विश्लेषण पहला भाग…….. क्या भाजपा का जन संवाद पार्टी को दे पाएगा जिला महेंद्रगढ़ में मजबूती

जनसंवाद द्वारा बिछाई गई राजनीतिक बिसात कितनी कारगर
कार्यक्रम उसी जगह पर आयोजित जहां पार्टी की स्थिति कमजोर, कार्यक्रम तय करते समय जातिगत समीकरण का ध्यान
जिला महेंद्रगढ़ में जनसंवाद से कोई बड़ी घोषणा नहीं, सीहमा उप तहसील की घोषणा बनी गले का पास
दौंगड़ा अहीर विवाद में अब ठीकरा विपक्षियों के सिर पर

अशोक कुमार कौशिक

प्रदेश में चुनाव की आहट सुनाई देने लग गई है । प्रदेश का गठबंधन नेतृत्व चाहता है कि लोकसभा के साथ-साथ हरियाणा में भी चुनाव करा ली जाए। हालांकि प्रदेश के चुनाव में डेढ़ साल का समय है प्रत्याशियों को देखकर अनुमान लगाया जा सकता है की विधानसभा चुनाव भी लोकसभा के साथ हो जाए। भाजपा और जजपा चुनाव के दृष्टिगत अपनी-अपनी भी साथ बिसात पर मोहरे फिट कर रहे हैं। गठबंधन चुनाव में रह पाएगा या नहीं इसके बारे में अभी से कोई पूर्व अनुमान लगाना उचित नहीं होगा। दोनों पार्टियां के नेता अपने अपने स्तर पर अपनी पार्टी को मजबूती देने में लगे हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री जनसंवाद कार्यक्रम करके मजबूती देने का प्रयास कर रहे है। उनका प्रयास कितना सिरे चढ़ पाएगा यह तो चुनाव का परिणाम ही तय करेगा, पर उनके कार्यक्रम विवादों का केंद्र अवश्य बन रहे हैं। जिला महेंद्रगढ़ जनसंवाद का विश्लेषण हम दो भागों में करेंगे पहला भाग आज प्रस्तुत है….

यह तय है कि जनसंवाद वहां आयोजित किए जा रहे हैं जहां पार्टी कमजोर स्थिति में है। कार्यक्रम तय करते समय सारी रूपरेखा चंडीगढ़ से तय की जाती है यहां तक कि चाय किसके पीनी है यह भी चंडीगढ़ ही तय करता है। उसका इनपुट देने के लिए खुफिया विभाग और पुलिस को फ्री हैंड दिया गया है।

जनसंवाद में सभी समीकरण को ध्यान में रखा जाता है। मुख्यमंत्री जनता को लुभाने के लिए गांव-गांव चल दिए।

जनसंवाद में लोगों से संपर्क खुलकर नहीं किया जा रहा इसमें पार्टी के वफादार और विरोध न करने वालों को तवज्जो दी जा रही है। विरोध करने वालों को पहले ही पुलिस पाबन्द करती है। जिला महेंद्रगढ़ में जनसंवाद कार्यक्रम में यह देखने को मिला। नांगल चौधरी जनसंवाद से पूर्व तीन पीढ़ी से भाजपा की सेवा में लगे सूबेदार जगराम को पुलिस द्वारा पाबंद करना हो या नांगल सिरोही जनसंवाद से पूर्व संघ के कार्यकर्ता तथा गांव माजरा खुर्द सरपंच पति प्रवीण पुलिस द्वारा हिरासत में लेना इसके सबसे बड़े उदाहरण है। प्रवीण के साथ दुलॉथ अहिर के सरपंच देवेंद्र उर्फ छोटू तथा सतनाली के 3 सरपंचों को भी पुलिस ने हिरासत में लिया। सतनाली जनसंवाद में अपने पिता शालू राम की वृद्धावस्था पेंशन को लेकर आए रमेश को भी पुलिस ने वहां से उठा लिया। उपरोक्त घटनाओं से सिद्ध होता है या तो मुख्यमंत्री को अहंकार हो गया या वह जरुर से ज्यादा आत्मविश्वास में है। सीएम की नजर में आने के लिए जिस प्रकार पुलिस बल का सहारा लेकर विरोधी दलों के लोगों को पाबंद किया गया वह भी उनके खिलाफ ही जाएगा।

