-कमलेश भारतीय

महिला पहलवान विनेश फौगाट ने दिल्ली के जंतर-मंतर से एक फोटो पोस्ट कर लिखा है कि खिलाड़ी पदक मंच से फुटपाथ तक ! आधी रात खुले आसमान के नीचे न्याय की आस में ! कुश्ती संघ अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ मोर्चा संभाल रखा है । पहले खेल अधिकारियों या राजनीतिक आकाओं के आश्वासन पर धरना समाप्त कर दिया था लेकिन जब बृजभूषण को क्लीन चिट दे दी गयी तब इन पहलवानों के तेवर बदल गये और फिर से जंतर-मंतर पर आ बैठे ।

यही नहीं इस बार तो सुप्रीम कोर्ट की शरण में भी पहुंच कर याचिका लगाई है कि खेल संघ के अध्यक्ष के खिलाफ महिला पहलवानों के साथ यौन उत्पीड़न का केस दर्ज किया जाये ! इसका तत्काल यह परिणाम सामने आया कि भारतीय ओलमूपिक संघ को समिति गठित कर 45 दिन के भीतर चुनाव करवाने के निर्देश दिये गये हैं । दिल्ली पुलिस ने खेल मंत्रालय से पहलवानों के आरोपों की जांच के लिये बनाई गयी कमेटी की रिपोर्ट मांगी है । विनेश फौगाट का कहना है कि पुलिस को पहले एफआईआर दर्ज करनी चाहिए । इस तरह सारा मामला एक बार फिर से फुटपाथ पर आ गया ! बजरंग पूनिया ने कहा कि हमें अब राजनीतिक दलों और खाप पंचायतों की मदद भी चाहिए जबकि पहले दौर में इस आंदोलन कॅ राजनिति से दूर रखा गया था । इस तरह खेल की राजनीति और राजनीति में खेल का नया दौर आ गया है ।

अभी तक खेल मंत्रालय कुछ भी मानने को तैयार नहीं था लेकिन अब मान रहा है कि पहलवानों और कुश्ती संघ के बीच स्थिति सामान्य नहीं है अंर कुश्ती संघ ने यौन उत्पीड़न मामले में सही ढंग से काम नहीं किया !

पहलवानों का आरोप है कि जांच कमेटी ने दबाव में काम किया । जहां बृजभूषण वकीलों के साथ पहुंचते थे , वहीं हमें जांच प्रक्रिया क बारे में कुछ भी नहीं बताया जाता था ! जांच कमेटी के सामने पंद्रह पहलवानों ने बयान दर्ज करवाये थे जिनमें एक दर्जन महिला पहलवान थीं । इसके बावजूद कोई कार्यवाही सामने नहीं आई । पिछले धरने में मध्यस्थता करने वाली बबिता फौगाट को लेकर साक्षी मलिक और विनेश फौगाट ने कहा कि अब वह खिलाड़ी नहीं बल्कि राजनेता है ! वे एक पार्टी की नेता के तौर पर पहुंची थी । इस बार धरने पर कोई भी पहुंच सकता है और आप पार्टी के नेता सुशील गुप्ता ने शुरुआत कर दी ।

अब खबरें हैं कि हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी इस मंच पर आकर समर्थन देने की घोषणा करेंगे । इस तरह इस धरने पर आने वाले विधानसभा चुनाव की छाया साफ दिखने लगी है । यदि भाजपा सरकार चाहती तो समय पर इन पहलवानों की बात सुनकर मामले को अब तक सुलझा लेती लेकिन अब तीर हाथ से निकल चुका लगता है । यह भी संभावना है कि आने वाले विधानसभा में सिर्फ बबिता फौगाट ही नहीं अन्य पहलवान भी राजनीति के अखाड़े में उतर सकते हैं ! हालांकि राष्ट्रीय हाॅकी टीम के पूर्व कप्तान संदीप सिंह भी इन दिनों महिला कोच के मामले को लेकर चर्चा में है ! उधर पदक लाओ, पद पाओ नीति से दूर हटने की सरकार की नीति भी इस मंच पर आलोचना के केंद्र में आ सकती है । खैर! रब्ब खैर करे !
-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी । 9416047075

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