गुरुग्राम। वर्तमान में राजनीति प्रचलन चल पड़ा है कि जब भी किसी कार्य की शुरुआत कोई मंत्री या मुख्यमंत्री करता है तो उनके द्वारा कहा जाता है कि यह अमुक व्यक्ति द्वारा जनता को सौगात है। यह सौगात शब्द कई दिनों से दिमाग में उथल-पुथल मचा रहा था। अत: इसके बारे में आपको कुछ कहने का दिल कर रहा है।

प्रथम तो सौगात शब्द हिन्दी का नहीं अपितु उर्दू का है और यह शब्द तब प्रचलन में आता है जब किसी व्यक्ति द्वारा किसी व्यक्ति को अकस्मात कोई खुशी या उपहार प्राप्त हो। आमतौर पर यह शब्द भगवान द्वारा खुशी देने पर उपयोग होता है। कुछ स्थानों पर यह तब भी प्रयोग हो जाता है, जब अकस्मात कोई व्यक्ति किसी को कोई खुशी का समाचार या कोई बड़ा उपहार दे लेकिन राजनेताओं द्वारा जनता को दी गई परियोजनाएं तो सरकार का कर्तव्य होती हैं जनता की भलाई का कार्य करने का। और फिर उन परियोजनाओं में जो पैसा लगता है, वह भी तो जनता का ही लगता है। फिर यह सौगात कैसे?

इस बारे में सैक्टर-4 आरडब्ल्यूए के अध्यक्ष धर्मसागर से बात हुई तो उनका कहना था कि यह सारे कार्य तो सरकार का कर्तव्य हैं। सडक़, सीवर, सफाई, बिजली आदि मूलभूत समस्याओं का समाधान यह सरकार का कार्य है। और जब आज इन्हीं चीजों के लिए सारा गुरुग्राम तरस रहा है, जोकि हरियाणा को सबसे अधिक राजस्व देता है। तो इसकी जिम्मेदारी भी सरकार की ही बनती है। यदि सरकार इन समस्याओं का समाधान करने के लिए कार्य करती है तो उसे जनता से यह कहना चाहिए कि हमें क्षमा करो, हमारी गलती के कारण इतने आप परेशान रहे, आगे हम प्रयास करेंगे कि आपको परेशानी न हो। लेकिन ये कहते हैं कि हमने जनता को सौगात दी। क्या अपने पैसे से दी? ये पैसा भी जनता का, काम भी जनता का। देर तुमने की तो फिर सौगात कैसी?

अन्य व्यक्तियों से भी बात हुई और उसका सार यह निकला कि सभी दलों की राजनीति का स्वरूप ऐसा हो गया है कि पैसा भी जनता का और अपना चुनाव प्रचार भी जनता के पैसे से करते हैं।

एक व्यक्ति ने तो सौगात शब्द का अर्थ बताते हुए कहा कि जैसे मुख्यमंत्री मनोहर लाल को 2014 में नरेंद्र मोदी अनुकंपा से मुख्यमंत्री पद मिला, वह मुख्यमंत्री के लिए नरेंद्र मोदी की ओर से सौगात है। इसी प्रकार मुख्यमंत्री मनोहर लाल अपने ओएसडी नियुक्त करते हैं, वह भी मुख्यमंत्री की अनुकंपा से होते हैं। अत: वह मुख्यमंत्री की सौगात उन ओएसडी’ज को है लेकिन जनता के पैसे से जनता का कार्य करना उनका कर्तव्य है, न कि सौगात।

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