केंद्रीय मंत्री ने कहा, विश्व में जब भी निराशा का माहौल उत्पन्न हुआ तब भारतीय संस्कृति ने दी जीवन जीने की प्रेरणा
-भारतीय संस्कृति व जीवन मूल्यों को दुनिया के अंतिम व्यक्ति तक पहुँचना हम सभी का नैतिक कर्तव्य: श्री नितिन गडकरी

गुरुग्राम, 31 जुलाई। भारत सरकार में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने कहा कि विश्व मे जब भी निराश का माहौल उत्पन्न हुआ है तब उस समाज को जीवन जीने की एक नई प्रेरणा देने की क्षमता हमारी संस्कृति में है। ऐसे में हम सभी का यह कर्तव्य है कि हम हमारा इतिहास, हमारे संस्कार व जीवन मूल्यों को दुनिया के अंतिम व्यक्ति तक पहुचाएं। उन्होंने कहा कि प्रत्येक राष्ट्र की पहचान उसकी सांस्कृतिक धरोहर तथा सामाजिक मूल्यों से होती है। भारतीय संस्कृति का स्वरूप निःसंदेह रूप से सर्वधर्म समभाव तथा लोक कल्याणकारी रहा है। श्री गडकरी सोमवार को गुरुग्राम के सेक्टर 9ए में इंटरनेशनल दिव्य परिवार सोसाइटी एवं चाणक्य वार्ता परिवार द्वारा स्थापित होने वाले भारत अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक केंद्र के शिलान्यास व त्रिदिवसीय सांस्कृतिक महोत्सव के समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।

केंद्रीय मंत्री ने भारत अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक केंद्र का शिलान्यास करने उपरांत अपने संबोधन में कहा कि हमारे देश में अलग भाषा व वेशभूषा होने के बावजूद हम एक हैं तो इसका मुख्य आधार हमारी संस्कृति का एक होना है और यही हमारे भारत की विशेषता है। उन्होंने कहा कि हमारी मजबूत सांस्कृतिक विरासत के चलते हमारी संस्कृति पूरे विश्व में आकर्षण का केंद्र बनी हुई। उन्होंने कहा कि किसी भी देश का भविष्य अगर देखना हो तो यह देखना आवश्यक है कि उस देश का इतिहास व संस्कृति का आधार क्या रहा है। उन्होंने कहा कि आज विश्व की सबसे पुरानी सभ्यताएं भी आधुनिक होने की दौड़ में अपने संस्कारो व जीवन मूल्यों को पीछे छोड़ रही हैं। वहीं हमारे देश की युवा पीढ़ी आधुनिकता के साथ साथ हमारी संस्कृति व मजबूत विचारों के चलते हमारी सामाजिक व्यवस्था का पूरी दृढ़ता व स्वाभिमान के साथ उसका पालन कर रही है।

श्री गडकरी ने कहा कि किसी भी राष्ट्र की महानता एवं उसके गरिमामयी व्यक्तित्व का निर्माण उसकी उत्तम संस्कृति एवं सामाजिक परम्पराओं पर निर्भर करता है। हमारा देश अपनी विशालता और आदर्शमयी जीवनधारा के कारण ही पूरे विश्व भर में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यहाँ का जीवन दर्शन और लोगों का सौंदर्य, उनकी आत्मीयता, विभिन्न धर्मों, सम्प्रदायों, मतों, विचारों और भावनाओं की विविधताओं के बावजूद भी राष्ट्र के सन्दर्भ में एकमत होना यहाँ की महानता है। उन्होंने कहा कि हमारे विचार व सिद्धान्त कितने ही श्रेष्ठ हों इसमें महत्वपूर्ण यही है कि हम जिस स्थान पर जाते हैं उस स्थान पर उन लोगों को स्वाभाविक रूप से उनकी भाषा में समझाना। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हमारी संस्कृति के महत्व को पूरे विश्व में पहुँचाने में हमारे संतो व हमारी सामाजिक संस्थाओं का विशेष योगदान रहा है। यह हमारी संस्कृति के प्रचार प्रसार का ही परिणाम है कि आज विश्व के बड़े संस्थान भारतीय जीवन मूल्यों से जुड़े विषयों पर शोध कर रही हैं। श्री गडकरी ने स्वामी विवेकानंद के विचारों का उल्लेख करते हुए कहा कि स्वामी विवेकानंद ने अपने शिकागो दौरे में कहा था कि मैं आपको यह बताने नही आया हूँ कि मेरा धर्म व मेरा भगवान श्रेष्ठ है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति की यही सुंदरता है जिसमें हमारा मानना है आप जिस धर्म व भगवान पर विश्वास करते हैं वही श्रेष्ठ है। उन्होंने युवा पीढ़ी से आह्वान करते हुए कहा कि चूंकि उत्तम जीवन मूल्य व संस्कारों से ही भारतीय मानस का व्यक्तित्व बनता है इसलिए हमे अपनी आने वाली पीढ़ियों को हमारे संस्कारों, सिद्धांतों व हमारी विस्तृत सामाजिक विरासत के बारे में निश्चित रूप से जागरूक करना होगा।

इस अवसर पर महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल श्री भगत सिंह कोश्यारी, मेघालय व सिक्किम के पूर्व राज्यपाल श्री गंगा प्रसाद, दिव्य परिवार सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ. अमित जैन, जैन संत गणि राजेंद्र विजय, उद्योगपति शांतिलाल ओसवाल, भारत अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक केंद्र के संरक्षक लक्ष्मी नारायण भल्ला, डॉ. स्वामी रामेश्वरानंद, सहित अन्य गणमान्य उपस्थित रहे।

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