फीका पड़ रहा शाह का चुनावी शंखनाद !

सिरसा की सूनी सड़कों और खाली कुर्सियों ने बढ़ाई बीजेपी की बेचैनी
शाह की रैली में विरोध प्रदर्शन का रहा डर
हिरासत में सिरसा-फतेहाबाद के सरपंच, आप नेता नजरबंद

अशोक कुमार कौशिक

हरियाणा के एक छोर पर स्थित सिरसा में बीजेपी के कथित लौह पुरुष अमित शाह का सन्‍नाटे से भरी सड़कों ने स्‍वागत किया। किसानों, सरपंचों और विरोधी दलों के नेताओं के विरोध के खौफ के चलते लगाए गए काले कपड़ों पर भी प्रतिबंध के साये में लोगों की जेबों में काला रुमाल तक ढूंढने के लिए पसीना बहाते हजारों पुलिस कर्मियों का हर जतन कुर्सियां भर पाने के लिए नाकाफी साबित हुआ। न बेरोजगारी पर कोई बात हुई और न महंगाई की चर्चा। उल्‍टा लौह पुरुष के आने से पहले किसानों और सरपंचों के साथ विरोधी दलों के नेताओं की हुई धरपकड़ से हरियाणा में बीजेपी के चुनावी शंखनाद का यह आगाज जनता के सवालों की एक और लंबी फेहरिस्‍त जरूर छोड़ गया।

लोकसभा चुनाव से तकरीबन 8 महीने पहले भारतीय जनता पार्टी हरियाणा में धमाकेदार चुनावी कैंपेन का आगाज करना चाह रही थी। इसके लिए तारीख चुनी गई 18 जून और जगह राज्‍य के एक छोर पर स्थित सिरसा शहर। चुनावी शंखनाद के आगाज की जिम्‍मेदारी ली बीजेपी में नंबर दो की हैसियत रखने वाले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने। एक तरफ राजस्‍थान और दूसरी तरफ पंजाब के मालवा से घिरे सिरसा शहर के चयन के पीछे एक तीर से तीन निशाने साधना था। मतलब अमित शाह की रैली की गूंज न सिर्फ हरियाणा में सुनाई दे बल्कि चुनावी राज्‍य राजस्‍थान और पंजाब तक इसकी धमक पहुंचाने का मकसद था।

पंजाब के प्रभारी और राजस्‍थान से आने वाले बीजेपी हाई कमान की गुड लिस्‍ट में शामिल केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की मौजूदगी इस बात की तस्‍दीक कर रही थी। लेकिन हालात ऐसे बन गए कि सारे तीर खुद बीजेपी की तरफ ही चलते दिखे। पहली बार सिरसा आए अमित शाह से तमाम प्रश्‍नों के जवाब मांग रहे इस अपेक्षाकृत पिछड़े क्षेत्र को जवाब तो नहीं मिला बल्कि सवालों की फेहरिस्‍त और लंबी हो गई। आम तौर पर किसी बड़े नेता के आगमन पर दिखने वाली भीड़ और लोगों की आपाधापी की जगह सिरसा शहर की सड़कों पर पसरा सन्‍नाटा सब कुछ बयां कर रहा था। रैली के लिए दिए गए समय 4 बजे से महज आधा घंटे पहले रैली स्‍थल अनाज मंडी में खाली पड़ी कुर्सियां बीजेपी दिग्‍गजों को बेचैन कर रही थीं।

