भिवानी-महेन्द्रगढ़ सीट पर प्रदेश प्रधान ओम प्रकाश धनखड़ और पूर्व सांसद सुधा यादव की नजरें, वर्तमान सांसद रेडमैन धर्मबीर का राजनैतिक भाग्य भाजपा आलाकमान के निर्णय पर टिका

ईश्वर धामु

लोकसभा के चुनाव होने में अभी करीब नो महीने का समय है पर बड़े नेता अभी से अपने चुनाव क्षेत्र पर नजरें लगाने लगे हैं। हरियाणा में कुछ चुनाव क्षेत्र ऐसे हैं, जिनमें बड़ा बदलाव होना है। जंहा भाजपा और कांग्रेस सहित दूसरे राजनैतिक दल भी अपने वर्तमान प्रत्याशी बदलने की मंशा रखती हैं। ऐसा ही लोकसभा चुनाव क्षेेत्र भिवानी-महेन्द्रगढ़ भी है, जंहा प्रत्याशी बदलने तथा बदलाव आने की सम्भावनाएं बनती जा रही है।

भिवानी-महेन्द्रगढ़़ लोकसभा क्षेत्र का वर्तमान में भाजपा के रेडमैन धर्मबीर सिंह प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उन्होने यंहा से 2014 और 2019 का चुनाव भाजपा प्रत्याशी के रूप में जीता। भिवानी-महेन्द्रगढ़ लोकसभा में तीन जिलों की 9 विधानसभा क्षेत्र लगते हैं। अभी इनमें महेन्द्रगढ़ और तोशाम से कांग्रेस के विधायक हैं तो नांगल चौधरी, नारनौल, अटेली और लोहारू  भाजपा के विधायक हैं। बाढड़़ा से जेजेपी की नैना चौटाला विधायक हें तो दादरी से सोमबीर सिंह निर्दलीय विधायक हैं। साल 2014 में कांग्रेस छोड़ कर आए रेडमैन धर्मबीर सिंह ने भाजपा की टिकट से लोकसभा का चुनाव लड़ा और उन्होने कांग्रेेस की श्रुति चौधरी को एक लाख 29 हजार 394 वोटों से हराया। रेडमैन धर्मबीर सिंह को 4 लाख 4 हजार 542 वोट मिले थे तो श्रुति चौधरी ने 2 लाख 68 हजार 115 वोट लिए थे। फिर 2019 के चुनाव में भाजपा के रेडमैन धर्मबीर सिंह ने दोबारा से कांग्रेस की श्रुति चौधरी को 4 लाख 44  हजार 463 वोटों से हराया।

चौधरी बंसीलाल परिवार में उनकी पौत्री के रूप में रेडमैन धर्मबीर सिंह से यह तीसरी हार थी। लेकिन 2009 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में श्रुति चौधरी ने इनेलो के अजय चौटाला को 55 हजार 577 वोटों से हराया था और पहली बार सांसद बनी थी। अब भिवानी-महेन्द्रगढ़़ लोकसभा चुनाव क्षेत्र पर भाजपा के दो दिज्गज नेताओं की नजर टीकी हुई है। चर्चाओं के अनुसार भाजपा के प्रदेश प्रधान ओम प्रकाश धनखड़ भिवानी-महेन्द्रगढ़ क्षेत्र से लोकसभा चुनाव लडऩे की इच्छा रखते हैं। उनके समर्थक भी इस बात की दबी जुबान से पुष्टी कर रहे हैं और जातीय समीकरण बैठाने में लगे हुए हैं।

भाजपा की राजनीति में गहरी पैठ रखने वाले ओम प्रकाश धनखड़ आरएसएस से भाजपा में आए थे और उनको विभिन्न पदों पर काम करने का गहरा अनुभव है। वें दो बार किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं और प्रधानमंत्री मोदी के ड्रीम प्रोजक्ट स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के लोह संग्रह समिति के राष्ट्रीय समन्यवक रहे हैं। उन्होने 2014 में रोहतक से भाजपा के प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़़ा पर वें कांग्रेस के दीपेन्द्र सिंह हुड्डा से चुनाव हार गए। वें 3 लाख 19 हजार 436 वोट लेकर दूसरे स्थान पर रहे थे। बाद में उन्होने बादली क्षेत्र से विधानसभा का चुनाव लड़ा और 41 हजार 549 वोट लेकर विजयी रहे। वें मनोहर सरकार में कृषि मंत्री बने पर 2019 का चुनाव हार गए।

