बडी विडम्बना यह है कि सरकार धान की फसल तो एमएसपी पर खरीद लेती है, लेकिन बाजरा, कपास, सूरजमुखी, मक्का जैसी फसलों को एमएसपी पर खरीदने की केवल रस्म अदायगी की जाती है : विद्रोही जब तक फसलों का लागत मूल्य के आधार पर लाभकारी एमएसपी नही दिया जाता और एमएसपी का गारंटी कानून नही बनता, तब तक किसान की आर्थिक हालत सुधरने की बजाय बद से बदतर होती रहेगी : विद्रोही 8 जून 2023 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने मोदी-भाजपा सरकार द्वारा वर्ष 2023 के लिए खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 5.3 से 7 प्रतिशत की वृद्धि को वर्तमान महंगाई व बढती कृषि फसल लागत अनुसार ऊंट के मुंह में जीरा के समान बताया। मूंग, तिल व मूंगफली के एमएसपी में 9 से 10 प्रतिशत वृद्धि अवश्य की है पर इन फसलों को धरातल पर मंडियों में एमएसपी पर खरीदा नही जाता। विद्रोही ने कहा कि धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य में 143 रूपये बढ़ाकर 2040 रूपये से 2183 रूपये प्रति क्विंटल किया है। बाजरा के एमएसपी में 150 रूपये बढाकर 2350 रूपये से 2500 रूपये प्रति क्विंटल किया है। हरियाणा के किसानों के लिए बाजरा व धान का न्यूमतम समर्थन मूल्य ज्यादा महत्व रखता है क्योंकि हरियाणवी किसान खरीफ फसल के रूप में ज्यादातर धान व बाजरे की फसल ही पैदा करते है। वहीं कही कपास, मक्का व सूजरमुखी फसल भी बोई जाती है। जिस तरह धान की फसल लागत बढ़ रही है, उसके मध्यनजर 143 रूपये प्रति क्विंटल की बढोतरी किसान के लिए लाभकारी मूल्य नही कही जा सकती। विद्रोही ने कहा कि बाजरा उत्पादक किसान अच्छे उत्पादन के लिए मौसम पर निर्मर रहता है। बाजरा फसल के जोखिम को देखकर बाजरा एमएसपी में 150 रूपये की बढोतरी अपर्याप्त है। सबसे बडी विडम्बना यह है कि सरकार धान की फसल तो एमएसपी पर खरीद लेती है, लेकिन बाजरा, कपास, सूरजमुखी, मक्का जैसी फसलों को एमएसपी पर खरीदने की केवल रस्म अदायगी की जाती है। हरियाणा में बाजरा, सूरजमुखी, मक्का की फसलों में सरकार एमएसपी पर खरीदने की बजाय भावांतरण योजना में डाल रखा है जिसके चलते न तो किसानों को इन फसलों का एमएसपी मिलता है और न ही भावांतर योजना का पूरा लाभ किसानों को दिया जाता है। विद्रोही ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार फसल एमएसपी घोषित करते समय फसल लागत मूल्य के आंकडो में हेराफेरी करकेे किसानों को लाभकारी एमएसपी देने का झूठा राग अलापकर किसानों को ठगती है जबकि वास्तविकता यह है कि भाजपा सरकार ने खरीफ फसलों की वास्तविक लागत मूल्य से कहीं कम एमएसपी घोषित करके ना केवल उसे ठगा अपितु किसानों को घाटे की खेती के कुचक्र में फंसाकर उन पर कर्ज बोझ और बढ़ाया है। भाजपा सरकार की इसी ठगी का परिणाम है कि जहां देशभर में किसान औसतन कर्ज 78 हजार रूपये है, वहीं हरियाणा में प्रति किसान पर 1.82 लाख रूपये का कर्ज बोझ है। कर्ज बोझ के उक्त सरकारी आंकडे ही बताते है कि भाजपा राज आने के बाद किसान की आय बढने की बजाय घटी है और उस पर कर्ज बोझ भी बढ़ा है। भाजपा नेता फसल लागत मूल्य से डेढ़ गुणा ज्यादा एमएसपी देने व किसान आय दोगुना करने का झूठा राग अलापकर देश व किसानों को ठगकर उसके साथ धोखाधडी व क्रूर मजाक कर रहे है। विद्रोही ने कहा कि जब तक फसलों का लागत मूल्य के आधार पर लाभकारी एमएसपी नही दिया जाता और एमएसपी का गारंटी कानून नही बनता, तब तक किसान की आर्थिक हालत सुधरने की बजाय बद से बदतर होती रहेगी। Post navigation केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हरियाणा के लिए नई मेट्रो लाइन को दी मंजूरी सरकार जनता के बीच मुख्यमंत्री की नई कवायद