बार-बार मंच से लोगों को रैली स्‍थल पर आने की अपील की जा रही थी। बावजूद, इसके लोगों की रैली से बेरुखी बीजेपी नेताओं की परेशानी और बढ़ा रही थी। सिरसा से ही आने वाले सरकार में बिजली मंत्री रणजीत सिंह चौटाला और बीजेपी टिकट पर चुनाव लड़ चुके तथा सरकार को समर्थन दे रहे हरियाणा लोक हित पार्टी के एकमात्र विधायक गोपाल कांडा के भाई गोबिंद कांडा लोगों से आने के लिए निवेदन कर रहे थे। 5 बजे तक आते-आते यह परेशानी और बढ़ चुकी थी। अमित शाह शहर में आ चुके थे और उन्‍हें सुनने के लिए भीड़ नदारद थी। त्रिपुरा के पूर्व मुख्‍यमंत्री और हरियाणा बीजेपी प्रभारी बिप्‍लव देव की मंच पर चहल कदमी उनकी बेचैनी बता रही थी। वह बार-बार कुछ निर्देश दे रहे थे। हालात ऐसे थे कि इस वक्‍त तक भारतीय जनता पार्टी का प्रबंधन लोगों को रैलीस्‍थल तक लाने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहा था। पुलिस के अधिकारी भी इस मेहनत में शामिल हो गए। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सेखावत डीजीपी से कुछ बात करते दिखे। वक्‍त बढ़ने के साथ लोगों को पकड़-पकड़ कर अंदर लाया जाने लगा। प्राथमिकता यह थी कि कम से कम मंच के सामने लगी कुर्सियां तो भर जाएं।

स्थितियों का अंदाजा ऐसे लगाएं कि अंत में आगे की कुर्सियों में वीआईपी पास लिए भट्ठा मजदूर बैठे दिखाई दिए। बताया गया कि यह कांडा के ईट-भट्ठे में काम करने वाले मजदूर हैं। यह स्थित तब थी जब सिरसा शहर में कंडा बंधुओं की अच्‍छी धमक है। जानकारों की मानें तो करीब 4 हजार कुर्सियां रैली स्‍थल पर लगी थीं। वह भी नहीं भर पाईं। इसमें भी पुलिस कर्मियों को मिलाकर कई हजार तो सरकार के लोग वहां बताए जा रहे थे। खट्टर सरकार पर खौफ ऐसा था कि अमित शाह की रैली के विरोध का ऐलान कर चुके किसान संगठनों और ई-टेंडरिंग व राईट-टू-रिकॉल की मुखालफत कर रहे सरपंच एसोसिशन के लोगों को दो दिन पहले ही पुलिस के नोटिस पहुंच चुके थे। संयुक्‍त किसान मोर्चा और सरपंच एसोसिएशन के नेताओं के गावों में पुलिस ने डेरा जमा दिया था। रैली से पहले धरपकड़ की गई। यहां तक विरोधी दल के नेताओं को भी नहीं बख्‍शा गया।

सिरसा से पूर्व विधायक होशियारी लाल शर्मा के बेटे और कांग्रेस नेता रामकुमार शर्मा और आम आदमी पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्‍यक्ष नवीन जय हिंद को हाउस अरेस्‍ट कर लिया गया। चप्‍पे-चप्‍पे पर सीआईडी के लोग तैनात थे। जिधर नजर डालो सीआईडी के लोग ही नजर आ रहे थे। हर व्‍यक्ति को संदेह की नजर से देखा जा रहा था। आधे हरियाणा की पुलिस को बुला लिया गया था। रैली से पहले आसपास की दुकानों को जबरन बंद करवाया गया। लोगों ने आरोप लगाया कि जिन दुकानदारों ने बंद करने से इंकार कर दिया उनका सामान पुलिस उठा ले गई। रैली स्‍थल के बाहर ऐलान हो रहा था कि लोग एक जगह एकत्रित न हों। अमित शाह के विरोध को लेकर सरकार इतनी खौफजदा थी काले कपड़े और रुमाल तक पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। यहां तक कि नीली शर्ट पहने पत्रकारों तक से सवाल किया गया कि इसे तो पहनकर जाने की अनुमति नहीं है। काली पजामी पहने महिला पत्रकार तक से पुलिस ने सवाल किया।

