प्रतियोगी दौर में सोशल मीडिया का बन गया अपना महत्व दुनिया भर में पत्रकारों पर हमले गंभीर चिंता का विषय फील्ड के पत्रकारों के लिए केंद्र और राज्य सरकार बनाएं पॉलिसी भारत सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश यहां पर प्रेस की आजादी बहुत जरूरी फतह सिंह उजाला पटौदी । किसी भी असंतुष्ट व्यक्ति अथवा पक्ष के लिए फरियाद करने का या फिर अपनी बात कहने का मीडिया अथवा पत्रकार लास्ट प्लेटफार्म होता है। आज के प्रतियोगी दौर में सोशल मीडिया या फिर यूट्यूब न्यूज़ वेबसाइट न्यूज़ पोर्टल समाचार पत्र पत्रिका जैसे सूचना के आदान-प्रदान के माध्यम की अपनी एक अलग ही विश्वसनीयता सहित महत्व बढ़ता बढ़ता जा रहा है । कई बार जल्दबाजी में सोशल मीडिया पर कथित रूप से आधी अधूरी जानकारी शेयर करना किसी के लिए भी परेशानी का कारण बन सकता है यही कारण है कि सूचना चाहे कैसी भी हो उसे सार्वजनिक करने से पहले उसकी सत्यता अथवा सच्चाई भी अवश्य जान लेनी चाहिए । यह बात सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट पर्ल चौधरी ने अपने हेली मंडी कार्यालय पर एक सादा समारोह में वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम डे के उपलक्ष पर कही। इस मौके पर परमेश रंजन पारीका चौधरी पाटोदी पंचायत समिति के पूर्व चेयरमैन मामचंद यादव एडवोकेट प्रदीप प्रवीण सरपंच वीरेंद्र यादव पत्रकार फतेह सिंह उजाला रफीक खान राधे पंडित ओपी अदलखा शिवकुमार शिवा श्रद्धानंद प्रधान जीतू चौहान डॉ हरिओम संबरवाल सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे । उन्होंने कहा पत्रकारिता को एक नई दिशा और दशा कारगिल युद्ध के दौरान मिली, जब इलेक्ट्रॉनिक मीडिया मौके पर पहुंचा और युद्ध के मैदान से लाइव रिपोर्टिंग की गई और कवरेज दी गई । लेकिन इसके साथ ही सोशल मीडिया का एक ऐसा दौर भी आया जब पत्रकारिता के मायने ही बदल गए । आज बहुत से सोशल मीडिया न्यूज़ प्लेटफार्म स्वतंत्र रूप से काम कर रहे हैं , लेकिन इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि आज पत्रकारिता बदलते समय और प्रतियोगी दौर में बहुत ही जोखिम का काम बन चुका है । इसके साथ ही अपनी अपनी विश्वसनीयता को बनाए रखना भी अपने आप में एक चुनौती से कम नहीं है । पटौदी के पूर्व एमएलए भूपेंद्र चौधरी की पुत्री सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट पर्ल चौधरी ने कहा फील्ड के पत्रकारों को आज भी विभिन्न प्रकार की सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा की जरूरत महसूस की जा सकती है । जब मीडिया और पत्रकारों को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जा रहा है ऐसे में इस चौथे स्तंभ को बचा कर रखना हम सभी का दायित्व भी बढ़ जाता है । उन्होंने कहा इस बात में कोई शक नहीं कि प्रिंट मीडिया और फील्ड के पत्रकारों की विश्वसनीयता और महत्व न ही खत्म होगा न हीं कम हो सकेगा । आज भी समाचार पत्र को और उस में प्रकाशित खबरों को सबसे अधिक विश्वसनीय माना जाता है । उन्होंने कहा समाचार पत्रों और मीडिया हाउसों के द्वारा पुल आउट निकालने के कारण मीडिया के क्षेत्र में काम करने वालों की संख्या और जरूरत भी बढ़ती चली जा रही है । पर्ल चौधरी ने बेबाक शब्दों में कहा केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को पत्रकारों के सम्मानजनक जीवन यापन के लिए नीतियां या पॉलिसी बनानी चाहिए। इसमें कोई शक नहीं कि हरियाणा के साथ-साथ विभिन्न राज्य सरकारों के द्वारा पत्रकारों के हित में विभिन्न प्रकार की पॉलिसी बनाकर लागू की गई है । लेकिन इस प्रकार की पॉलिसियों का अधिक से अधिक पत्रकारों को लाभ मिले , इस दिशा में भी सरकार को गंभीरता से चिंतन मंथन करते हुए विशेष रुप से फील्ड के पत्रकारों से भी समय-समय पर बातचीत करना आवश्यक है । पत्रकारों को भी यही प्रयास करना चाहिए कि वह शासन-प्रशासन के बीच आईने की भूमिका की अदा करें । इसके साथ ही जो भी कुछ जहां भी कमी अथवा खामियां महसूस हो उनके समाधान के विकल्प की तरफ ध्यान आकर्षित किया जाए । उन्होंने कहा दुनिया भर में पत्रकारों पर बढ़ते हमले निश्चित ही गंभीर चिंता का विषय भी हैं । प्रतियोगी दौर और तकनीक सहित काम करने के बदलते तौर तरीकों को देखते हुए ही समय-समय पर मीडिया से जुड़े हुए लोगों अथवा पत्रकारों के लिए वर्कशॉप भी आयोजित की जाती है । उन्होंने कहा उनके स्वर्गीय पिता एमएलए भूपेंद्र चौधरी लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की स्वतंत्रता के हमेशा से समर्थक रहे । इतना ही नहीं प्रजातांत्रिक व्यवस्था में स्वर्गीय चौधरी भूपेंद्र का अटूट भरोसा और विश्वास अंतिम समय तक बना रहा । इसी व्यवस्था को बनाए रखने के लिए उन्होंने जीवन पर्यंत कार्य भी किया । Post navigation एमएलए एडवोकेट जरावता के लिए जाटौली नाम बन गया राजनीतिक चैलेंज ! एमएलए जरावता अब जाटोली निवासियों की भावना को समझेंगे – कमांडर योगेश