गुरुग्राम, सतीश भारद्वाज: गुरुग्राम में राजस्व विभाग के एक तहसीलदार को भूमाफिया से सांठगांठ महंगी पड़ गई। जबकि अधिकतर मामलों में सुना गया है कि अवैध कॉलोनी काटने में भू माफियाओं का राजस्व, पुलिस, डीटीपी सभी विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से कमीशन पहले से ही तय हो जाता है। वहीं राजनीतिक लोगों का भी हिस्सा समय पर पहुंचता रहता है लेकिन कभी-कभार किसी लेनदेन के चक्कर में मामला बिगड़ जाता है तो उस पर गाज गिरनी तय है। संभव है ऐसा ही मामला गुरुग्राम का हो जिसमें एक तहसीलदार को सही समय पर कमीशन की रकम सही राजनीतिक लोगों तक नहीं देने के कारण भ्रष्टाचार में लपेटा गया है। जबकि जिले के हर तहसील में अवैध रूप से कॉलोनी विकसित हो रही है इन पर केवल डीटीपी एक बार पीला पंजा चलाकर साठगांठ करके शांत बैठ जाते हैं।

जानकारी के अनुसार प्रदेश की एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) की टीम ने वीरवार को तहसीलदार दर्पण कंबोज को भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया है। उन्हें शुक्रवार दोपहर अदालत में पेश कर पूछताछ के लिए रिमांड पर लिया जाएगा। जिसकी शिकायत अवैध कालोनियां के बारे ब्यूरो के अधीक्षक के पास पहची थी। गत जनवरी में शिकायत पहुंची थी कि कालोनियां काटने वालों से तहसीलदार दर्पण कंबोज ने करीब 40 लाख रुपये बतौर रिश्वत लिए थे। जांच पूरी करने के बाद टीम ने कंबोज को अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया। पूछताछ के दौरान उनके ऊपर जो आरोप सही पाए जाने पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

मामले में और पूछताछ के लिए उन्हें अदालत से रिमांड पर लिया जाएगा। पिछले कुछ महीनों से एसीबी केवल अधिकारियों और कर्मचारियों को रिश्वत लेते हुए ही गिरफ्तार नहीं कर रही है, बल्कि किसी मामले में पूछताछ के दौरान आरोप सही साबित होने पर भी गिरफ्तार कर रही है। ब्यूरो पिछले करीब 6 महीनो में करीब 30 से अधिक आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल की हवा खिला चुकी है।

पिछले चार-पांच महीने के दौरान 30 से अधिक भ्रष्टाचार के आरोपितों को गुरुग्राम टीम गिरफ्तार कर चुकी है। वही अब तहसीलदार की गिरफ्तारी से सभी कार्यालयों मेें हड़कंप मचा हुआ है। बता दें कि जिले में अवैध कालोनी काटने की शिकायतें चरम पर हैं। जिसमें बीजेपी के पार्षद कार्यकर्ता अधिक शामिल है। हर सप्ताह किसी न किसी इलाके में डीटीपी की एन्फोर्समेंट टीम तोड़फोड़ अभियान चला रही है। इस मामले में सबसे दिलचस्प बात यह सामने आ रही है कि आम लोगों में चर्चा है कि इसमें जिले के एक विधायक की भूमिका भी संदिग्ध है। जिसको समय पर नजराना नहीं मिलने के कारण की गई कार्यवाही का ही नतीजा है। अवैध कॉलोनी दौलताबाद क्षेत्र में विकसित की जा रही थी।

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