ग्रामीणों ने कहा कि सरकार के नुमाइंदे हो, स्थायी सडक़ की मांग करो, रोड बंद हो जाने से केवल यहां के लोग ही नहीं आदमपुर हिसार सहित आस-पास के क्षेत्रों के लोग हो रहे हैं प्रभावित हिसार 2 अप्रैल : आदमपुर के अपने धन्यवादी दौरे पर निकले भाजपा नेता कुलदीप बिश्नोई व उनके पुत्र आदमपुर के विधायक भव्य बिश्नोई का गांव बीड़ बबरान से आते हुए सायं काफिला रुकवाकर ग्रामीणों ने उन्हें धरने पर आने के लिए कहा जिस पर वे तलवंडी राणा बाई पास पर ग्रामीणों व रोड बचाओ संघर्ष समिति द्वारा दिए जा रहे धरना स्थल पर पहुंचे। समिति के अध्यक्ष एडवोकेट ओ.पी. कोहली ने कुलदीप बिश्नोई व भव्य बिश्नोई के सामने सारा मामला रखा कि किस प्रकार रोड बंद हो जाने से ग्रामीण बेहद परेशानी के दौर से गुजर रहे हैं। उन्होंने स्थायी रोड से संबंधी नक्शा व अन्य जानकारियां भी उन्हें देते हुए मांग की कि इस रोड के बंद हो जाने से न केवल तलवंडी राणा व आसपास के ग्रामीणों बल्कि आदमपुर, हिसार, बरवाला व अनेक हलकों सहित चंडीगढ़ तक के लोगों पर इसका विपरती प्रभाव पड़ा है। आपका सरकार में हाथ है तो ग्रामीणों के लिए स्थायी सडक़ मार्ग की मांग करें। कुलदीप बिश्नोइ ने कहा कि वे इस बारे में मुख्यमंत्री महोदय से बात करेंगे और ग्रामीणों की बात को उन तक पहुंचाएंगे। रविवार को धरने का 55वां दिन था। कोहली ने बताया कि रोड बंद हो जाने से इस रोड पर पडऩे वालो अनेक उद्योग धंधे व लोगों के कारोबार ठप हो चुके हैं। रोजाना शहर जाने वाले ग्रामीणों को भारी परेशानियों से गुजरना पड़ रहा है। मुख्य रूप से गांव से शहरों में पढऩे जाने वाली छात्राओं को भारी दिक्कतें पेश आ रही हैं। जो कॉलेज गांव 5-7 कि.मी. पड़ता था और लड़कियां स्कूटी से चली जाया करती थी वही दूरी अब 25-27 कि.मी. तक बढ़ गई है और वे किसी तरह स्कूल-कॉलेज पहुंच रही हैं। वहीं रोजाना जाने वाले कर्मचारी, फल, सब्जी विके्रता, दिहाड़ी मजदूर व अन्य लोगों के लिए भी यह रोड समय व पैसे की बर्बादी का सबब बन चुका है। कोहली ने कहा कि जिस रफ्तार से एयरपोर्ट की फाइलें चल रही हैं यदि उसी तेजी से स्थायी रोड की फाइल चल रही होती तो आज तक स्थायी सडक़ बन गया होता लेकिन सरकार जानबूझ कर इस सडक़ को लटका रही है। उन्होंने कहा कि चाहे सरकार उनके धैर्य की कितनी ही परीक्षा ले ले जब तक ग्रामीणों को सडक़ नहीं मिल जाती वे धरने से किसी भी सूरत में नहीं हटेंगे। धरने पर कुलदीप बिश्नोई के साथ रणधीर पनिहार, बलवंत खोखर, विक्रांत बिश्नोई के अलावा रवि आजाद किसान नेता, अनिल कुण्डू, ऋषिपाल नंबरदार तोशाम, सुधीर मिलगेट, भूपेन्द्र गंगवा, दयाल सरपंच तलवंडी, दलबीर सरपंच जुगलान, गंगारा सूबेदार, पूर्ण चंद, विनय वत्स, आनंद शर्मा बरवाला, राजू तलवंडी, उमेद सिंह नंबरदार, राधेश्याम नंबरदार, बलबीर बिश्नोई, मनीराम जांगड़ा, जयपाल गुरी, विनोद खटाणा, सतबीर खटाणा पड़ाव हिसार, जगदीश गुरी, पवन शर्मा, सतबीर सैन, सुभाष पंच, महाबीर बटार, गोपाल बावता, केलापति, मंजू भाटिया, अंजू रहेजा, अनिता चौपड़ा, कलावती सहित अनेक राजनीतिक, सामाजिक, खाप, सरपंचों के अलावा भारी संख्या में ग्रामीण, महिलाएं, पुरुष, युवा व बच्चे मौजूद रहे। Post navigation किसान आंदोलन और मुआवजे का संबंध क्या है ? समस्याओं से जूझती भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली