाम अपनाया है। गांधी ने अपने भाषण के दौरान जिन लोगों का नाम लिया था, उनमें से एक ने भी मुकदमा नहीं किया…इस समुदाय से केवल भाजपा के पदाधिकारी ही मुकदमा कर रहे हैं। जो किसी बड़ी साजिश का हिस्सा है। उन्होंने शायराना अंदाज में अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा कि “अंधकार चाहे भारी हो और समंदर पार हो, सदा उजाला विजित हुआ है, अगर सत्य आधार हो।”

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