डीसी निशांत कुमार यादव ने दी जानकारी, भारत सरकार के उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) ने इस संदर्भ में जारी किए निर्देश
डीसी ने जिलावासियों से भी की अपील, ऐसे कार्यक्रमों में किसी भी व्यक्ति या संगठन अथवा कॉपीराइट सोसायटी द्वारा एक्ट के उल्लंघन करने वाली किसी भी अनावश्यक मांग को न करें स्वीकार

गुरुग्राम, 26 जुलाई। भारत सरकार, राज्य सरकार व स्थानीय प्रशासन द्वारा आयोजित आधिकारिक कार्यक्रमों, धार्मिक समारोह, विवाह व उससे सम्बंधित सामाजिक कार्यक्रमों में फिल्मी गानों का इस्तेमाल अब कॉपी राइट एक्ट के उल्लंघन नहीं माना जाएगा। भारत सरकार के उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) ने इस संदर्भ में निर्देश जारी किए हैं। डीसी निशांत कुमार यादव ने यह जानकारी देते हुए बताया कि कॉपीराइट अधिनियम 1957 की धारा 52 कुछ ऐसे कार्यों से संबंधित है जिसमें कॉपीराइट का उल्लंघन नहीं होता है। 

श्री निशांत कुमार यादव ने बताया कि जारी निर्देशों के अनुसार शादियों में गाने बजाना कॉपीराइट कानून का उल्लंघन नहीं है और कोई भी ऐसी गतिविधियों के लिए रॉयल्टी नहीं ले सकता है। उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) द्वारा जारी सार्वजनिक नोटिस में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि उसे कॉपीराइट अधिनियम 1957 की धारा 52 (1) (जेडए) की भावना के उलट शादी-विवाह में गाना बजाने को लेकर कॉपीराइट सोसायटी से रॉयल्टी लिए जाने के बारे में आम लोगों और अन्य पक्षों से कई शिकायतें मिली हैं। अधिनियम की धारा 52 कुछ ऐसे कार्यों से संबंधित है जिसमें कॉपीराइट का उल्लंघन नहीं होता है। 

उन्होंने बताया कि डीपीआईआईटी ने कहा कि कि धारा 52 (1) (जेडए) विशेष रूप से किसी धार्मिक समारोह या आधिकारिक समारोह के दौरान साहित्यिक, नाटकीय अथवा गाना बजाने या साउंड रिकॉर्डिंग के प्रदर्शन का उल्लेख करती है। यह कहीं से भी कॉपीराइट का उल्लंघन नहीं है। इसमें कहा गया है कि धार्मिक समारोह में विवाह और विवाह से जुड़े अन्य सामाजिक कार्य शामिल हैं।

डीसी ने कहा कि हाल में जारी निर्देशों के अनुसार कॉपीराइट सोसायटी को भी उपरोक्त वर्णित समारोहों के दौरान अधिनियम की धारा 52 (1) (जेडए) के उल्लंघन वाले कार्यों में कानूनी कार्रवाई की मनाही की गई है। उन्होंने जिलावासियों से भी अपील करते हुए कहा कि वे किसी भी व्यक्ति या संगठन अथवा कॉपीराइट सोसायटी की इस धारा का उल्लंघन करने वाली किसी भी अनावश्यक मांग को स्वीकार न करें।

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