वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक कुरुक्षेत्र,2 अगस्त : अखंड गीतापीठ शाश्वत सेवाश्रम परिसर में 25 जुलाई से 7 सितम्बर तक चल रहे सम्पूर्ण गीता प्रवचन अनुष्ठान के 8 वें दिन गीता के दूसरे अध्याय के 14 से 18 वें श्लोकों का विस्तारपूर्वक व्याखयान दिया गया। आश्रम प्रवक्ता डॉ. पुनित कुमार एवं संत कुमार ने बताया कि व्यासपीठ महाराज महामंडलेश्वर डॉ.शाश्वातानंद गिरि जी महाराज के श्रीमुख से अखंड प्रवाह की तरह ज्ञान कर्म के संदर्भ में गीता प्रवाहित हो रही है। यह पावन गीता अमृत कथा ब्रह्मलीन डॉ. हिम्मत सिंह सिन्हा की पावन स्मृति में उन्हें समर्पित है। कुरुक्षेत्र के लिए डॉ. सिन्हा गुरुजी का नाम सर्व दूर व्याप्त है। कथा के माध्यम से अनेक प्रसंगों का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि डॉ सिन्हा जी का जीवन सही अर्थों में गीता को ही समर्पित रहा है। वे स्वयं दर्शनशास्त्र के प्रवक्ता एवं ज्ञाता रहे हैं। गीता का संदेश जीवन, जगत, वह जगदीश्वर से किस प्रकार अभिन्न नहीं है। एक ही सूत्र बंधन में बंधे हुए हैं। इसका प्रत्यक्ष प्रतिमूर्ति डॉ. सिन्हा रहे हैं। “धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र क्षेत्र-क्षेत्र धर्मकुरु” इस श्लोक की दार्शनिक व्याख्या वे स्वयं करते मात्र नहीं थे स्वयं के आचरण व व्यक्तिगत व्यवहार से कर्म करके उदाहरण प्रस्तुत करते थे। निरंतर विभिन्न प्रश्नों, शंकाओं, समस्याओं से भरे लोग उनके निवास पर समाधान पाने के लिए नित्य आते उनको अर्जुन मानकर स्वयं को कृष्ण के गीता उपदेश का चिंतक समझकर उन्हें गीता के माध्यम से जीवन श्लोकों का मार्ग प्रशस्त करते थे। उनकी दार्शनिकता भरे प्रसंग को समझने के लिए कुछ शुद्ध शुचितायुक्त मन-मानस को भी आवश्यकता रहती थी। पीठाधीश महामंडलेश्वर जी का मानना है कि मनुष्य जीवन में चेतना की मूलभूत भूमिका रहती है। इस चेतना तत्व को डॉ. सिन्हा जी ने अपने जीवन का मूल मंत्र बनाकर आजीवन निर्वहन करते रहे और पूरे कुरुक्षेत्र को अपने चेतन मन से अध्यात्मिक दर्शन कराते रहे। इस अवसर पर कथा के मंच पर भोपाल से डॉ.चंद्रशेखर वैद्य को भारत भूषण, दिल्ली से भारत सरकार के उच्चाधिकारी राम प्रकाश शर्मा, डॉ. परमेश और जटाशंकर को सुरेन्द्र कुमार, डॉ.भीम सिंह को प्रेम नारायण शुक्ला, दीपक राय बब्बर और लाल चंद शर्मा को सुभाष गुप्ता और सौरभ चौधरी को संत कुमार द्वारा सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में आयोजन समिति सदस्य एवं भाजपा की प्रदेश पूर्व प्रवक्ता डॉ. शकुन्तला शर्मा, मुकुल शरण,भूपेन्द्र धर्माणी, सतपाल शर्मा, डॉ. सी.डी.एस. कौशल, मनुदत्त कौशिक,जयपाल मलिक, आनंद कुमार, सुरेश कुमार, मुकेश मित्तल,प्रेम नारायण अवस्थी, डॉ. संतोष कुमार देवांगन और राजीव धीमान आदि उपस्थित रहे। Post navigation रत्नदक्ष चिट्टा मन्दिर में श्रावण सोमवार को लगा 56 भोग, हुई भजन संध्या : महंत राम अवतार दास महामंडलेश्वर डॉ. स्वामी शाश्वतानंद गिरि ने कराया श्रीमद्भगवद्गीता और कर्मफल का बोध