शायद सिरसा में जबरदस्त विरोध के बाद पार्टी ने रणनीति बदली। जिला महेंद्रगढ़ में एक नया प्रयोग किया गया कि मुख्यमंत्री रात्रि प्रवास भी गांव में करेंगे। तीन दिवसीय जनसंवाद कार्यक्रम का शुभारंभ नांगल चौधरी विधानसभा क्षेत्र से किया गया इसके बाद वे नारनौल और अंतिम कार्यक्रम के तौर पर महेंद्रगढ़ हल्के में जनसंवाद करेंगे। इसी बीच नारनौल विधानसभा के गांव सीहमा जनसंवाद के बाद गांव दौंगड़ा में रात्रि पड़ाव रखना समझ से परे है। सीहमा को मुख्यमंत्री ने उप तहसील का दर्जा देने की घोषणा की, 6 किलोमीटर समिति अटेली विधानसभा का बड़ा गांव दौंगड़ा अहीर को उसी गांव की पिछली रैली में विकासखंड तथा उप तहसील का दर्जा देने के सब्जबाग दिखाए गए थे। यह सब्जबाग दिखाने में पूर्व में क्षेत्र की विधायक रही संतोष यादव पीछे नहीं रही। इसको परवान चढ़ाया केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने। उन्होंने ग्रामीणों की मांग को जायज बताया। उसी राह पर अटेली के वर्तमान विधायक सीताराम यादव ने विधानसभा में तथा सीएम के समक्ष मांग को रखा। नारनौल विधानसभा में अहीर समुदाय को रिझाने तथा भाजपा की पैठ बनाने के चक्कर में वह गच्चा खा गए। उनको शायद में अनुमान नहीं था की दौंगड़ा अहीर इतना तगड़ा झटका देगा और उन्हें 4 घंटे तक बंधक बनाए रखेंगे।

पहले बात करें नांगल चौधरी विधानसभा की तो 2014 में नाम मात्र वोटों से जीतने वाले डॉ अभय सिंह बाबा रामदेव के आशीर्वाद से भाजपा की टिकट ले पाए थे। भाजपा, राव इंदरजीत और डेरा सच्चा सौदा के समर्थन के बावजूद उनकी जीत हजार मतों से भी नीचे रही थी। 2019 में मोदी लहर, उत्तरी हरियाणा में जाट सरकार बनने के ‘हव्वा’ ने तथा दक्षिणी हरियाणा को मुख्यमंत्री देने की अफवाह ने उनको अच्छे मतों से जिताया। इस बार भाजपा की खराब हवा और डॉ अभय सिंह के प्रति पनप रही जनता में नाराजगी से वह परिचित है। इस बार कांग्रेस से यदि कोई सशक्त उम्मीदवार उतरता है तो वह उनको करारी टक्कर दे सकता है। परदो बार विधायक रहने के वह राजनीतिक दांवपेच जान गए हैं। इसी भय से मुख्यमंत्री के चेहरे की आड़ लेकर विधायक द्वारा राजनीतिक बिसात बिछाई गई है।

इन कार्यक्रमों के द्वारा मुख्यमंत्री ने हर वर्ग के मतदाताओं को लुभाने की योजना के तहत अनुसूचित जाति के मतदाताओं को एससी कार्यकर्ताओं के यहां चाय पी, जाट कार्यकर्ता के यहां भोजन किया। ओर तो ओर रात्रि पड़ाव जाट धर्मशाला में रखा गया ताकि जाटों के साथ-साथ नांगल चौधरी कस्बे के अन्य वर्गों के मतदाताओं से संपर्क कर उन्हें रिझाया जा सके।

जिला महेंद्रगढ़ के प्रथम दिन मुख्यमंत्री नांगल चौधरी विधानसभा के गांवों में थे। पहला कार्यक्रम दोहान पच्चीसी के गांव गोदबलाहा में रखा गया। इस कार्यक्रम में 3 बड़े गांव गोद, बलाहा कला व बलाहा खुर्द पड़ते हैं। यह तीनों गांव अहीर बाहुल्य है। इसके आसपास पढ़ने वाले अधिकांश गांव बहुसंख्या अहीर आबादी वाले हैं। अहीर मतदाताओं के बलबूते चुनाव जीतते आए अभय सिंह यादव ने अहीरों पर पकड़ मजबूत करने के लिए पहला कार्यक्रम इसी सोच को ध्यान में रखकर करवाया है।

