चंडीगढ़, 20 अप्रैल- हरियाणा सरकार ने पिछले 20 वर्ष या उससे अधिक समय से किराये या पट्टे के माध्यम से व्यक्तिगत या निजी संस्था के कब्जे वाली सरकारी विभागों, बोर्डों, निगमों और प्राधिकरणों की संपत्तियों (दुकानों/मकानों) को बेचने के लिए ‘हरियाणा किराये पर सरकारी सम्पत्ति निपटान नीति 2023’ अधिसूचित की है। मुख्य सचिव श्री संजीव कौशल ने आज यह जानकारी देते हुए बताया कि यह नीति 100 वर्ग गज प्रति लाभार्थी/प्रति भूखंड तक की ऐसी सभी संपत्तियों पर लागू होगी, जो 01 जून, 2001 से पहले पट्टे या किराए पर दी गई थी। इस नीति की आवश्यकता के बारे में जानकारी देते हुए श्री कौशल ने कहा कि राज्य सरकार ने नगर निकायों द्वारा दुकानों और घरों की बिक्री के लिए 1 जून, 2021 को एक नीति अधिसूचित की थी, जहां ऐसी संपत्ति का कब्जा 20 साल या उससे अधिक की अवधि के लिए नगर निकायों या उसके पूर्ववर्ती निकायों की बजाय अन्य संस्थाओं के पास है। जब शहरी स्थानीय निकाय विभाग द्वारा इस नीति को लागू किया जा रहा था तो मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल के ध्यान में लाया गया कि बड़ी संख्या में संपत्तियां वास्तव में राज्य सरकार के अन्य विभागों, बोर्डों और निगमों के स्वामित्व में हैं परन्तु वे निजी व्यक्तियों और संस्थाओं को किराए या पट्टे पर दी गई हैं। मुख्यमंत्री ने इस पर संज्ञान लेंते हुए सभी विभागों को कवर करने वाली एक व्यापक नीति बनाने के निर्देश दिए ताकि किसी भी स्तर पर कोई भ्रान्ति न रहंे। इसलिए राज्य सरकार द्वारा यह नई नीति बनाई गई और हाल ही में कैबिनेट ने इसे मंजूरी दी है। मुख्य सचिव ने स्पष्ट किया कि यह एक ‘वन टाइम पालिसी’ है जिसके अंतर्गत आने वाले लोगों को नीति की अधिसूचना जारी होने के 3 महीने के भीतर आवेदन करना होगा। उन्होंने कहा कि यह नीति पर्यटन, परिवहन और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभागों की भूमि पर लागू नहीं होगी। इसके अलावा, यह नीति शामलात भूमि, पंचायत भूमि, पंचायत समिति एवं जिला परिषद भूमि पर भी लागू नहीं होगी। विशिष्ट विभागीय अधिनियमों और वैधानिक नियमों के अर्थात् हरियाणा विस्थापित संपत्ति (प्रबंधन और निपटान) नियम 2011, हरियाणा पंचायती राज अधिनियम 1994, हरियाणा पंचायती राज नियम 1995, हरियाणा ग्राम शामलात भूमि (विनियमन) अधिनियम 1961, हरियाणा ग्राम ग्राम शामलात (विनियमन) नियम 1964 और विस्थापित संपत्ति (प्रबंधन और निपटान) अधिनियम 2008 के तहत शासित होने वाली भूमि को भी इस नीति से बाहर रखा जाएगा। इस नीति में वे सम्पत्तियाँ शामिल होंगी, जिनका स्वामित्व या प्रबंधन सरकारी संस्था द्वारा किया जाता है और जो किराए या पट्टे का पैसा अथवा लाइसेंस शुल्क या तहबाजारी शुल्क के आधार पर खाली जमीन, दुकान (दुकानों) जिसका अलग-अलग तल (यदि कोई हो) मकान और उसका अलग-अलग तल (यदि कोई हो) उद्योग और खाली भूमि के लिए सरकारी संस्था को देय या प्राप्य है। ऐसी संपत्तियों के मामले में, जिनसे सरकारी संस्थाएँ वार्षिक कलेक्टर रेट मूल्य का 8 प्रतिशत और उससे अधिक का किराया पट्टा प्राप्त कर रही हैं, तो सक्षम प्राधिकारी को वह संपत्ति न बेचने की अनुमति होगी। कब्जे की अवधि के आधार पर बेस रेट पर रियायतजिस संपत्ति पर किसी व्यक्ति का 20 वर्ष से अधिक लेकिन 25 वर्ष से कम की अवधि के लिए कब्जा है, उससे सर्कल रेट का 80 प्रतिशत शुल्क लिया जाएगा। 30 वर्ष या उससे अधिक लेकिन 35 वर्ष से कम की अवधि तक कब्जे वाले लोगों से सर्किल रेट का 75 प्रतिशत शुल्क लिया जाएगा। इसके अलावा, 35 वर्ष या उससे अधिक लेकिन 40 वर्ष से कम की अवधि तक कब्जे वाले लोगों को सर्किल रेट का 65 प्रतिशत भुगतान करना होगा। 40 वर्ष या उससे अधिक लेकिन 45 वर्ष से कम की अवधि के लिए कब्जा रखने वालों से सर्कल रेट का 60 प्रतिशत और 45 वर्ष या उससे अधिक लेकिन 50 वर्ष से कम की अवधि के लिए सर्कल रेट का 55 प्रतिशत शुल्क लिया जाएगा। जिनके पास 50 वर्ष या उससे अधिक की अवधि के लिए कब्जा है, उनसे सर्कल रेट का 50 प्रतिशत शुल्क लिया जाएगा। निर्णय लेने की समय सीमानीति की निगरानी एवं क्रियान्वयन शहरी स्थानीय निकाय विभाग द्वारा इसके लिए तैयार किये गये पोर्टल के माध्यम से किया जाएगा। विभागों द्वारा नीति को लागू करने के लिए एक पखवाड़े के भीतर अपने स्तर पर डेलीगेशन के नियमों सहित दिशानिर्देश और मानक संचालन प्रक्रिया तैयार की जाएगी। Post navigation ‘जब कार्रवाई नहीं करनी तो ग्रीवेंस मीटिंग का क्या मतलब’, अपनी ही सरकार पर भड़के विज अधीनस्थ न्यायालयों तथा सरकारी कार्यालयों के कर्मचारियों को हिन्दी में प्रशिक्षण के लिए पायलट प्रोजेक्ट को अंतिम रूप दिया जाए- मुख्य सचिव