पंचकुला — देश के नये संसद भवन के उद्धघाटन पर जहाँ देश की आवाम अपने आप मे गोरवनिय महसूस कर रही है वहीं देश की प्रथम नागरिक राष्ट्रपति आदिवासी द्रोपदी मुर्मू की अनदेखी देश की आवाम को शर्मसार कर गई है । यह बात वरिष्ठ पत्रकार व समाज सेवक यतीश शर्मा ने एक प्रेसविज्ञप्ति जारी करते हुए कही ।

उन्होंने कहा की देश का संसद भवन देश मे चल रही समस्या , उनके हक में पक्ष विपक्ष आपस में एक दूसरे से तर्क वितर्क कर देश की भलाई के लिये सविधान से बने कानून में बदलाव के लिये एक नया मत लाने में सहमति से प्रस्ताव को पास करवाते हैं । जब देश की आवाम के हित के लिये जहाँ फैंसले लिये जा रहे हों । उसके उद्धघाटन के समय देश के प्रथम नागरिक राष्ट्रपति की अनदेखी पूरे देश का अपमान नही तो क्या है । सत्ता का मोह देखने वाले राजनेतिक दल इस बात को अच्छे से समझ ले कि उस संसद भवन में भेजने का रास्ता देश की आवाम ही दिखाती है ।

यतीश शर्मा ने कहा की भारत देश मे 2 पर्व 26 जनवरी गणतंत्र दिवस 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस । गणतन्त्र दिवस जिस दिन देश के सविधान को लागू कर देश की आवाम को उनके हक निर्धारित किये गये । स्वतंत्रता दिवस जिसके लिये देश को आजाद करवाने के लिए ना जाने कितने शहीदों ने अपनी शहादत दे देश को आजाद करवाया था। जिसमे देश के प्रधानमंत्री लालकिले पर तिरंगा लहरा देश की आवाम को आजाद देश का बाशिंदा होने का प्रमाण देता है ।

यतीश शर्मा ने कहा कि क्या नये संसद भवन की जब नींव रखी गई तब भी भारत देश के प्रथम नागरिक राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द की अनदेखी की गई । अब जब नये संसद भवन के उद्धघाटन का दिन आया तब भी देश के प्रथम नागरिक राष्ट्रपति आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मू की भी अनदेखी कर देश की आवाम को शर्मसार किया गया है ।

यतीश शर्मा ने कहा कि नये संसद भवन का उद्धघाटन अगर देश की प्रथम नागरिक राष्ट्रपति आदिवासी द्रोपदी मुर्मू से करवाया जाता तो यह दिन देश की आवाम एक पर्व की तरह मनाते ओर उनकी खुशी दुगनी हो जाती ।

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