हैफेड के अधिकारी खेल रहे हैं आढ़तियों यों के साथ मुट्ठी गर्म का खेल

भारत सारथी/ कौशिक

नारनौल। गत 11 व 12 मई को दो दिन अनाज मंडियों में हैफेड की ओर से प्रदेश सरकार के आदेशों पर आनन-फानन में भारी मात्रा में सरसों की खरीद सरकारी समर्थन मूल्य पर कर ली तो गई, लेकिन अब एक पखवाड़ा से भी ज्यादा समय बीतने के बावजूद यह खरीद एजेंसी के अधिकारियों के गले की फांस बनी हुई है। खरीदी गई सरसों माल गोदामों तक नहीं पहुंचने के कारण जहां किसानों को पेमेंट नहीं हो पा रही है तथा आढ़तियों को भी नुकसान उठाना पड़ रहा है। वही नारनौल के आढ़तियों ने बताया सरसों उठान के पीछे हैफेड अधिकारियों द्वारा मोटे पैसों का खेल खेला जा रहा है। जो आढ़ती पैसा दे रहे हैं उनकी सरसों का उठान आंख बंद कर किया जा रहा है और जिन की तरफ से सेवा शुल्क नहीं मिलता उनके ट्रकों को वापिस भेजा जा रहा है। जिले की मंडियों में अब भी करीब 1.25 लाख बैग सरसों के मंडियों में पड़े हैं, जिन पर बार-बार बरसात की भी मार पड़ रही है। इससे जिले के किसानों का करीब 40-45 करोड़ रुपये फंसा हुआ है।

उल्लेखनीय है कि प्रदेश सरकार ने इस बार रबी सीजन की सरसों फसल की खरीद 28 मार्च से सरकारी समर्थन मूल्य 5450 रुपये प्रति क्विंटल की दर से खरीद करने की घोषणा की थी। यह सरसों केंद्रीय एजेंसी नैफेड के लिए खरीदी गई। तब हैफेड ने खरीद एजेंसी के तौर पर जिले की छह मंडियों से करीब 23 हजार मीट्रिक टन सरसों खरीदी। 20 अप्रैल से पहले ही नैफेड का कोटा पूरा होने के चलते यह खरीद बीच में ही रोक दी गई, जबकि हजारों किसान पुन: सरकारी समर्थन मूल्य पर सरसों खरीद शुरू करवाना चाहते थे। कुछ दिन बीतने के बाद सरकार ने नया फैसला लिया तथा 11 व 12 को महज दो दिन के लिए पुन: खरीद खोलने का निर्णय लिया, लेकिन तब महज दो ही दिन निर्धारित करने के चलते किसान भारी मात्रा में सरसों लेकर मंडियों में टूट पड़े थे। जिस कारण पहले जहां पूरे जिले में 20-22 दिन में केवल 23 हजार मीट्रिक टन सरसों खरीदी गई थी, उसकी तुलना में महज दो दिन में यह आंकड़ा 28 हजार मीट्रिक टन को पार कर गया। इतनी भारी मात्रा में सरसों आने से मंडियों में कदम रखने तक को जगह नहीं बची थी और सारी व्यवस्था चौपट हो गई थी। रिकार्ड तोड़ आवक होने से सरसों खरीद एवं तुलाई में ही खरीद एजेंसी को कई दिन अतिरिक्त लग गए थे, अन्यथा रोजाना की रोजाना खरीद होने पर तुलाई का सिस्टम बना हुआ था, जो बाद में एकदम से चरमरा गया। हर तरफ मंडियों में सरसों से लदे वाहन खड़े थे।

1.25 लाख बैग अब भी पड़े हैं मंडियों में:

