‘दुविधा में दोनों गए माया मिली ना राम’, नारनौल अटेली विधानसभाओं में फंस गया पेंच 
उप तहसील विवाद पर दुविधा, सीहमा व दौंगड़ा अहीर दोनों जगह नहीं संभव
महेंद्रगढ़ में भी सीएम लिख गए भाजपा की पटकथा ‘पंडित जी’ अपने रोल को लेकर ‘कंफ्यूज’
सीएम अभय सिंह को बढ़ा रहे है और रामबिलास किए जा रहे हैं दरकिनार
जनसंवाद से भाजपा संगठन जजपा और राव राजा समर्थकों की दूरियां क्या कर रही है इशारा

अशोक कुमार कौशिक 

गांव सीहमा को उपतहसील का दर्जा देने की घोषणा के बाद गांव दौंगड़ा अहीर के लोगों ने मुख्यमंत्री के विरोध के बीच घिरे मुख्यमंत्री को आखिर स्वयं मोर्चा संभाला पड़ा। सीएम की विवशता देखिए जिस प्रतिनिधिमंडल से वह मिलना नहीं चाहते थे 4 घंटे बंधक रहने के बाद आखिर उनसे बात करने को वह विवश हुए। फिर बड़ी सरलता से मुख्यमंत्री ने अधिकारियों के सर ठीकरा फोड़ दिया। जनता को अज्ञानी समझते हुए कह दिया जनसंवाद कार्यक्रम के दौरान अधिकारियों की ओर से उन्हें नहीं बताया गया । उनको यह भी याद नहीं रहा कि इससे पूर्व गांव दौंगड़ा अहीर को उपतहसील का दर्जा देने का आश्वासन उनके द्वारा दिया गया था। जब चाय से लेकर हर छोटा बड़ा कार्यक्रम चंडीगढ़ के इशारे पर तय हुआ था तब मुख्यमंत्री ने जनता को ‘उल्लू’ क्यों बनाया? जबकि खुफिया तंत्र ने सीहमा में ही दौंगड़ा अहीर के लोगों की नाराजगी से उन्हें अवगत करा दिया गया था। फिर भी इस बड़ी घटना के लिए जिला प्रशासन और अटेली विधायक की नासमझी कुछ लोगों द्वारा बताई जा रही है। अब बड़ी ढ़ीठता के साथ व्यवधान के लिए विपक्षियों के सिर टोपी रख दी गई । संभवत है सीएम का अति उत्साह भारी पड़ गया।

सीएम ने आश्वासन का लालीपॉप दे दिया कि जून में अधिकारियों के साथ बैठक कर उपतहसील के लिए दोनों ही गांवों में संभावना तलाशी जाएंगी। तय मापदंडों के निरीक्षण के बाद तय किया जाएगा कि उपतहसील कहां बनाई जाए। सीएम ने ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि इन दोनों गांवों में फिजिबिलिटी तय की जाएगी। मानक पूरे होने पर निर्णय लिया जाएगा। सूत्र बताते हैं कि सीएम को सीहमा में घोषणा से पूर्व बता दिया गया था कि कि वह नोरम पूरा नहीं करता।

दौंगड़ा अहीर को उपतहसील का दर्जा नहीं मिलने पर ग्रामीणों का आक्रोशित होना स्वाभाविक था। ग्रामीणों का कहना था कि वर्ष 2020 में उन्होंने स्वयं गांव दौंगड़ा अहीर को उपतहसील का दर्जा देने की घोषणा रैली के माध्यम से की थी। इसी दौरान मुख्यमंत्री द्वारा सीहमा को उपतहसील बनाने की घोषणा कर दी गई थी। सूत्रों के अनुसार सीएम को घोषणा के साथ ही दौंगड़ा अहीर के लोगों की नाराजगी से अवगत करा दिया गया था। ‌फिर भी कार्यक्रम समाप्त करके सीएम रात्रि ठहराव के लिए गांव दौंगड़ा अहीर पहुंचे। फिर सीएम द्वारा सीहमा को उपतहसील की घोषणा करके किस रणनीति के तहत दौंगड़ा अहीर में रात्रि पड़ाव किया गया। क्या मुख्यमंत्री का निर्णय ग्रामीणों को चिढ़ाने का नहीं था? 

