किसानों/ भूमि मालिकों को बड़ी राहत देते हुए राज्य सरकार लेकर आई नो लिटिगेशन पॉलिसी- 2023 मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने वायदा पूरा कर किसानों को दी सौगात पिछली सरकारों से लंबित मामलों को हल करके मनोहर लाल ने दिखाया कि राजनेता जन सेवा के लिए होता है चंडीगढ़, 8 जुलाई – हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल वर्ष 2014 से सत्ता संभालते ही जन हित के लिए कार्य कर रहे हैं। प्रदेश की जनता को अपना परिवार मानने वाले मुख्यमंत्री मनोहर लाल नागरिकों की समस्याओं का स्थाई समाधान निकाल रहे हैं। यहां तक की पिछली सरकारों के कार्यकाल से चले आ रहे लंबित मामलों को हल करके श्री मनोहर लाल ने एक मिसाल पेश की है कि राजनेता जन सेवा के लिए ही होता है। इसी कड़ी में गुरुग्राम जिले की मानेसर तहसील के कासन, कुकरोला और सेहरावां गांवों की जमीन अधिग्रहण के मामले में किसानों/ भूमि मालिकों को भी बड़ी राहत देते हुए राज्य सरकार नो लिटिगेशन पॉलिसी- 2023 लेकर आए हैं। मुख्यमंत्री ने प्रभावित किसानों और भूमि मालिकों को भरोसा दिलाया था कि वे इस मामले का कानूनी तरीके से समुचित हल निकालेंगे। 9 अगस्त, 2022 को हरियाणा विधानसभा सत्र में भी मुख्यमंत्री ने इस विषय के समाधान को लेकर आश्वसत किया था। अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हुए राज्य सरकार ने ‘नो लिटिगेशन पॉलिसी -2023’ तैयार की है, जिसमें किसानों और भूमि मालिक अधिग्रहीत प्रत्येक एक एकड़ भूमि के लिए 1000 वर्ग मीटर के बराबर विकसित आवासीय या विकसित औद्योगिक भूखंड लेने के पात्र होंगे। गौरतलब है कि तत्कालीन राज्य सरकार ने मानेसर औद्योगिक मॉडल टाउनशिप विस्तार के विकास के उद्देश्य से 10 जनवरी, 2011 को भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1894 की धारा 4 के तहत जिला गुरुग्राम की मानेसर तहसील के गांवों कासन, कुकरोला और सेहरावां में लगभग 1810 एकड़ जमीन को अधिसूचित किया था। इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया और कोर्ट ने उपर्युक्त अधिग्रहण कार्यवाही पर रोक लगा दी। हालांकि, न्यायालय द्वारा दिया गया स्टे 2 दिसंबर, 2019 को हटा दिया गया और उसके बाद उक्त भूमि को 17 अगस्त, 2020 को भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1894 की धारा 6 के तहत अधिसूचित किया गया और बाद में 8 अगस्त, 2022 को अवार्ड की घोषणा की गई थी। नो लिटिगेशन पॉलिसी के तहत किसानों को कई प्रकार के लाभ दिए गए हैं। किसानों/भूमि मालिकों को पॉलिसी की अधिसूचना और पोर्टल के लॉन्च होने से 6 महीने की अवधि के भीतर इस योजना का विकल्प चुनने का अधिकार होगा। भूमि मालिकों को तत्काल लाभ सुनिश्चित करने के लिए एचएसआईआईडीसी योजना के बंद होने से 3 महीने की अवधि के भीतर भूमि पात्रता प्रमाण पत्र (लैंड एंटाइटलमेंट सर्टिफिकेट) जारी कर सकता है। भूमि मालिकों को लैंड एंटाइटलमेंट सर्टिफिकेट को ओपन मार्केट में बेचने की होगी स्वतंत्रता इस नीति में भूमि मालिकों या लैंड एंटाइटलमेंट सर्टिफिकेट धारकों को लैंड एंटाइटलमेंट सर्टिफिकेट का व्यापार करने, खरीदने या बेचने की भी स्वतंत्रता दी गई है। भूमि मालिक ओपन मार्केट में लैंड एंटाइटलमेंट सर्टिफिकेट का मुद्रीकरण कर सकता है या एचएसआईआईडीसी को वापस बेच सकता है। आवंटित की जाने वाली साइट के संबंध में बुनियादी ढांचागत सुविधाएं उपलब्ध होने के बाद भूमि पात्रता प्रमाण पत्र धारकों को पोजेशन के साथ एचएसआईआईडीसी द्वारा विकसित भूखंडों की पेशकश की जाएगी।एचएसआईआईडीसी द्वारा ऑफर किए जाने वाले प्लॉट का आकार विकसित आवासीय उपयोग के लिए 100 वर्ग मीटर और 150 वर्ग मीटर तथा विकसित औद्योगिक उपयोग के लिए 450 वर्गमीटर होगा। भूमि मालिक 33 वर्ष की अवधि के लिए प्रदान किए जा रहे वार्षिकी भुगतान का लाभ उठाने का भी हकदार होगा। वार्षिकी भुगतान (एन्युटी पेमेंट) 33 वर्ष की अवधि के लिए 21,000 प्रति एकड़ प्रति वर्ष होगा। इस वार्षिकी राशि में हर साल 750 रुपये की एक निश्चित राशि से वृद्धि की जाएगी। लैंड एंटाइटलमेंट सर्टिफिकेट के बाय बैक का भी प्रावधान इस नीति में सरकार ने लैंड पूलिंग पॉलिसी 2022 की तर्ज पर भूमि मालिक/भूमि पात्रता प्रमाण पत्र धारकों को बाय बैक का भी विकल्प दिया है। इसके तहत, भूमि मालिक व लैंड एंटाइटलमेंट सर्टिफिकेट धारक एचएसआईआईडीसी से वैध भूमि पात्रता प्रमाण पत्र वापस खरीदने का अनुरोध कर सकते हैं। Post navigation भाजपा खट्टर सरकार ………. क्या हुआ तेरा वादा ? विद्रोही मोदी ने महिलाओं को बनाया देश की प्रगति में बराबर का भागीदार: ओम प्रकाश धनखड़