धरना सिटी के रूप में विधायक जरावता के निर्वाचन क्षेत्र पटौदी की पहचान 
मानेसर के कासन गांव के किसानों के अनिश्चितकालीन धरने को पूरा एक वर्ष   
जमीन बचाओ किसान बचाओ संघर्ष समिति ने डीसी को सौंपा अपना मांग पत्र             
 कासन की  1810 एकड़ जमीन बनी हुई है जी का जंजाल  
प्रभावित-पीड़ित किसानों की मांग अधिग्रहण जमीन का मिले उचित मुआवजा

 फतह सिंह उजाला                                     

मानेसर / पटौदी । बीते 2 वर्ष से अधिक समय से भारतीय जनता पार्टी के उपाध्यक्ष और पटौदी के एमएलए एडवोकेट सत्य प्रकाश  जरावता के निर्वाचन क्षेत्र पटौदी की पहचान धरना और आमरण अनशन  सिटी के रूप में  मजबूत होती आ रही है । इस प्रकार के आमरण अनशन, धरना प्रदर्शन के कारण अलग-अलग हो सकते हैं इसी कड़ी में एमएलए एडवोकेट जरावत के आवासीय क्षेत्र मानेसर में गुरुवार से कासन गांव के पीड़ित प्रभावित किसान अनिश्चितकालीन आमरण अनशन पर बैठ रहे हैं । 

  इस संदर्भ में जमीन बचाओ किसान बचाओ संघर्ष समिति अट्ठारह सौ 10 एकड़ कासन के सदस्यों के द्वारा जिला उपायुक्त निशांत कुमार यादव को अपना मांग पत्र सौंपा गया है । कासन गांव के किसान अपनी-अपनी अधिग्रहित की गई जमीन उचित मुआवजा भुगतान की मांग को लेकर 22 जून 2022 अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे हुए हैं ।  पीड़ित किसानों की माने तो एक वर्ष के दौरान कई बार शासन प्रशासन तथा हमारे अपने जनता के चुनें हुए जनप्रतिनिधियों से भी मुलाकात कर अपनी समस्या से अवगत कराने के साथ ही मांग पत्र भी सौंपने जा चुके हैं । लेकिन किसानों की मांग पर हरियाणा की भारतीय जनता पार्टी और जननायक जनता पार्टी गठबंधन सरकार बिल्कुल भी गंभीर दिखाई नहीं दे रही है । पीड़ित किसान कड़ाके की सर्दी गर्मी आंधी तूफान हर मौसम में अपनी मांगों को लेकर शांतिपूर्वक धरने पर बैठे हुए हैं ।  

डीसी गुरुग्राम निशांत कुमार यादव को ज्ञापन सौंपने के बाद जमीन बचाओ किसान बचओ संघर्ष समिति अट्ठारह सौ 10 एकड़ कासन के सदस्य किसानों के द्वारा बताया गया कि सरकार के द्वारा अहीरवाल क्षेत्र के भोले-भाले किसानों के भोलेपन का अपने ही तरीके से फायदा उठाया जा रहा है । एक वर्ष बीत जाने पर भी सरकार ने न तो किसानों को उनकी जमीनों का सम्मानजनक मुआवजा दिया  और न ही समस्या का समाधान किया गया । इस प्रकार से पीड़ित किसानों के द्वारा अपनी मांग मनवाने के लिए अब अनिश्चितकालीन आमरण अनशन पर बैठने का फैसला किया गया है । पीड़ित किसानों का कहना है कि सरकार की  उदासीनता  और अनदेखी के कारण ही अट्ठारह सौ 10 एकड़ के किसान आमरण अनशन के लिए मजबूर हुए हैं । इसके साथ ही चेतावनी भी दी गई है आमरण अनशन के दौरान अनशनकारी किसी भी किसान के साथ कोई भी अनहोनी होती है , तो उसकी जवाबदेही और जिम्मेदारी गठबंधन सरकार की ही होगी ।                                                                                                                                                   

error: Content is protected !!