ग्रामीणों ने वीरवार रात को ही नारेबाजी कर दी। इसके बाद शुक्रवार सुबह ग्रामीणों की भारी भीड़ कार्यकर्ता के जिस घर में मुख्यमंत्री ठहरे थे, उसके बाहर जमा हो गई। अधिकारियों के निवेदन पर गांव के प्रतिनिधिमंडल को सीएम से मुलाकात करने के लिए ले जाया गया तो सीएम ने स्वयं मिलने से इन्कार कर दिया। इसके बाद ग्रामीण भड़क गए। उधर, अटेली विधायक सीताराम भी इसी दौरान गांव में पहुंच गए। ग्रामीणों ने विधायक का घेराव कर नारेबाजी शुरू कर दी। गांव के लोगों की भावनाओं को बताने वाला कोई और नहीं पार्टी कई पदाधिकारी थे।  इनमें भोजावास मंडल अध्यक्ष भी थे, किसान प्रकोष्ठ समेत अनेक प्रमुख पदाधिकारी भी थे। अगर अटेली के विधायक सीताराम भी राजनीतिक परिपक्वता और सूझबूझ का परिचय देते और तत्काल मुख्यमंत्री से ग्रामीणों को मिलवाकर समाधान निकलवाते तो इतना बड़ा बखेड़ा खड़ा नहीं होता। परंतु उन्होंने मामले को गंभीरता से ही नहीं लिया और रात होने की बात कहकर मजबूरी जता दी। विधायक ने तो जनता से रात गुजरने के बाद सुबह मिलाने की बात कह दी। शायद विधायक कि गांव वालों पर मजबूती से पकड़ नहीं थी।

पता चला है कि निर्धारित प्रोग्राम में पहले सीएम का सुबह गांव के सीताराम मंदिर में जाने का कार्यक्रम तथा लेकिन रात को ही सीएम को वहां की स्थिति की जानकारी देते हुए खुफिया तंत्र ने आगाह कर दिया, इस कारण वह टाला गया। सुबह भारी विरोध के बाद पुलिस सुरक्षा में विधायक को सीएम के ठहराव स्थल तक ले जाया गया। वहीं जब पूर्व शिक्षामंत्री सीएम के पास पहुंचे तो गाड़ी से उतरते ही ग्रामीणों द्वारा नारेबाजी शुरू कर दी गई। इस तनाव की स्थिति में क्षेत्र की जनता ने अपने शांतिप्रिय होने का परिचय दिया अन्यथा पिछले मुख्यमंत्री काल के दौरान रोहतक में पूर्ण बहुमत वाली भाजपा सरकार के राज में जो तांडव हुआ था वह सर्वविदित है।

मुख्यमंत्री के विरोध को देखते हुए गांव को पुलिस छावनी में तबदील कर दिया गया। मौके पर डीजी सीआईडी आलोक कुमार, एसपी विक्रांत भूषण व अन्य अधिकारी दलबल के साथ पहुंच गए। इस दौरान भारी पुलिस बल की तैनाती भी मुख्यमंत्री के ठहराव वाले मकान के बाहर कर दी गई थी। रस्से बांधकर ग्रामीणों को उस मकान से दूर रखने की कोशिश की गई।

– सुरक्षा के आधार पर कार्यकर्ता के घर का हुआ चयन

दौंगड़ा अहीर में मुख्यमंत्री के रात्रि ठहराव को लेकर सीएम सिक्योरिटी के समक्ष ग्रामीणों की ओर से सात ऑप्शन रखे गए थे। इनमें वीरवार रात मुख्यमंत्री जिस घर में रुके थे, वो पुराने कार्यकर्ता का घर है। सुरक्षा की दृष्टिगत सीएम सिक्योरिटी की ओर से इसका चयन किया गया था।

अधिकारियों की रिपोर्ट के आधार पर सीहमा को उप तहसील की घोषणा की गई। हालांकि दोनों गांवों की दावेदारी अपनी जगह ठीक है। सीहमा नारनौल विधानसभा का बड़ा गांव है तो वहीं दौंगड़ा अहीर अटेली विधानसभा के अधीन आता है। फिलहाल दौंगड़ा अहीर व आसपास के 24 गांवों के लोगों को तहसील का काम करवाने के लिए कनीना तहसील में जाना पड़ता है जो लगभग 21 किलोमीटर दूर पड़ती है। दौंगड़ा अहीर और आसपास के गांव के लोगों का दर्द यह था कि सीएम ने दौगड़ा अहीर में वर्ष 2020 में उप तहसील बनाने का वादा किया था और अब सीएम उनके गांव के बजाय नजदीकी गांव सीहमा को उप तहसील बना रहे हैं। वहीं सीहमा ब्लाॅक की बात करें तो यहां के लोगों को भी लगभग 16 किलोमीटर दूरी तय कर नारनौल आना पड़ता है। जनसंख्या की दृष्टि से दोनों गांव में लगभग समान ही है। 

– सीहमा ब्लॉक, दौंगड़ा अहीर सिर्फ गांव 

सीहमा ब्लॉक भी है। कांग्रेस सरकार के दूसरे कार्यकाल में सीहमा को ब्लॉक बनाने की घोषणा की गई थी जबक दौंगड़ा अहीर सिर्फ गांव है। हालांकि दौंगड़ा अहीर से आसपास के कई गांव प्रभावित हैं। नेशनल हाईवे का कट भी गांव को लगता है। यही नहीं पूर्व विधायक, वर्तमान विधायक व केंद्रीय मंत्री भी दौंगड़ा अहीर को उप तहसील बनाने की मांग का समर्थन कर चुके हैं। 

अटेली विस के कई गांवों की आबादी दौंगड़ा अहीर से अधिक 

 दौंगड़ा अहीर गांव अटेली विधानसभा में आता है और सीहमा नारनौल विधानसभा के अधीन आता है। सीहमा गांव नारनौल विस का सबसे बड़ा गांव है जबकि दौंगड़ा अहीर की आबादी जितने चार से पांच गांव अटेली विधानसभा में ओर भी है। इसमे कांटी, खेड़ी, बाछौद, भोजावास और धनौंदा शमिल हैं। इसमें कांटी झज्जर रियासत में जिला, नाभा रियासत तथा संयुक्त पंजाब में तहसील रहा है। 

-दोनों गांवों को उप तहसील की घोषणा लोगों को नहीं हो रही हजम 

विरोध के बाद सीएम मनोहरलाल ने दौंगड़ा अहीर की रिपोर्ट अधिकारियों से लेने और अगले माह अटेली विस के दौरे पर इसे फिजिबिलिटी तय कर उप तहसील का दर्जा देने की बात कही, लेकिन यह बात भी लोगों को हजम नहीं हो रही। दौंगड़ा अहीर और सीहमा के बीच की दूरी मात्र 6 से 7 किलोमीटर है। ऐसे में दो उप तहसील का एक साथ कोई औचित्य नहीं रह जाएगा। 

– पंडित जी के खाली रह गए दोनों हाथ

अब बात करें सीएम जनसंवाद महेंद्रगढ़ उपमंडल की। इसमें भी सीएम विशेष पटकथा लिख कर चले गये। इसमें पूर्व शिक्षा मंत्री रामविलास शर्मा ऐसी भूमिका में नजर आ रहे हैं जहां सब कुछ होते हुए भी उनके हाथ खाली है। सीएम से उनके संबंध इस कार्यक्रम में दिखावे तौर पर संतुलित नजर आए लेकिन अंदर खाने एकदम उलट इशारा कर रहे थे। इसका उदाहरण नांगल सिरोही कार्यक्रम से पूर्व सीआईए पुलिस ने 2 सरपंचों के खिलाफ मामला दर्ज किया जिन्हें प्रोफेसर रामविलास ने आने का न्योता दिया था। जबकि पुलिस की खुफिया एजेंसी उन्हें इस कार्यक्रम से आने से रोक रही थी। इसका मतलब पुलिस की नजर में यह सरपंच सीएम के कार्यक्रम में व्यवधान डालने के मकसद से आ रहे थे। जबकि प्रोफेसर रामविलास शर्मा उन्हें आने के लिए बार-बार दबाव बना रहे थे। इसका खुलासा स्वयं सरपंच एसोसिएशन ने मीडिया के समक्ष किया।

