‘चौधर’ की खातिर हाथ मिला सकते हैं ‘धुर’ विरोधी

अशोक कुमार कौशिक

हरियाणा में लोकसभा चुनाव को लेकर विभिन्न दलों और नेताओं के बीच ‘प्रेशर पॉलिटिक्स’ शुरू हो गई है। भाजपा सरकार में शामिल जननायक जनता पार्टी (जजपा) भी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर अपनी सक्रियता बढ़ा रही है। जजपा नेता चाहते हैं कि लोकसभा चुनाव में भाजपा उन्हें कम से कम तीन सीटें दे। दूसरी तरफ भाजपा का शीर्ष नेतृत्व, प्रदेश की सभी दस लोकसभा सीटों पर अकेले ही चुनाव लड़ने का इच्छुक है। लोकसभा चुनाव के लिए दोनों दलों के बीच गठबंधन को लेकर कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका, तो बात अब हरियाणा सरकार पर आ गई। दोनों दलों के बीच हुए गठबंधन में दरार की चर्चा होने लगी। जजपा और कुछ निर्दलीय विधायकों के समर्थन से चल रही भाजपा सरकार ने अब पूरी तरह से निर्दलीय विधायकों को साधना शुरू कर दिया। ‘प्रेशर पॉलिटिक्स’ में कुलदीप बिश्नोई और पूर्व केंद्रीय मंत्री चौ. बीरेंद्र सिंह भी शामिल हो गए हैं। राजनीतिक जानकारों ने संभावना जताई है कि लोकसभा चुनाव के निकट प्रदेश के कई धुर विरोधी चेहरे ‘चौधर’ की खातिर हाथ मिला सकते हैं।

वे दो बयान, जिन्होंने ‘दरार’ को किया पुख्ता

हरियाणा में लोकसभा की सभी दस सीटों पर भाजपा सांसद हैं। 90 सदस्यीय विधानसभा के गणित में भाजपा के पास 41 विधायक हैं। कांग्रेस के पास 31 एमएलए हैं। जजपा के 10 विधायक हैं। इनेलो और हलोपा का भी एक-एक विधायक है। निर्दलीय विधायकों की संख्या 7 है। पिछले कुछ दिनों से प्रदेश की राजनीति में नेताओं की जो बयानबाजी देखने को मिली है, उससे भाजपा और जजपा गठबंधन में बड़ी दरार आने के संकेत दिख रहे हैं। उचाना कलां से जजपा विधायक और प्रदेश के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने पिछले दिनों कहा था, 3-3 लोगों के पेट में दर्द था, लेकिन इसके बाद भी वह उचाना से ही विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। चौटाला ने यह बात इसलिए कही, क्योंकि हरियाणा के भाजपा प्रभारी बिप्लब देब ने पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता को उचाना कलां का अगला विधायक बताया था। चौटाला के बयान पर बिप्लब देब ने पलटवार करते हुए कहा, न तो मेरे पेट में दर्द है और न ही मैं डॉक्टर हूं। मेरा काम भाजपा संगठन को मजबूत करना है। अगर जजपा ने हमारी सरकार को समर्थन दिया है तो कोई अहसान नहीं किया। इसके बदले में उन्हें मंत्रिपद दिए गए हैं।

कई निर्दलीय विधायक पहुंचे दिल्ली

बिप्लब देब और दुष्यंत चौटाला के बीच हुई बयानबाजी के बाद ऐसे कयास लगाए जाने लगे कि अब प्रदेश में भाजपा-जजपा गठबंधन में दरार आ सकती है। धर्मपाल गोंदर, राकेश दौलताबाद, रणधीर सिंह और सोमवीर सांगवान की दिल्ली में बिप्लब देब के साथ मुलाकात हुई। हलोपा विधायक गोपाल कांडा पहले से ही भाजपा के करीब हैं। उन्होंने भी भाजपा को समर्थन दिया है। इस तरह से भाजपा ने वह प्लान तैयार कर लिया कि जजपा के साथ पार्टी का गठबंधन टूटता है, तो उस स्थिति में सरकार को कोई खतरा नहीं होगा। निर्दलीय विधायकों की मदद से खट्टर सरकार चलती रहेगी। हरियाणा की राजनीति को करीब से समझने वाले का मानना है कि ये सब ‘प्रेशर पॉलिटिक्स’ का हिस्सा है। जजपा का प्रयास है कि उसे लोकसभा चुनाव में कुछ सीटें दी जाएं। पार्टी अपने लिए दस में से तीन चार सीटें मांग सकती है। जजपा ने जो सीटें मांगी हैं, वहां भाजपा मजबूत स्थिति में है। हिसार लोकसभा क्षेत्र की बात करें तो वहां भी यही खेल चल रहा है। जजपा ने जो सीटें मांगी हैं, उनमें एक हिसार सीट भी है। यहां पर पूर्व केंद्रीय मंत्री चौ. बीरेंद्र सिंह के पुत्र बृजेंद्र सिंह सांसद हैं।

