विशाल बाग़ सुरुचि सम्मान 2023 से अलंकृत

“तुमने जब से अपनी पलकों पर रक्खा,
कालिख को सब काजल-काजल कहते हैं I “

“दानिशमंदों रस्ता बतला सकते हो,
दीवाना हूँ वीराने तक जाना है I
जन्नत वाले थोड़ा पहले उतरेंगे ,
रिंदों को तो मयखाने तक जाना है I”

ये एक-दो शेर मेरे हिस्से में ऐसे आये जिनकी अहम् भूमिका रही मुझे प्रख्यात गीतकार मनोज मुन्तसिर एवं लोकप्रिय कवि डा. कुमार विश्वास के करीब लाने में , जिन्होंने मेरे ग़ज़ल संग्रह ‘वीराने तक जाना है’ की भूमिका लिखी है I मैं सौभाग्यशाली हूँ कि मुझे सभी का भरपूर प्यार मिला I
उक्त बातें कहीं शायरी के क्षेत्र में अपनी पहचान बना चुके विशाल बाग़ ने I अवसर था सुरुचि साहित्य कला परिवार, गुरुग्राम के तत्त्वावधान में आयोजित कार्यक्रम “एक मुलाकात – विशाल बाग़’ के साथ” I

गुरूग्राम – कुछ बातचीत कुछ शायरी के प्रारूप में आयोजित यह कार्यक्रम रविवार 30 अप्रैल, 2023 को प्रातः 10:30 बजे सी.सी.ए. स्कूल के सभागार में किया गया I कार्यक्रम की अध्यक्षता सी.सी.ए. स्कूल के चेयरमैन कर्नल कुँवर प्रताप सिंह ने की जबकि जी.आई.ए. हाउस के वरिष्ठ पदाधिकारी दीपक मैनी जी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे I

उद्योगपति तरुण वाधवा ने विशिष्ट अतिथि के रूप में कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई I कार्यक्रम का संचालन महासचिव मदन साहनी ने किया I अतिथिगण द्वारा दीप प्रज्जवलन एवं वीणा अग्रवाल के मधुर कंठ द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना के साथ कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ I कश्मीर में जन्मे इस शायर की ग़ज़लों में जहाँ एक तरफ केसर की खुशबू है वहीं दूसरी तरफ रूहानी एहसासों की ऊँचाई भी है। इस अवसर पर विशाल बाग़ को उनकी साहित्यिक उपलब्धियों के लिए सुरुचि सम्मान 2023 से अलंकृत किया गया I विशाल बाग़ के नवीनतम ग़ज़ल संग्रह ‘वीराने तक जाना है’ पर परिचर्चा के साथ उनकी शायरी का भी श्रोताओं ने भरपूर आनंद लिया I

“जब वो बोले कि कोई प्यारा था,
उनका मेरी तरफ़ इशारा था I
हम निकल आए जिस्म से बाहर,
उसने कुछ इस तरह पुकारा था I”

“थाम ले आ के जो सुनता हो दुहाई मेरी,
बस तेरे हाथ में जंचती है कलाई मेरी,
तेरा इकरार मुझे सिर्फ तेरा कर देता ,
तेरे इंकार ने तो माँग बढ़ाई मेरी I”

“मेरे सिरहाने के घुँघरू गुमसुम थे,
उसके पैरों में छन-छन भी करता था I
उसके हाथों में बस हम ही जँचते थे,
दावा सोने का कंगन भी करता था I”

“इतनी आँखें नहीं है दुनिया में
जितने चेहरे हैं तेरे चेहरे पे I “

“सोचो तो ये कागा आखिर क्यों संदेसा लाएगा,
चारदीवारी पर तो हमने काँच बिछाकर रखा है I”

संस्थाध्यक्ष डा धनीराम अग्रवाल ने कहा सुरुचि परिवार के पूर्व संगठन मंत्री विशाल बाग़ ने अपनी प्रतिभा के बल पर वो मुकाम हासिल किया है कि आज अतिथि के रूप में हमारे मंच पर उपस्थित है I ये हमारी संस्था के लिए गौरव की बात है I विशाल ने बताया कि कविता का संस्कार उन्हें पिता से मिला, जो ग़ज़लें सुनने के शौक़ीन थे I विशाल ने गुरुग्राम के प्रति अपनी कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए कहा कि ये शहर मेरे शायरी की ननिहाल है I शुरुआती दिनों में यहाँ से मिले हौसले ने मेरा सफ़र आसान किया है। शुरूआती लेखन को याद करते हुए उन्होंने शेर पढ़ा

“सच यहाँ बीती कहानी हो गया,
झूठ सबके मुँह जबानी हो गया ,
मेरे प्यासा लौटने की बात पर,
एक समुन्दर पानी पानी हो गया I”

धर्मशाला, हिमाचल प्रदेश की वादियों में अपनी परिवरिश को याद करते हुए थोड़ी देर के लिए विशाल भावुक हो गए I मदन साहनी ने आगामी प्रोजेक्ट के लिए विशाल को शुभकामनाये देते हुए कहा कि विशाल का एक भक्ति-गीत ‘मेरे भोलेनाथ’ टी सीरीज से रिलीज़ हुआ है और जल्द ही एक गीतकार के रूप में विशाल का नाम फ़िल्मी परदे पर भी देख सकेंगे I

हरींद्र यादव ने कहा विशाल को शुरूआती दिनों से ही शायरी और भाषा की समझ थी I उसे जो भी चीज गलत लगती थी, टोक देता था I अनिल श्रीवास्तव ने कहा विशाल ने लिखा है ” मेरे देरी से आने का कारन है , मैं बिलकुल सीधे रस्ते से आया हूँ” लेकिन इस बात की ख़ुशी है कि वो भले देर आया पर दुरुस्त आया है I डा. गुरविंदर बांगा , मोनिका शर्मा , आर.पी.सेठी कमाल सहित कई कवियों साहित्यकारों ने विशाल को बधाई और शुभकामनायें दी I

इस अवसर पर प्राचार्य निर्मल यादव, मंजू भारती , डा.आर.पी. सिंह, नरेन्द्र गौड़ ,घमंडी लाल अग्रवाल, शशांक मोहन शर्मा, मनोज माणिक , नरोत्तम शर्मा , आर. एस. पसरीचा, अर्जुन वशिष्ठ, सुरिंदर मनचंदा, संयोगिता यादव सहित कई साहित्य प्रेमी व गणमान्य महानुभाव उपस्थित थे I

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