भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। आज देश आजादी के 75वें वर्ष को आजादी के अमृत महोत्सव के रूप में मना रहा है। हमारे हरियाणा में प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ काला पानी और शहीदों के अनेक स्थानों पर होकर आए। उनका कथन है कि कांग्रेस आजादी के योद्धाओं को भुला रही है लेकिन आज एक सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या वास्तव में भाजपा स्वतंत्रता सेनानियों को याद कर श्रद्धांजलि दे रही है या केवल राजनैतिक लाभ के लिए उनका उपयोग कर रही है।

आज यह विचार मेरे मन में तब आया जब स्वतंत्रता संग्राम को जागृत करने वाले मंगल पांडे की पुण्यतिथि को भी भूल गए? 19 जुलाई 1827 को फैजाबाद उत्तर प्रदेश में जन्मे मंगल पांडे ब्रिटिश इंडिया कंपनी में नौकरी करते थे और उन्होंने 34वीं बंगाल नेटिव इंफैंट्री बैरकपुर कलकत्ता में गाय और सूअर की चर्बियों से बने कारतूसों के विरोध में 29 मार्च 1857 को दो अंग्रेज अफसरों को मौत के घाट उतारा था। इसकी सजा उन्हें फांसी की मिली और वह फांसी 8 अप्रैल 1857 को हुई थी और उसके पश्चात ही स्वतंत्रता संग्राम का आगाज हुआ।

अब आप ही सोचिए कि जिस योद्धा से स्वतंत्रता संग्राम के युद्ध का आगाज हुआ, उसे ही आज सभी भूल गए। बड़े अफसोस की बात है। कांग्रेस की ओर से भी आज उनकी याद की गई हो ऐसा कोई समाचार नहीं मिला है। न ही जजपा या इनेलो की ओर से ऐसी कोई याद करने की बात सामने आई है। आप पार्टी भी आज राजनीति तो कर रही है लेकिन याद उन्होंने भी नहीं किया।

सबसे बड़ा दुख तो यह है कि भाजपा जिस पार्टी ने अमृत महोत्सव मनाने का निर्णय लिया और जो भाजपा पिछले दिनों स्वतंत्रता सेनानियों को नमन कर अपनी राजनीति में जनाधार मजबूत करने के प्रयास में है, वह भाजपा भी महापुरूषों की जयंती और पुण्यतिथि अकसर भूल रही है और आज तो भाजपा का बड़ा कार्यक्रम गुरुग्राम के गुरुकमल भी था और मुख्यमंत्री भी गुरुग्राम-फरीदाबाद के कार्यक्रमों में रहे हैं लेकिन कहीं से भी यह समाचार नहीं प्राप्त हुआ कि इन्होंने कहीं किसी मंच पर अमर योद्धा मंगल पांडे को स्मरण भी किया हो।

ऐसे में यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि क्या ये लोग वास्तव में स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान करते हैं या अपनी राजनैतिक स्थिति को सुदृढ़ करने के लिए इनका प्रयोग करते हैं? याद आती हैं किसी कवि की पंक्तियां:

तुम्हे जीना-तुम्हें मरना कौन सिखाएंगे।

लगाया नाम का पत्थर खड़ा कर चौराहों पर।

तुम्हे वह जानते थे, मगर अब पहचान जाएंगे।।

तुम्हे जीना-तुम्हें मरना सिखाने कौन आएंगे।

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