अमित शाह के विरोध को दबाने और रैली हो जाने देने के लिए राज्‍य की बीजेपी सरकार ने वह सब कुछ किया जो वह कर सकती थी, लेकिन अगर कुछ नहीं हुआ जो होना चाहिए था तो वह था जनता के सवालों के जवाब। हरियाणा के सबसे बडे़ सवाल न तो बेरोजगारी पर किसी की जुबां से एक शब्‍द निकला और न महंगाई पर। कश्‍मीर और धारा 370 खत्‍म करने का बखान करते-करते अमित शाह को लौह पुरुष के तमगे से जरूर नवाज दिया गया। वहीं, अमित शाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गौरव गान करते-करते भारतीय छात्रों को यूक्रेन से लाने के लिए रूस और यूक्रेन के बीच 3 दिन तक जंग रुकवाने देने के झूठ को फिर एक बार दोहरा दिया। विदेश मंत्रालय के इस तरह की किसी भी बात को नकारे जाने को उन्‍होंने किनारे रख दिया। दुष्‍यंत चौटाला की जन नायक जनता पार्टी को इस रैली के लिए निमंत्रण न देकर भी बीजेपी ने भविष्‍य की तस्‍वीर साफ कर दी।

हिरासत में सिरसा-फतेहाबाद के सरपंच, आप नेता नजरबंद

रोहतक के सामाजिक कार्यकर्ता नवीन जयहिंद को पुलिस ने अपने घेरे में लिया। जयहिंद का कहना है कि उन्हें केंद्रीय गृहमंत्री शाह से 5 सवाल पूछने थे। उन्होंने दावा किया कि सिरसा रैली में 30 हजार पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई गई है। सभी जिलों से पुलिसकर्मियों को बुलाया गया है ऐसे में प्रदेश में क्राइम कंट्रोल कैसे होगा । वहीं इस पर अर्बन एस्टेट थाना प्रभारी कहना था कि एहतियात के तौर पर पुलिस को भेजा गया है।

सरपंच एसोसिएशन प्रदेश अध्यक्ष हिरासत में

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की सिरसा रैली को लेकर सरपंचों ने विरोध करने का ऐलान किया था। जिसको लेकर रविवार सुबह सरपंच एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष रणबीर गिल को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। वहीं सरपंच एसोसिएशन के जिला प्रवक्ता हेमंत बैजलपुरिया को भी पुलिस ने हिरासत में लिया।

सरपंच एसोसिएशन के प्रदेश प्रवक्ता नजरबंद

आपको बता दें कि सरपंच एसोसिएशन के प्रदेश प्रवक्ता चंद्रमोहन पोटलिया को शनिवार रात ही पुलिस ने घर में नजरबंद कर दिया था। इसके अलावा सिरसा में सरपंच एसोसिएशन की प्रदेश उपाध्यक्ष संतोष बैनीवाल को भी हिरासत में लिया गया है। संतोष बैनीवाल ने गिरफ्तारी से पहले कहा कि सरकार अपने ओछे हथकंडों से उनकी आवाज को दबा नहीं सकती। अगर सरकार जनहितैषी है तो वो मंच पर आकर बातचीत करे, लेकिन सरकार की नियत में खोट है।

आप के राष्ट्रीय परिषद के सदस्य नजरबंद

सिरसा रैली को लेकर आम आदमी पार्टी की ओर से विरोध करने की चेतावनी दी गई थी और 5 सवालों के जवाब मांगे गए थे। जिसको लेकर पुलिस ने शनिवार रात को ही आप के राष्ट्रीय परिषद के सदस्य विरेंद्र एडवोकेट को उनके घर में ही नजर बंद कर दिया। इसके अलावा कई किसान नेताओं को भी नजरबंद किया गया है ताकि वो रैली में पहुंचकर विरोध प्रदर्शन ना कर सके।

Previous post

पूर्व सांसद शादी लाल बतरा से बातचीत …….. थ्री डी का जवाब देगी जनता , विकास पर आंखों पर पट्टी बांधे हैं अमित शाह

Next post

रोडवेज सांझा मोर्चा के आह्वान पर पूरे हरियाणा में 26 जून को हरियाणा रोडवेज की एक दिन की सांकेतिक हड़ताल

You May Have Missed

error: Content is protected !!