-कमलेश भारतीय हर साहित्यिक आंदोलन के साथ समाज का परिवर्तन सामने आता है । फिर चाहे वह नयी कहानी आंदोलन हो या कोई और ! यह कहना है प्रसिद्ध लेखक राजेंद्र यादव व मन्नू भंडारी की बेटी रचना यादव का ! उन्होंने कहा कि साहित्य समाज का प्रतिबिम्ब है और समय के साथ समाज भी बदलता है । समय के बदलाव के साथ नयी दृष्टि और नयी दिशा भी बनती है । रचना यादव का जन्म कोलकाता में हुआ और इनकी पढ़ाई लिखाई दिल्ली में हुई । दिल्ली के तीसहजारी स्थित क्वीन मेरी में स्कूलिंग तो हिंदू काॅलेज से ग्रेजुएशन । इसके बाद इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन, नयी दिल्ली से विज्ञापन व जनसम्पर्क में डिप्लोमा । आप तो क्लासिकल डांसर हैं तो वह कहां और कितना सीखा ?-प्रयाग विश्वविद्यालय से छह साल का प्रभाकर सर्टिफिकेट । वैसे रवि जैन, अदिति मंगलदास और पंडित जैकिशन महाराज से बाकायदा कत्थक सीखा । -स्कूल काॅलेज में किन गतिविधियों में रूचि रही आपकी ?-डांस, भाषण के साथ साथ हैड गर्ल भी रही । स्पोर्ट्स में बास्केटबॉल और एथलीट भी रही । काॅलेज कलर भी मिला । -कब पता चला कि इतने बड़े सेलिब्रिटी मम्मी पापा की बेटी हो ?-बाहर वालों से धीरे धीरे ! एक बार काॅलेज में एडमिशन लेने बस में जा रही थी । बाॅयोडाटा था जो पारदर्शी कवर में था तो एक ने पढ़ लिये मम्मी-पापा के नाम और सभी मुझे देखने लगे हैरान होकर ! उनको जब अवार्ड्स मिलते थे तब पता चलता था । -ये बताइये कि पापा राजेंद्र यादव के क्या क्या गुण याद हैं ?-पापा अपने काम व लेखन को लेकर बहुत ही समर्पित थे । जो ठान लिया वह किया, फिर किसी की परवाह कम ही करते थे । बड़े फैसले लेते समय उन्हें खुद पर विश्वास होता था । -और मम्मी मन्नू भंडारी के बारे में ?-मम्मी उसूलों की बहुत पक्की थीं । बहुत पारदर्शी , ईमानदार और कुछ भी गलत बर्दाश्त नहीं कर पाती थीं । अंदर व बाहर से एक । -मम्मी पापा से क्या ग्रहण किया ?-पापा से अनुशासन और समर्पण । देर से फैसला किया था क्लासिकल डांसर बनने का । पहले थोड़ी डांवाडोल सी थी , फिर पापा की सीख से कि करना है तो करना है और कर लिया ! बन गयी क्लासिकल डांसर । मम्मी से सीखा दूसरों के दुख को समझना । वादे की पक्की रहना ! -अब बताइये कि पापा राजेंद्र यादव के साहित्य में से क्या पसंद है ?-शह और मात व प्रेत बोलते हैं । जिस उम्र में ये रचनायें लिखीं वह भी महत्वपूर्ण है । -और मम्मी के साहित्य में से क्या पसंद है आपकी ?-महाभोज और आपका बंटी उपन्यास । महाभोज में जिस तरह से राजनीति की परतें उधेड़ी हैं , वह हैरान करती हैं । मेरे ख्याल से इससे पहले यह उनके लेखन का स्टाइल नहीं था । -और मन्नू भंडारी की फिल्मों और धारावाहिकों में कौन सा पसंद ?-रजनी धारावाहिक जिससे वे घर गर तक पहुंच गयीं थीं । -आपको कोई पुरस्कार मिला ?-क्लासिकल डांस में और स्पोर्ट्स में । -परिवार के बारे में ?-पति दिनेश खन्ना फोटोग्राफर । दो बेटियां -मायरा योगा टीचर तो माही पोस्ट ग्रेजुएट । -आप हंस के अतिरिक्त क्या करती हैं ?-गुरुग्राम में रचना यादव कत्थक स्टुडियो चलाती हूं और कोरियोग्राफर भी । -पापा के बाद हंस के प्रकाशन की जिम्मेदारी कैसी लगी ?-हंस का हिस्सा बन कर अच्छा लगा । सोचती हूं यदि पापा के समय से ही जुड़ी होती तो और भी कुछ सीखने को मिलता और बेहतर कर पाती । हंस की टीम बहुत अच्छी है और पापा के समय की है । -हंस की ओर से कौन कौन से समारोह किये जाते हैं ?-पहला 31 जुलाई को प्रेमचंद जयंती । दूसरा 28 अगस्त पापा के जन्मदिन पर कथा सम्मान । तीसरा 28 अक्तूबर को साहित्य समारोह । -कथा आंदोलनों का क्या योगदान ?-हर साहित्यिक आंदोलन के साथ परिवर्तन आता है । साहित्य समाज का प्रतिबिंब ही तो है और इसमे समाज का बदलाव दिखता है । इसके साथ साथ साहित्य का बदलाव भी दिखता है । -इन दिनों किन रचनाकारों को पढ़ रही हैं ?-अलका सरावगी पसंद है । अनिल यादव की कहानियां खूब हैं और गीतांजलिश्री का बुकर पुरस्कार प्राप्त उपन्यास ‘रेत की समाधि’ पढ़ रही हूं । हमारी शुभकामनाएं रचना यादव को । आप इस नम्बर पर प्रतिक्रिया दे सकते हैं -011-41050047 Post navigation लघुकथा : समाजसेवा तिरंगा किस देश की शान ?