उनको जुलाई 2020 में प्रदेश प्रधान बनाया गया। प्रदेश प्रधान के रूप में उनकी बड़ी उपलब्धियंा रही। उन्होने प्रदेश पदाधिकारियों से लेकर पन्ना प्रमुख तक पार्टी संगठन का खड़ा किया है। अबकी बार उनकी इच्छा लोकसभा चुनाव लडक़र राष्ट्रीय राजनीति में जाना चाहते हैं। वैसे भिवानी से धनखड़ का पुराना नाता रहा है। जाट-अहिर बाहुल्य वाली भिवानी-महेन्द्रगढ़ लोकसभा सीट पर पूर्व सांसद सुधा यादव की नजरे भी लगी हुई है। भाजपा की तोशाम में हुई बड़ी सभा में आकर उन्होने अपनी मंशा जाहिर कर दी थी। अभी उनकी नजरें प्रधानमंत्री मोदी के आदेश पर लगी हुई है।

डाक्टर सुधा यादव 1999 में तत्कालीन महेन्द्रगढ़ लोकसभा क्षेत्र से भाजपा की टिकट से चुनाव जीता था। मिलीटरी पारिवारिक पृष्ठभूमि होने के कारण उनका राजनीति से कोई समबंध नहीं था। वें रसायन विज्ञान में पीएच.डी. हैं। उनके पति कारगिल युद्ध में शहीद हो गए थे। तेजी से बने हालातों में भाजपा ने सुधा यादव को चुनाव मैदान में उतार दिया। राजनीति में लाने का श्रेय नरेन्द्र मोदी और अरविंद यादव को जाता है। उन्होने 1999 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के दिज्गज नेता राव इंदरजीत सिंह को 1.39 लाख वोटों से हराया। इस जीत ने उनको एक सामान्य गृहणी से सफल राजनेता बना दिया। उन्होने विभिन्न पदों पर पार्टी के लिए काम किया। सुषमा स्वराज के बाद भाजपा चुनाव समिति में जाने वाली वें दूसरी महिला हैं। लेकिन वो 2009 और 2014 का चुनाव नहीं जीत पाई और अब भिवानी-महेन्द्रगढ़ से चुनाव लडऩे का इरादा रखती है।

अब सवाल यी पैदा होता है कि किन्ही हालातोंं में अगर भाजपा भिवानी-महेन्द्रगढ़ सीट से अपना प्रत्याशी बदलती है तो पार्टी रेडमैन धर्मबीर सिंह के लिए क्या फैसला लेगी? चर्चा तो इस बात की भी है कि पार्टी इस बार रेडमैन धर्मबीर सिंह को लोकसभा की बजाए विधानसभा का चुनाव लड़़वायेगी। कई मौकों पर रेडमैन भी ऐसी इच्छा जाहिर कर चुके हैं। चर्चाओं में इसके पीछे दो कारण हैं। एक तो सांसद रह कर रेडमैन धर्मबीर सिंह अपने कार्यकर्ताओं के प्रादेशिक प्रशासनिक अधिकारियों से काम के लिए दबाव नहीं बना सकते और दूसरे वें चौधरी बंसीलाल की पुत्रवधु तोशाम से विधायक किरण चौधरी का हराना चाहते हैं। क्योकि वें चौधरी बंसीलाल, उनके पुत्र सुरेन्द्र सिंह और पौत्री श्रुति चौधरी को चुनाव में हरा चुके हैं। अब पुत्रवधु किरण चौधरी को हरा कर वें एक रिकार्ड बनाना चाहते हैं।

दूसरी ओर यह भी सम्भावना जताई जा रही हैं कि रेडमैन अपने बेटे को एक लम्बे समय से राजनैतिक गुर सीखा रहे हैं तो इस बार वें अपने बेटे मोहित चौधरी के लिए विधानसभा की टिकट भाजपा से मांगेंगे? अब यह आने वाला समय बातयेंगा कि भाजपा आलाकमान  भिवानी-महेन्द्रगढ़ सीट के बारे में क्या निर्णय लेती है?

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