यहां बता दें कि 2014 से पहले हरियाणा में भाजपा की सरकार नहीं थी उस समय प्रोफेसर रामविलास शर्मा पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर सबसे प्रभावशाली नेता थे। उस समय स्थिति यह भी थी जब संगठन मंत्री के तौर पर मनोहर लाल खट्टर को प्रोफेसर शर्मा से मिलने या बातचीत करने के लिए इंतजार करना पड़ता था। मुख्यमंत्री ने बनने का मलाल पूर्व शिक्षा मंत्री मंचों पर बयां करते रहे हैं। इन दोनों सीनियर नेताओं में सरकार होते हुए भी जो तालमेल होना चाहिए था उसमें भी साथ दूरियां नजर आ रही थी। दूसरे शब्दों में कहें तो दोनों नेताओं ने अवसर मिलने पर एक दूसरे को हैसियत बताने का कोई कसर नहीं छोड़ी। जिले में भाजपा में दो धड़े स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं।

नांगल सिरोही जनसंवाद में सीएम ने भाजपा के उन नेताओं को ज्यादा तवज्जो दी जो पंडित जी के लिए राजनीतिक चुनौती के तौर पर नजर आ रहे थे। प्रोफेसर शर्मा के राजनीतिक विरोधी महेंद्रगढ़ के पूर्व जिला अध्यक्ष एवं दी महेंद्रगढ़ सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक के पूर्व चेयरमैन कंवर सिंह यादव ने पगड़ी पहनाकर सीएम का स्वागत किया। यहां यह भी बताना उचित रहेगा की कंवर सिंह यादव ने पंडित जी के सगे भाई राजेंद्र शर्मा को बैंक में चेयरमैन बनने से रोक कर खुद की मजबूती दिखाई है। अब वे विधायक नांगल चौधरी अभय सिंह यादव की टीम में है। शायद यही कारण रहा कि पंडित जी का नांगल चौधरी कार्यक्रमों में दूर रहें। वर्तमान भाजपा जिला अध्यक्ष दयाराम यादव भी कदमताल करते हुए डॉ अभय सिंह के साथ भाजपा को सीएम की शह से विस्तार दे रहे हैं। आज पंडित जी को कांग्रेस व अन्य दलों से ज्यादा चुनौती अपने ही दल के लोग दे रहे है। यहां यह भी बता दे की सतनाली में ‘राव राजा’ इंद्रजीत के जो खासमखास प्रदेश सरकार में मंत्री ओम प्रकाश यादव व डॉ बनवारीलाल पंडित जी के साथ कार्यक्रम में उपस्थित रहे। लगता है दोनों तरफ से अपने-अपने मोहरे फिट किए जा रहे हैं।

अकेले खट्टर ही ‘भाजपा की नैया के खिवैया’ बन गए

सीएम मनोहर लाल खट्टर ने नांगल चौधरी, नारनौल व महेंद्रगढ़ विधानसभा में तीन तीन जगह जनसंवाद कार्यक्रम किए। अटेली विधानसभा में एक भी जनसंवाद कार्यक्रम में न रखना भी चर्चा का विषय रहा। ‌सीएम ने विभिन्न क्षेत्र में नो जगह कार्यक्रम किए। कार्यक्रम में भाजपा संगठन के लोगों की दूरी पार्टी की भविष्य की राजनीति पर सवाल खड़े कर रही है। सबसे ज्यादा चर्चा का विषय रहा अहीरवाल के क्षत्रप  ‘राव राजा’ के समर्थकों की कार्यक्रमों से दूरी। साथ ही प्रदेश सरकार की सहयोगी रही जेजेपी के नेताओं की दूरियां भी प्रदेश में राजनीति में होने वाले बदलावों की तरफ संकेत कर रही है।

24 मई को जिले के नांगल चौधरी विधानसभा में पहुंचे थे। जिले में पहुंचने पर पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रामबिलास शर्मा ने उनका अभिनंदन किया था। बाद में वह नांगल चौधरी विधानसभा के गांव गोद बलाहा, निजामपुर मोसनुता में कहीं दिखाई नहीं दिए। इन तीनों कार्यक्रमों में पार्टी के नवनियुक्त जिला अध्यक्ष दयाराम यादव के अतिरिक्त किसी भी पदाधिकारी की सक्रियता नहीं दिखी। इस तरह सीएम ने जिले में अपने प्रवास के दूसरे दिन नारनौल विधानसभा के लोगों से मिले लेकिन वहां भी पार्टी के किसी पदाधिकारी या पूर्व जिला अध्यक्ष नजर नहीं आए।

