जब दूसरी अन्य सभी राजनीतिक पार्टियां पुरानी पेंशन बहाल करने को तैयार हैं तो फिर बीजेपी को क्या दिक्कत है?
अनावश्यक विज्ञापनों पर अरबों खर्चने वाली और अपने पूंजीपति मित्रों के खरबों का ऋण माफ करने वाली सरकार कह रही है की पेंशन से देश दिवालिया हो जाएगा

6/6/2023 :- ‘हरियाणा सरकार के कर्मचारी ओपीएस बहाल कराने के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं लेकिन सरकार इनके हितों की लगातार अनदेखी करके संवेदनहीन बनी हुई है। सुरक्षित व सम्मानित बुढ़ापा चाहने वाले इन कर्मचारियों को मजबूरन आंदोलन की राह पकड़नी पड़ी।’ उक्त बातें महिला कांग्रेस नेत्री सुनीता वर्मा ने प्रेस के नाम जारी विज्ञप्ति में कही। उन्होंने कहा कि जब अन्य राजनीतिक पार्टियां पुरानी पेंशन स्कीम बहाल करने को तैयार हैं तो फिर बीजेपी को क्या दिक्कत है और देश की अर्थव्यवस्था मजबूत करने के लिए जब दो हजार का नोट बंद हो सकता है तो फिर एनपीएस क्यों नहीं?

हरियाणा कांग्रेस सोशल मीडिया स्टेट कॉर्डिनेटर वर्मा ने एनपीएस कर्मचारियों द्वारा नांगल चौधरी से चंडीगढ़ के लिए निकली जा रही ओल्ड पेंशन स्कीम बहाली साइकिल यात्रा का समर्थन करते हुए कहा कि एनपीएस एक ऐसी बाजारी व्यवस्था है जिसका सिवाय बड़े पूंजीपति व्यापारियों के किसी भी कर्मचारी अथवा सरकार को कोई फायदा नही है। लेकिन फिर भी सरकार कर्मचारियों के प्रति दमनकारी नीति अपना रही है। उन्होंने बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि जब गरीब कर्मचारी सरकारी नौकरी करने लगे तो उनकी पेंशन और ग्रेच्युटी बंद कर दी गई, जीपीएफ में जमा बैलेंस को एनपीएस के तहत लाकर उनकी जमा पूंजी को शेयर मार्केट में लगाकर बंदरबांट करने लगे।

महिला कांग्रेस नेत्री ने कहा कि प्रधान सेवक जी ने जिनके लिए नीति बनाई उनको हर महीने कर्मचारियों की मेहनत की कमाई का पैसा जाता है अगर एनपीएस बंद हो जाएगा तो राज्य सरकारों व कर्मचारियों के पैसे बच जाएंगे, एनपीएस में नहीं जाएंगे तो कहीं ना कहीं मोदी के कारपोरेट दोस्तों को बुरा लगेगा क्योंकि उनकी तिजोरी में पैसा नहीं जाएगा इसलिए उन्होंने सभी कर्मचारियों से आह्वान करते हुए कहा कि इस कर्मचारी विरोधी सोच वाली इस बीजेपी को वोट से चोट दो ताकि ये सत्ता से दिवालिया हो जाएं फिर इनकी दिमाग और अकल दोनों ठिकाने आ जाएंगी।

इनके द्वारा कारपोरेट घरानों का खरबों का कर्ज माफ करने से, पूंजीपति बैंक लुटेरे मित्रों को विदेश भगाने से और करोड़ों रुपए अनावश्यक विज्ञापनों पर खर्च करने से देश दिवालिया नहीं होता जबकि इनकी नजरों में सरकारी संस्थानों का निजीकरण करके अपने दोस्तों के हाथों दे दो तो देश बहुत तरक्की करता है और देश के पैरामिलिट्री के जवानों और कर्मचारियों को ओपीएस देने से आर्थिक बोझ बढ़ता है जिससे देश की तरक्की रुक जाती है।

सुनीता वर्मा ने कहा कि ओपीएस दस फीसदी पैसा कर्मचारी की सैलरी से काटती है और चौदह फीसदी पैसा आमजन का इस्तेमाल करती है, जोकि आम आयकरदाता का है। अगर सरकार यह चौदह फीसदी पैसा अपने पास रख ले तो कर्मचारियों के लिए आसानी से ओपीएस लागू किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि एनपीएस के तहत कर्मचारी की सेवानिवृति के बाद साठ फीसदी कर्मचारी को मिलता है तथा चालीस फीसदी से पेंशन दी जाती है और इस पैसे का इस्तेमाल बाजारी व्यवस्था के तहत कंपनियां अपने खुद के हित के लिए करती हैं, उस पैसे का मात्र ब्याज मिलता है और ये पैसा भी बाजार के रिस्क पर होता है तथा इसमें न ही तो डीए का कोई प्रावधान और न ही निश्चित पेंशन की कोई गारंटी। इसलिए अपने युवाकाल में सरकारी सेवा देने वाला कर्मचारी वृद्ध अवस्था में असहाय ना रहे इसके लिए ओपीएस की आवश्यकता है, 2 जून की रोटी भी उसे सेवानिवृति के बाद मिलती रहे इसी संघर्ष का नाम ओपीएस है। वर्मा ने कहा कि कर्मचारियों की इन संवैधानिक मांगों का समर्थन करते हुए कांग्रेस पार्टी केंद्र सरकार को पूरे देश में ओपीएस लागू करने पर मजबूर कर देगी।

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