इसके बाद अगला कार्यक्रम निजामपुर में था यह नलवाटी का क्षेत्र है जिसमें 9 गांव आते हैं। इसमें 7 गांव जाटों के हैं जिसमें निजामपुर के अलावा पैरा, नापला, छिलरो, गावड़ी जाट और सरेली शामिल है। जाट मतदाताओं को जोड़ने के लिए बड़े सूझबूझ से नलवाटी में यह कार्यक्रम तय किया गया। हालांकि पहले से ही उम्मीद थी किया कुछ विरोध होगा इसलिए सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद थी और तमाम उन लोगों पर पुलिस का शिकंजा कसा गया जो विरोध कर सकते थे। यहां 3 पीढ़ी से भाजपा से जुड़े सूबेदार जगराम को भी पुलिस भेज कर कार्यक्रम से दूर रहने को कहा गया। सूबेदार जगराम जाट बिरादरी से है और विधायक के मतभेद जगजाहिर है। किसी तरह का विरोध न हो इसके लिए सुरक्षा एजेंसियां सचेत थी।

अहीर और जाट मतदाताओं के बाद गुर्जर मतदाताओं को साधने के लिए तीसरा जनसंवाद का कार्यक्रम गुर्जरवाटी के मुसनोता गांव में रखा गया। हालांकि विधायक डॉ अभय सिंह यादव को पिछली बार गुर्जरों के वोट मिले थे पर इस बार इसका बड़ा हिस्सा वापिस मूलाराम को जाता लग रहा है और मूलाराम हाल ही में कांग्रेस में चले गए हैं। मूलाराम के पिता चौधरी पूसाराम दो बार विधायक और हैफेड के चेयरमैन भी रहे। गुर्जरों पर इस परिवार की अच्छी पकड़ रही है। एक बार चुनाव में बाहरी उम्मीदवार रेणु पोसवाल को उतारा गया था तब उनके समर्थन में राजेश पायलट चुनाव सभा को संबोधित करने के लिए आए थे तो इस बिरादरी ने अपने नेता राजेश पायलट के हेलीकाप्टर को हेलीपैड से ही वापस लौटने को मजबूर कर दिया था। विधायक अभय सिंह यादव का गुर्जरों को लुभाने का प्रयास कितना सिरे चढ़ पाएगा यह आने वाला समय तय करेगा।

नांगल चौधरी विधानसभा क्षेत्र में गुर्जरों के अनुमान 31 से 32 हजार जाटों के 23 से 25 हजार और यादवों के 40 से 42 हजार के बीच वोट बताए जा रहे हैं। इसके बाद दलित, ब्राह्मण और राजपूत तथा पिछड़ी जाति के वोट निर्णायक रहते हैं। कांग्रेस की तरफ गुर्जरों का रुझान बढ़ने और जाट मतदाताओं के लामबंद हो जाने से बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ सकता है। जननायक जनता पार्टी के नेता उपमुख्यमंत्री भी जाट बिरादरी पर अपनी पकड़ बरकरार रखने के लिए जाट बाहुल्य गांव गहली पर हाल ही में एक जनसभा करके गए हैं। डॉ अभय सिंह यादव को लेकर अब आरोप लगने लगे हैं कि उन्होंने हर गांव में जबरदस्त गुटबाजी करवा दी है। इसके अलावा उनका दूसरा माइनस पॉइंट अहीर राजा इंदरजीत सिंह से 36 का आंकड़ा होना भी है। भले ही तीनों कार्यक्रम उन्होंने बड़े सूझबूझ से जातिगत समीकरण को मद्देनजर रखकर तय किए हैं । परंतु जनसंवाद कार्यक्रमों में जिस तरह आम आदमी को दूर रखा गया है उससे फायदा कम नुकसान ज्यादा दिखाई दे रहा है।

ये कैसा जनसंवाद ?