भले ही सीएम ने पत्रकारों से पार्टी संगठन पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं व बड़े नेताओं के कार्यक्रमों में शिरकत नहीं होने के सवाल को गंभीरता से नहीं लिया या यूं कहें की बड़ी सरलता से वह टाल गए। उन्होंने इसे केवल पार्टी संगठन में नेताओं के अलग-अलग कार्यक्रमों की जिम्मेवारी होने उनके अपने क्षेत्र में सक्रिय होने की बात कह दी। लेकिन पार्टी पदाधिकारी कार्यक्रमों में ज्यादा सक्रियता नहीं देखने से राजनीतिक जानकर लोग सवाल उठा रहे हैं। भाजपा ने भी अपने जिला अध्यक्ष राकेश शर्मा को हटाकर दयाराम यादव को नियुक्त किया। उनकी नियुक्ति के पीछे एक बड़ा कारण भी है, निर्माणाधीन भाजपा का जिला कार्यालय। यहां ब्राह्मण से कमान छीनकर यादव को दी गई जबकि जजपा ने जिला प्रधान तेज प्रकाश यादव के हाथों से कमान छीन कर ब्राह्मण मनीष शर्मा की नियुक्ति की।

प्रदेश में भाजपा जजपा गठबंधन सरकार है। उसमें दोनों पार्टी के नेता एक साथ चुनाव लड़ने की बात कर रहे है। लेकिन उनके कार्यक्रमों व संगठन की गतिविधियां से लग रहा है कि भले ही दोनों पार्टियों के नेता साथ-साथ चुनाव लड़ने का दावा कर रहे हो लेकिन तैयारियां दोनों की पार्टी अपने स्तर पर अलग-अलग कर रही है । 

इसके पीछे लोगों का तर्क है कि सीएम स्वयं एक कार्यक्रम में प्रदेश में भाजपा की सरकार होने का दावा कर चुके हैं। भले ही बाद में अपने बयान से बदल गए। दूसरी तरफ दुष्यंत चौटाला ने अपने कार्यक्रम के दौरान मीडिया से इस संबंध में सीएम से ही प्रश्न पूछने की बात कही थी। 

इन कार्यक्रमों में जेजेपी की दूरी व इसके साथ ही जिले में जेजेपी के पार्टी नेताओं की बढ़ रही सक्रियता भी जिले की राजनीति में बदलाव के संकेत हैं ।‌ बता दें कि मई माह में जेजेपी के वरिष्ठ नेता न केवल सक्रिय हुए हैं अपितु 7 मई को पार्टी के सुप्रीमो डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने रैली कर पार्टी कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा का संचार किया। इसके तुरंत बाद पार्टी ने जिला अध्यक्ष को बदलकर जातीय समीकरण साधने का प्रयास किया। इसके तुरंत बाद 16 मई को पार्टी के युवा प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र सांगवान ने जिले में यूथ कार्यकर्ताओं का सम्मेलन कर संगठन को मजबूत करने का प्रयास किया। फिर महिला प्रकोष्ठ ने कार्यक्रम किए। अब वह एक बार फिर 1 जून से जिला महेंद्रगढ़ में पार्टी को मजबूत करने के लिए आ रहे हैं।

मनोहर लाल 3 दिन जिले में रहे। संवाद कार्यक्रम में राव इंदरजीत सिंह के समर्थकों ने भी दूरी बनाए रखी। राव इंद्रजीत के समर्थक न तो नांगल चौधरी विधानसभा न हीं नारनौल विधानसभा क्षेत्र के कार्यक्रमों में दिखे और न महेंद्रगढ़ में दिखाई दिए। इस पर लोग चुटकी ले रहे हैं। राजनीति जानकार मान रहे हैं कि अहीरवाल में राव इंद्रजीत सिंह अपना वजूद रखते हैं। सीएम के कार्यक्रम में उनके समर्थकों का नहीं आना भविष्य के लिए भाजपा के लिए अच्छे संकेत नहीं है। क्या सरकार और संगठन में सबकुछ ठीक नही? इसके कयास लगाए जा रहे हैं।

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