भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक गुरुग्राम। हरियाणा में इस समय राजनैतिक माहौल बड़ा उथल-पुथल चल रहा है। यदि मैं कहूं कि कोई भी राजनैतिक दल जनता से नहीं जुड़ रहा, केवल प्रचार के माध्यम से सत्ता पर काबिज होना चाहते हैं तो शायद अनुचित नहीं होगा। सत्तासीन भाजपा का दावा है कि तीसरी बार सरकार हम ही बनाएंगे, जबकि इस समय जनता के हर वर्ग का विरोध सरकार को झेलना पड़ रहा है। मुख्यमंत्री रोज अपनी बड़ाई के पुलंदे बांधते हैं, नई-नई घोषणाएं घोषित करते हैं परंतु जनता पर उसका प्रभाव दिखाई नहीं देता। लगता है कि कहावत चरितार्थ हो रही है- मर्ज बढ़ता गया, ज्यों-ज्यों दवा की। कांग्रेस आपसी झगड़ों से जूझ रही है। धरातल पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा विपक्ष आपके समक्ष कार्यक्रम कर जनता से जुडऩे का दावा कर रहे हैं परंतु उसमें केवल इवैंट मैनेजमेंट नजर आती है। उनका दावा है कि हम सरकार बनाएंगे। जजपा की कहानी ही अलग है। शायद ऐसा पहली बार हो रहा है कि सरकार में सांझेदारी है और सभी सीटों पर चुनाव लडऩे की बात कर रहे हैं और अगली सरकार बहुमत से अपनी बनाने का दावा कर रहे हैं, जबकि उनके अपने आदमी पार्टी छोडक़र अन्य पार्टियों में जाने का सिलसिला चल रहा है। ऐसे में उनके दावों में कितनी सच्चाई है, यह आप ही अनुमान लगाएं। इनेलो के एकमात्र विधायक अभय चौटाला हैं। उनकी पार्टी से भी गाहे-बेगाहे आदमी छोडक़र जा रहे हैं। उनकी परिवर्तन यात्रा जारी है लेकिन परिणाम कोई सुखद दिखाई दे नहीं रहे किंतु उनका दावा भी है कि अगली सरकार इनेलो की होगी। आज हम आप पार्टी के बारे में थोड़ा विस्तार से बात करना चाह रहे हैं। उसका कारण यह है कि आप पार्टी की ओर से एक विज्ञप्ति आई, जिसमें लिखा है कि आगामी 9 जुलाई को पार्टी संस्थापक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तथा पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान जनसभा को संबोधित करेंगे और उसमें दो-ढ़ाई हजार कार्यकर्ताओं की उपस्थिति होगी। यही पढक़र आज ये लिखने का दिल किया कि एक विधायक भी अपने क्षेत्र में रैली करता है तो दो-ढ़ाई हजार आदमी जुटा लेता है और इनकी तो प्रदेश स्तर की रैली हो रही है। प्रदेश भर से कार्यकर्ता आएंगे। फिर भी इनका अनुमान दो-ढ़ाई हजार कार्यकर्ताओं का है। यह अपने आप खुद वर्णित करता है कि आप पार्टी का हरियाणा में कितना जनाधार है। पंजाब विधानसभा जीतने के पश्चात हरियाणा में आप पार्टी अति उत्साहित होकर लगी और लोग भी उनसे जुडऩे लगे। इससे उत्साहित हो राज्यसभा सांसद और वर्तमान में आप पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुशील गुप्ता और अनुराग ढंाड़ा दोनों ही पूरे हरियाणा को अपने दम पर संभालने लगे। इनके साथ अशोक तंवर और चौ. निर्मल सिंह भी जुड़ गए। हर जगह कार्यक्रमों में ये खुद ही जाने लगे, जिसके चलते स्थानीय स्तर पर नेताओं को अपने कार्य करने की आजादी नहीं मिली, जिससे वे दूर होने लगे। हरियाणा का एक कटु सत्य है कि हर दस कोस पर पानी, भाषा और संस्कृति में कुछ न कुछ परिवर्तन आ ही जाता है और यह बात शायद आप नेताओं के समझ में नहीं आई और वे दिल्ली के आदेश से हरियाणा को जीतने के स्वप्न देखने लगे। परिणाम सामने हैं। अभी हम गुरुग्राम पर नजर डालें तो गुरुग्राम में काफी लोग बड़े उत्साह से आप पार्टी में सम्मिलित हुए और उनकी स्थिति देख निष्क्रिय हो गए। एडवोकेट अभय जैन जिन्हें सुशील गुप्ता ने स्वयं आकर बड़ा कार्यक्रम कर पार्टी में शामिल कराया था और अब वह निष्क्रिय बैठे हैं तथा पटौदी के विधायक रामबीर सिंह भी इनकी पार्टी में शामिल हुए थे लेकिन छोडक़र चले गए थे। इसी प्रकार जाने-अंजाने अनेक नाम हैं। पार्टी संगठन में एकता होना आवश्यक होती है किंतु गुरुग्राम में देखा जाए तो नई बनी पार्टी गुटों में बंटी नजर आती है। अभी गत रविवार निगम चुनाव से संबंधित एक बैठक के लिए सुशील गुप्ता, भाजपा के पूर्व विधायक और अब आप पार्टी के प्रदेश सचिव उमेश अग्रवाल के कार्यालय पर बुलाई थी तथा वहां उपस्थिति आशाओं के अनुसार नहीं हुई। कारण यह बताया गया कि कुछ लोग उमेश अग्रवाल के कार्यालय पर जाना पसंद नहीं कर रहे थे। सीइटी परीक्षा के लिए आप पार्टी ने उपायुक्त के माध्यम से ज्ञापन दिया था। इस कार्यक्रम में भी उमेश अग्रवाल की उपस्थिति नहीं देखी गई और आज बिजली से संबंधित प्रेस वार्ता आप पार्टी द्वारा की गई। उसमें भी उमेश अग्रवाल की उपस्थिति नजर नहीं आई। एक बारे पहले भी जींद में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान आए थे तथा उस समय पार्टी संस्थापक अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि मेरा जन्म स्थान हरियाणा है और कर्म स्थान दिल्ली है। उस पर भी यहां की जनता में यह सवाल उठा था कि जन्म स्थान जब हरियाणा है तो अब तक आपने हरियाणा के लिए क्या किया? और अब फिर यह दोनों पंचकूला में आ रहे हैं, तब भी घोषणा कर गए थे कि अगला हरियाणा में राज आप पार्टी का होगा और अब भी यही कहा जा रहा है कि वह आकर हरियाणा में आप पार्टी का राज बनाने की घोषणा करेंगे। देखने वाली बात यह है कि जब दो-दो मुख्यमंत्री आ रहे हैं तो दो-ढ़ाई हजार आदमी उन्हें सुनने आ रहे हैं और गुरुग्राम की स्थिति कुछ वर्णित की, ऐसी स्थिति लगभग संपूर्ण हरियाणा में है। ऐसे में आप सोचिए कि किस दावे पर कितना भरोसा किया जा सकता है। Post navigation अब दूसरा बच्चा लडक़ा होने पर भी कामगार महिला को मिलेंगे पांच हजार रूपए : डीसी स्ट्रक्चरल ऑडिट के दूसरे चरण के स्टेज वन में चिन्हित 23 हाउसिंग सोसायटीज की आरडब्ल्यूए व बिल्डर्स की संयुक्त बैठक आयोजित