रिकार्ड तोड़ आवक होने से सरसों अब भी मंडियों में पड़ी है। जिले की नांगल चौधरी, सतनाली, कनीना मंडी जहां क्लीयर हो चुकी हैं, वहीं नारनौल, अटेली एवं महेंद्रगढ़ की अनाज मंडियों में अब भी सरसों का उठान नहीं हो पाया है। दूसरी ओर इस सीजन में मौसम बार-बार करवट ले रहा है तथा थोड़े अंतराल में बार-बार बरसात हो रही है। मंडियों में पर्याप्त टीनशेड नहीं होने के कारण काफी सरसों खुले आसमान के नीचे भी पड़ी है, जो बरसात में भीगने से खराब हो रही है, वहीं इसके उठान में भी देरी हो रही है। सबसे ज्यादा खराब हालत अटेली मंडी की है, जहां जिले में सबसे ज्यादा सरसों की आवक हुई थी। अटेली मंडी में 1.12 लाख बैग अब भी सरसों के रखे हुए हैं, लेकिन उठान नहीं हो पा रहा है। इसी प्रकार नारनौल में कुल 128241 बैग में से करीब 18 हजार बैग अब भी मंडी में रखे हैं। इसी प्रकार महेंद्रगढ़ में भी 6-7 हजार बैग पड़े हुए हैं।

किसानों को नहीं मिल पा रही पेमेंट:

मंडी में उठान से वंचित सरसों की किसानों को पेमेंट नहीं हो पा रही है। नियम के अनुसार जो सरसों माल गोदाम में पहुंच रही है, उसका रिकार्ड तैयार होने के बाद ही किसानों को पेमेंट डाली जा रही है। इन हालातों में काफी सरसों मंडियों में बकाया रहने से जिले के सैंकड़ों किसान अब भी पेमेंट से वंचित हैं। यह बकाया राशि करीब 40 से 45 करोड़ के बीच है। किसान बार-बार फोन करके पेमेंट आने की बात अधिकारियों से करते रहते हैं।

आढ़ती पिस रहे

इस बार हैफेड ने आढ़तियों के माध्यम से सरसों खरीदी थी। इसकी एवज में सरकार आढ़तियों को कमीशन देती है, लेकिन यह तभी मिलता है, जब सरसों माल गोदाम तक पहुंच जाती है। इससे पहले सरसों भीगने, सूखाने, साफ-सुथरा करने एवं अन्य तमाम खर्च आढ़ती को ही वहन करने पड़ रहे हैं। मंडी प्रधान लाला बृजमोहन गर्ग ने बताया कि इस बार उठान में देरी होने से आढ़तियों का लाखों रुपये का नुकसान हो गया है।

उठान के पीछे अधिकारियों का चल रहा है मुट्ठी गर्म करने का खेल

नारनौल तथा मंडी अटेली के आढ़तियों का कहना है कि सरसों उठान के पीछे हैफेड के अधिकारियों का खेल चल रहा है जो व्यापारी उनकी जेब गर्म कर रहा है उनके सरसों का उठान किया जा रहा है और जिस व्यापारी की तरफ से सेवा शुल्क नहीं मिलता उनकी सरसों क्वालिटी खराब बताकर या तो उठाई नहीं जाती या फिर दूर गोदामों से वापिस भेजी जा रही है । नारनौल में कुछ आढ़तियों के ट्रक वापस कर दिए गए। हैफेड का यह खेल ऊपर तक चल रहा है, जिसको लेकर मंडी अटेली के व्यापारियों ने विधायक सीताराम यादव से गत दिनों शिकायत भी की थी।

गोदामों में जगह नहीं होने से परेशानी

हैफेड के जिला महाप्रबंधक नीरज त्यागी ने बताया कि इस बार रिकार्ड तोड़ सरसों आने से जिले के गोदाम कम पड़ गए हैं। जिले में केवल 40 मीट्रिक टन की क्षमता है। इस कारण सरसों जींद एवं पानीपत भेजी जा रही है। वहां पर साफ-सुथरी सरसों नहीं होने की भी परेशानी आ रही है। कई ट्रक वापस कर दिए गए, जिस कारण उठान में देरी हो रही है। इस बार बरसात भी कुछ ज्यादा की परेशान कर रही है। यदि मौसम साफ रहा तो अगले दो-तीन दिन में सारी सरसों का उठान कर लिया जाएगा।

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