हरियाणा की ‘प्रेशर पॉलिटिक्स’ को ऐसे समझें

हिसार सीट की दावेदारी देखेंगे तो ‘प्रेशर पॉलिटिक्स’ भी समझ आ जाएगी। चौ. बीरेंद्र सिंह चाहते हैं कि उनके बेटे की लोकसभा सीट सुरक्षित रहे। इसके अलावा वे अपनी पत्नी और पूर्व विधायक प्रेमलता के लिए भी उचाना कलां विधानसभा सीट पर दावेदारी कर रहे हैं। उचाना कलां सीट से दुष्यंत चौटाला विधायक हैं। उन्होंने प्रेमलता को हराया था। दुष्यंत चौटाला कह चुके हैं कि वे अगला चुनाव उचाना कलां से ही लड़ेंगे। इन सबके बीच चौ. बीरेंद्र सिंह को यह संशय है कि इस बार उनके परिवार में से एक टिकट कट सकता है। यही वजह है कि वे भी प्रेशर पॉलिटिक्स का हिस्सा बन गए हैं। चौ. बीरेंद्र सिंह कि वे भी प्रेशर पॉलिटिक्स का हिस्सा बन गए हैं। चौ. बीरेंद्र सिंह ने दो अक्तूबर को जींद में बड़ी रैली करने की घोषणा कर दी। उन्होंने कहा, रैली के बाद प्रदेश की राजनीति में नया परिवर्तन होगा। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने नई पार्टी बनाने के संकेत भी दिए, लेकिन बाद में उन्होंने इस बात से इनकार कर दिया। चौ. बीरेंद्र सिंह ने भाजपा और कांग्रेस पर निशाना साधा। पहले तो हिसार लोकसभा सीट से बीरेंद्र सिंह अपने लड़के के लिए टिकट मांगेंगे। इसके बाद विधानसभा चुनाव में पत्नी के लिए टिकट की दावेदारी ठोकेंगे।

भजनलाल पुत्र भी ‘हिसार’ को लेकर सक्रिय हैं

पूर्व सीएम चौ. भजनलाल के पुत्र कुलदीप बिश्नोई भी हिसार सीट को लेकर सक्रिय हैं। गत वर्ष उन्होंने भाजपा ज्वाइन कर ली थी। उनके पुत्र भव्य बिश्नोई विधायक हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में भव्य बिश्नोई ने कांग्रेस की टिकट पर हिसार से चुनाव लड़ा था। उन्हें 1.84 लाख वोट मिले थे। वे तीसरे स्थान पर रहे। भाजपा प्रत्याशी बृजेंद्र सिंह ने जीत दर्ज की थी। इस बार कुलदीप बिश्नोई चाहते हैं कि उन्हें खुद हिसार लोकसभा सीट से टिकट मिल जाए। भाजपा के लिए यह दुविधा वाली स्थिति है। उसे बृजेंद्र सिंह और कुलदीप बिश्नोई में से एक को चुनना पड़ेगा। अगर एक परिवार, एक सीट का फॉर्मूला बनता है तो इन दोनों परिवारों को नुकसान संभावित है, क्योंकि कुलदीप बिश्नोई के पुत्र विधायक हैं, तो चौ. बीरेंद्र सिंह के बेटे सांसद हैं। हाल ही में कुलदीप ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर बिश्नोई समाज के लोगों को आरक्षण देने की मांग की है। राजस्थान की दो सौ में से 30 सीट पर बिश्नोई समाज के लोगों का प्रभाव है। दुष्यंत चौटाला भी प्रेशर पॉलिटिक्स में शामिल हैं। उन्होंने कहा है कि मुझे तो उचाना कलां से ही चुनाव लड़ना है। ऐसी संभावना है कि वे हिसार सीट पर भी अपने दावेदारी करें। दूसरी ओर दो अक्तूबर की रैली में बीरेंद्र सिंह अपने पत्ते खोल सकते हैं। नई पार्टी की संभावना, ये भी देखने वाली बात होगी। अगर हिसार से भाजपा ने कुलदीप को टिकट देने का भरोसा दिया है तो बृजेंद्र सिंह और चौ. बीरेंद्र सिंह कांग्रेस में वापसी कर सकते हैं। हालांकि यह केवल एक संभावना है।

हाथ मिला सकते हैं धुर विरोधी चेहरे

मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों में भाजपा की स्थिति ज्यादा उत्साहवर्धक नहीं है। विधानसभा चुनाव में अभी एक वर्ष है। हालांकि पार्टी की राष्ट्रीय इकाई और प्रदेश विंग ने जो सर्वे कराया है, उसमें पार्टी को नुकसान के अलावा कुछ नजर नहीं आ रहा। तीनों सर्वे में 25 से ज्यादा सीट आती नहीं दिख रहीं। ऐसे में कोई एक पार्टी अपने दम पर विधानसभा में बहुमत ले आए, ऐसी संभावना कम ही है। इस बार चुनाव में आम आदमी पार्टी भी सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। अभी तक दूसरे प्रदेशों में ‘आप’ ने जिस तरह से कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया है, कुछ वैसा ही दोहराव हरियाणा में भी देखने को मिल सकता है। ऐसी स्थिति को भाजपा खुद के लिए फायदेमंद समझती है। कांग्रेस पार्टी के नेता और पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा, इस बार हर तरह के तीर छोड़ रहे हैं। प्रदेश में कांग्रेस और चौटाला परिवार का कभी चुनावी गठबंधन नहीं हुआ है। हुड्डा ने पिछले दिनों जजपा को अप्रत्यक्ष तौर से न्यौता दे दिया था। उनका कहना था कि एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर दोनों पार्टियां आगे बढ़ सकती हैं।

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