वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक कुरुक्षेत्र,3 अगस्त : अखंड गीतापीठ शाश्वत सेवाश्रम परिसर में 25 जुलाई से 7 सितम्बर तक चल रहे सम्पूर्ण गीता प्रवचन अनुष्ठान के 9 वें दिन बुधवार सायं गीता के दूसरे अध्याय के 19 से 23 वें श्लोकों का विस्तारपूर्वक व्याखयान दिया गया। आश्रम प्रवक्ता डॉ. पुनित कुमार एवं संत कुमार ने बताया कि व्यासपीठ महाराज महामंडलेश्वर डॉ. शाश्वातानंद गिरि जी महाराज ने गीता के श्लोक अनाश्रितः कर्मफलं कार्यं कर्म करोति यः। स संन्यासी च योगी च न निरग्निर्न चाक्रियः।। के अर्थ को समझाते हुए कहा कि भगवान कहते हैं कि जो पुरुष कर्मफल का आश्रय न लेकर करने योग्य कर्म करता है, वह संन्यासी तथा योगी है और केवल अग्नि का त्याग करने वाला संन्यासी नहीं है तथा केवल क्रियाओं का त्याग करने वाला योगी नहीं है। अर्जुन ने भगवान से कर्मसंन्यास (सांख्य योग) तथा कर्मयोग इन दोनों में से कौन सा साधन निश्चितरूप से कल्याणकारी है यह जानने की प्रार्थना की। तब भगवान ने दोनों साधनों को कल्याणकारी बताया और फल में दोनों समान हैं फिर भी साधन में सुगमता होने से कर्मसंन्यास की अपेक्षा कर्मयोग की श्रेष्ठता सिद्ध की है। बाद में उन दोनों साधनों का स्वरूप, उनकी विधि और उनका फल अच्छी तरह से समझाया। इसके उपरांत उन दोनों के लिए अति उपयोगी और मुख्य उपाय समझकर संक्षेप में ध्यानयोग का भी वर्णन किया, लेकिन उन दोनों में से कौन-सा साधन करना यह बात अर्जुन स्पष्ट रूप से नहीं समझ पाया। प्रथम भक्तियुक्त कर्मयोग में प्रवृत्त करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण कर्मयोग की प्रशंसा करते हैं। यह पावन गीता अमृत कथा ब्रह्मलीन डॉ. हिम्मत सिंह सिन्हा की पावन स्मृति में उन्हें समर्पित है। कुरुक्षेत्र के लिए डॉ. सिन्हा गुरुजी का नाम सर्व दूर व्याप्त है। इस अवसर पर ब्रह्मलीन चित्रा नागरकटटे की को स्मरण करते हुए,उनके सामाजिक एवं धार्मिक योगदान का उल्लेख किया गया। कथा के मंच पर साध्वी सुहृदय, सत्यध्वनि, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से डॉ. मधुदीप, राज रानी, परमजीत, सुनीता एडवोकेट को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में आयोजन समिति सदस्य एवं भाजपा की प्रदेश पूर्व प्रवक्ता डॉ. शकुन्तला शर्मा, कुसुम सैनी, मुकुल शरण, भूपेन्द्र धर्माणी, प्रेम नारायण शुक्ल, सतपाल शर्मा, डॉ. सी.डी.एस. कौशल, मनुदत्त कौशिक, जयपाल मलिक, आनंद कुमार, सुरेश कुमार, मुकेश मित्तल, प्रेम नारायण अवस्थी, डॉ. संतोष कुमार देवांगन और राजीव धीमान आदि उपस्थित रहे। Post navigation महामंडलेश्वर डॉ. स्वामी शाश्वतानंद गिरि ने श्रीमद्भगवद्गीता को बताया जीवन का शाश्वत कर्म दिल्ली व टोहाना के गणमान्यों ने किया कुरुक्षेत्र 48 कोस का भ्रमण