मुख्यमंत्री महोदय का नांगल चौधरी विधान सभा के गांव मुसनोता में जनसंवाद कार्यक्रम के तहत था उससे पहले क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ताओं नेताओं को पुलिस द्वारा हिरासत में लिया गया जो लोकतंत्र की हत्या है । आम जनता की बजाय अपने गिने चुने लोगों को बैठाकर जनसंवाद को सफल बनाना ही तो तो है आम जनता अपने दु:ख तकलीफ़ समस्याओं को सुनते क्षेत्र को बड़ी सौगात देते तो बेहतर होता। जहां मुख्यमंत्री का जनसंवाद कार्यक्रम था उस गांव व आसपास के गांवों में जनता जनार्दन के हित में लंबित योजनाओं को क्रियान्वित करते तो बेहतर होता ।

प्यासी धरती को नहरी पानी पहुंचाने का काम करते तो किसानों के सम्मान में ऐतिहासिक जनसंवाद होता। नलवाटी या दोहान पच्चीसी में बेहतर औघोगिक क्षेत्र की घोषणा करते यह क्षेत्र निजामपुर रेलवे के नजदीक भी लगता है तो बेहतर जनसंवाद होता। क्षेत्र में अवैध माईनिंग के चलते उड़ती धूल से परेशान जनता के लिए अच्छा निर्णय लेकर उसका समाधान करते तो बेहतर जनसंवाद होता। पहलवानी के लिए विख्यात क्षेत्र में खेल नर्सरी कुश्ती के लिए अच्छे खासी घोषणा करते तो बेहतर जनसंवाद होता। वैसे मुख्यमंत्री ने नहर देने के लिए किसानों द्वारा जमीन उपलब्ध करवाने पर नहर पहुंचाने का वादा किया है। पहले दिन जनसंवाद में नांगल चौधरी विधानसभा के लिए कोई बड़ी घोषणा न हो पाना जनता में नकारात्मक संदेश गया है।

अब बात करें नारनौल विधानसभा क्षेत्र की।

नारनौल विधानसभा क्षेत्र में चार बिरादरी का बोलबाला है। जिनमें मुख्य मुकाबला अहीर और सैनी के बीच होता रहा है। इस विधानसभा में 1,40000 के आसपास मतदाता है। लगभग 55000 के आसपास अहीर मतदाता है तथा 25000 के लगभग सैनी बिरादरी के वोट है। हरिजन और ब्राह्मण वोट हार-जीत में निर्णायक भूमिका अदा करते हैं। सैनी जननायक जनता पार्टी से जुड़े हैं और पिछले नगर परिषद के चुनाव में अपनी एकजुटता का परिचय दे चुके। इसी नजरिए को ध्यान में रखते हुए नारनौल से विधायक एवं प्रदेश के राज्य मंत्री ओमप्रकाश यादव ने केवल अहीरों को ही साधने का टारगेट रखा। वह राव इंद्रजीत सिंह के सिपहसालारों में गिने जाते हैं शायद इसी बात को ध्यान में रखकर उन्होंने अहीरो को रिझाने के लिए इन गांवों को चुना। अपने टारगेट के तहत उन्होंने ढाणी बाठोठा, मंड़लाना और सीहमा अहीर बाहुल्य गांवों को चुना। उन्होंने सीएम को विश्वास में लेकर सीहमा में उप तहसील की घोषणा करवा दी। यहां क्षेत्र में अपनी मजबूती और पैठ बनाने में ओम प्रकाश यादव तो कामयाब हो गए पर मुख्यमंत्री ‘गच्चा’ खा गए। सीहमा को तहसील का दर्जा देने से 6 किलोमीटर नजदीक अटेली विधानसभा के बड़े गांव दौंगड़ा अहीर ‘उबाल’ आ गया। मुख्यमंत्री की घोषणा ने उनको विवादित कर दिया। जनता ने अपने विधायक पुलिस अधीक्षक व अन्य भाजपा नेताओं की एक न सुनी और मुख्यमंत्री जिस भाजपा कार्यकर्ता के घर रात्रि विश्राम पर थे वहां उन्हें 4 घंटे तक बंधक बन कर रहना पड़ा। अटेली और महेंद्रगढ़ की राजनीति को लेकर कल के आलेख में चर्चा करेंगे…

You May Have Missed

error: Content is protected !!