महाराष्ट्र से आए श्रद्धालुओं की भागवत कथा में शामिल हुए परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक कुरुक्षेत्र, 3 अगस्त : सावन के पुरुषोत्तम मास के अवसर पर श्री जयराम विद्यापीठ में विश्व वारकरी सेवा संस्था तथा राम कृष्ण हरि आश्रम (आनंदी) नागपुर महाराष्ट्र द्वारा आयोजित श्री मद भागवत कथा में वीरवार को देशभर में संचालित श्री जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी शामिल हुए। इस मौके पर नागपुर महाराष्ट्र से आए सैंकड़ों श्रद्धालुओं एवं आयोजकों रमेश वनकर, अशोक वनकर, जिवलगजी कोहले, संजय बड़ेलवार, सौरभ गर्ग, राजेंद्र निशाने इत्यादि ने विधिवत फूलमालाओं से परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी का स्वागत किया। साथ ही शाल ओढ़ा कर ब्रह्मचारी का सम्मान किया। विद्यापीठ में महाराष्ट्र से आए विख्यात कथावाचक प्रशांत धर्मपुरीकर व्यासपीठ से कथा सुना रहे हैं। ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी ने सर्वप्रथम व्यासपीठ पर नमन किया तथा उसके उपरांत उन्होंने धर्मनगरी एवं गीता की जन्मस्थली पर महाराष्ट्र नागपुर से आए हुए श्रद्धालुओं का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि कथा को शरणागत होकर श्रवण करना चाहिए एवं उसका जीवन में अनुसरण करना चाहिए। मनुष्य को अच्छे कर्म एवं धर्म को करना चाहिए। यही कथा में प्रेरणा दी गई है। ब्रह्मचारी ने कहा कि गीता के संदेश के माध्यम से केवल अर्जुन को ही नहीं बल्कि पूरी सृष्टि को भगवान श्री कृष्ण ने कर्म की प्रेरणा दी। भगवान कहते हैं कि अगर मुझ में समर्पित हो जाओगे तो तुम्हारी रक्षा एवं कल्याण की मेरी जिम्मेदारी है। ब्रह्मचारी ने कहा कि महाराष्ट्र से श्री मद भागवत की कुरुक्षेत्र में कथा सुनने आए श्रद्धालु सौभाग्यशाली हैं कि उन्हें उस धरती पर कथा सुनने का मौका मिला जिस पर भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं गीता का अपने सही मुख से गीता का संदेश दिया। यहां का वातावरण ऐसा है कि हर क्षण भगवान श्री कृष्ण के होने का अहसास होता है। ब्रह्मचारी ने कहा कि हमें कथा के अवसर पर भगवान के दर्शन के साथ अपनी संस्कृति एवं संस्कारों की भी प्राप्ति होती है। जो भी श्रद्धालु भगवान के प्रति आस्था रखते हैं भगवान किसी न किसी रूप में उनके साथ रहते हैं। इस मौके पर सेवानिवृत्त आयुक्त एवं श्री जयराम शिक्षण संस्थान के उपाध्यक्ष टी. के. शर्मा, निदेशक एस.एन. गुप्ता, के. सी. रंगा, हरि सिंह, यशपाल, रणबीर भारद्वाज, रोहित कौशिक इत्यादि भी मौजूद रहे। Post navigation दिल्ली व टोहाना के गणमान्यों ने किया कुरुक्षेत्र 48 कोस का भ्रमण महाभारतकालीन शालिहोत्र तीर्थ पर धर्मयक्ष ने सारस पक्षी का रूप धारण कर धर्मराज युधिष्ठिर से कई प्रश्न किये थे