भारत सारथी गुरुग्राम,सतीश भारद्वाज : गुरुग्राम में रविवार को आयोजित एक विचार गोष्ठी समारोह में बोलते हुए सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि जल्द केस का फैसला हो और कब्जा करने वाले भू माफियाओं पर काफी जुर्माना लगे तभी असली न्याय कहलाएगा। उन्होंने आगे बोलते हुए कठिन शब्दों में कहा कि आज की डेट में आपकी जमीन पर अगर कोई कब्जा कर लेता है तो आपको अपनी जमीन छुड़ाने के लिए कम से कम बीस साल मुकदमा लड़ना पड़ेगा बीस साल के बाद आपको अपनी जमीन मिलेगी लेकिन जमीन की कीमत के बराबर आपका पैसा खर्च हो चुका होगा कोर्ट कचहरी तथा आने जाने में। बीस साल के बाद आपको क्या मिला। कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ा। मानसिक परेशानी झेलनी पड़ी उसे अदालत को कोई सरोकार नहीं है। मगर इसके विपरीत जिसने कब्जा किया हुआ था। चाहे आप की दुकान हो या मकान किराया खाया है यह जमीन व्यापार किया उसको कुछ नहीं हुआ सुप्रीम कोर्ट उठाकर ले जाने के बाद असली मालिक को क्या मिला। असल में तो तब होता जल्दी फैसला होता और कब्जा करने वालों लाखों-करोड़ों का जुर्माना लगता और वह असल मालिक को मिलता। भारत देश में इस समय कम से कम 5 करोड मुकदमे विभिन्न विभिन्न अदालतों में चल रहे हैं । आज की डेट में लगभग कई लाख मुकदमे 20 साल से भी पुराने है और वह भी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में अभी उसके बाद हाईकोर्ट जाएंगे फिर सुप्रीम कोर्ट भी जाएंगे जिसमें पीढ़ी दर पीढ़ी और कई वर्ष बीत जाते हैं। यहां तक भी केस डालने वाले कि इस दुनिया से चले जाते हैं। उन्होंने एक केस का उदाहरण देते हुए बताया कि मेरी जानकारी में एक केस है 1985 में शुरू हुआ वसीयत का मामला था वसीयत करने वाले 31 मार्च को खत्म हुआ या 2 अप्रैल में इतना डिसाइड करना था 2023 आ चुका है। 37 साल में यह तय नहीं हो पाया है कि जिसने वसीयत की थी 31 मार्च को मरा या 2 अप्रैल का एक पक्ष कहता है कि 31 मार्च को मरा दूसरा पक्ष कहता है 2 मार्च को मरा। 37 वर्ष बीत गए अगर नारको पुलिस टेस्ट करा लेते तो 24 या 48 घंटे में पता लग जाता वह वसीयत करने वाला 31 मार्च को मरा या 2 अप्रैल दोनों पक्षों की नार्को टेस्ट करा लेते पता चल जाता। और देशों में यह कानून है ऑस्ट्रेलिया नहर सिंगापुर में है जापान में है भारत में नहीं है क्यों नहीं है क्या बनाने कोई लागत है आम जनता को फायदा होगा कि नहीं लेकिन नहीं बनाया है अगर यह कानून बन जाए और जब हम थाने में शिकायत करते हैं। तो उसको भी थाने में बैठे भ्रष्ट और लापरवाह कर्मचारी अधिकारी तो रोड मरोड़ कर रद्दी की टोकरी में डाल देते हैं। उन्होंने भ्रष्टाचार पर भी बोलते हुए कई ऐसे उदाहरण दिए जिनसे यह पता चलता है कि भ्रष्टाचार को लेकर हमारे देश का नाम विश्व में सबसे पहले नंबर पर लग रहा है। वही उन्होंने कई जांच एजेंसियों पर भी सवाल और कहा कि अगर यह उच्च जांच एजेंसी या इमानदारी से सही काम करें तो देश से भ्रष्टाचार जल्दी कम हो सकता है लेकिन ऊंची सीट पर बैठे भ्रष्ट राजनीतिक लोग उन एजेंसी पर दबाव बनाकर जोड़-तोड़ की राजनीति के कारण सही जांच नहीं होने देते हैं। जिससे भ्रष्टाचारियों और अपराधियों पर कार्रवाई होने में बहुत समय और पैसे की बर्बादी होती है। राजनेताओं का अक्सर काम है कि आपस में जातिवाद भाईचारे अनपढ़ पढ़े-लिखे भेदभाव करा कर एक दूसरे को लड़ा कर अपना उल्लू सीधा करना। अब वक्त आ रहा है कि हर नागरिकों को सभी कानून को समझकर उनका सदुपयोग करना चाहिए। वहीं उन्होंने बांग्लादेशियों की घुसपैठ पर भी जमकर खुलासा किया उनका कहना था कि देश में पहले भ्रष्टाचार के कारण बांग्लादेशी देश में काफी संख्या में विभिन्न विभिन्न क्षेत्रों में फैल गए हैं। जो कि भ्रष्ट लोगों की मदद से अपने सभी कानूनी दस्तावेज देश में तैयार कर रहे हैं। एक समय ऐसा आएगा तब यह घुसपैठिए एकदम से धन धर्म परिवर्तन कर इस्लाम और मुस्लिम धर्म को अपनाएंगे जिससे देश में एक बहुत बड़ा बवाल खड़ा होगा। क्योंकि यह जितने भी घुसपैठिए भ्रष्टाचार के कारण अपना ड्राइविंग लाइसेंस ,आधार कार्ड, पैन बैंक अकाउंट बनवा रहे हैं यह हिंदू लोगों के नाम पर ही बनवा रहे हैं। जिनका फायदा भ्रष्ट राजनेता अपने वोटों के चक्कर में साथ दे रहे हैं। बांग्लादेश बॉर्डर पर गायों की तस्करी के बारे में भी उन्होंने काफी हैरतअंगेज खुलासे किए। कार्यक्रम का आयोजन गुरुग्राम की आरटीआई कार्यकर्ताओं की एक टीम ने मिलकर किया था। इस अवसर पर गुरुग्राम के आरटीआई एक्टिविस्ट हरेंद्र धींगरा , ओम प्रकाश कटारिया, एडवोकेट कुलभूषण भारद्वाज, अंजू रावत,पंकज डावर, सुरेंद्र कुमार, राजेश गुप्ता, सतीश कुमार,नरेंद्र यादव, विजेंद्र सिंह सहित सैकड़ों की संख्या में आरटीआई एक्टिविस्ट वकील समाज सेवक उपस्थित थे। Post navigation सेक्युलर बनाम कम्यूनल की परिभाषा – बोध राज सीकरी भोगवादी प्रवृत्ति ही पर्यावरण के लिए सबसे बड़ा खतरा