गाय माता की महिमा शब्दों में व्याख्या संभव ही नहीं जीवन मरण से मुक्ति भी इंसान को गौमाता ही दिलाती गाय माता के बिना यज्ञ हवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती प्रतिदिन प्रातः गो दर्शन हो जाए समझ ले दिन सुधर गया फतह सिंह उजाला गुरुग्राम । श्री राम साधना पीठ-उत्तरकाशी में गोशाला के शुभारम्भ के अवसर पर आयोजित श्रीराम कथा, गोकथा एवम् श्री शिव शक्ति महायज्ञ में पधारे श्री काशी सुमेरु पीठाधीश्वर अनन्त श्री विभूषित पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि गौमाता की महिमा अपरम्पार है । भगवान के प्राकट्य के भिन्न-भिन्न कारणों में प्रमुख कारण गौमाता ही हैं । “विप्र धेनु सुर सन्त हित , लीन्ह मनुज अवतार । निज इच्छा निर्मित तनु, माया गुन गो पार ।।” इसलिए मनुष्य अगर जीवन में गौमाता को स्थान देने का संकल्प कर ले, तो वह संकट से बच सकता है । मनुष्य को चाहिए कि वह गाय को मन्दिरों और घरों में स्थान दे, क्योंकि गौमाता ही मोक्ष दिलाती है । पुराणों में भी इसका उल्लेख मिलता है कि गाय की पूँछ छूने मात्र से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त हो जाता है । गाय की महिमा को शब्दों में नहीं ब्यक्त किया जा सकता । मनुष्य अगर गौमाता को महत्व देना सीख ले, तो गौमाता उनके दुख दूर कर देती है । गाय हमारे जीवन से जु़ड़ी है । गाय के दूध से लेकर मूत्र तक का उपयोग किया जा रहा है । गौमूत्र से निर्मित औषधियाँ बीमारियों को दूर करने के लिए रामबाण की तरह काम करती हैं । यह जानकारी शंकराचार्य के निजी सचिव बृजभूषण आनंद महाराज के द्वारा मीडिया से संध्या की गई है । शंकराचार्य जी महामहाराज ने कहा कि गोपाष्टमी के दिन गाय का पूजन करने एवम् उनका संरक्षण करने से मनुष्य को पुण्य फल की प्राप्ति होती है । जिस घर में गौपालन किया जाता है, उस घर के लोग संस्कारी और सुखी होते हैं । इसके अतिरिक्त जीवन-मरण से मुक्ति भी गौमाता ही दिलाती है । मरने से पहले गाय की पूँछ पकड़ते हैं, ताकि जीवन में किए गए पापों से मुक्ति मिल जाय । रोज पंचगव्य का सेवन करने वाले पर तो जहर का भी असर नहीं होता, और वह सभी व्याधियों से मुक्त हो जाता है । गाय के दूध में वे सारे तत्व होते हैं, जो जीवन के लिए जरूरी हैं । वैज्ञानिक भी मानते हैं कि गाय के दूध में सारे पौष्टिक तत्व होते हैं । प्रतिदिन सुबह गौ-दर्शन हो जाए तो समझ लें कि दिन सुधर गया, क्योंकि गौ-दर्शन के बाद और किसी के दर्शन की आवश्यकता नहीं रह जाती । गाय और ब्राह्मण कभी साथ नहीं छोड़ते हैं, लेकिन आज के लोगों ने दोनों का ही साथ छोड़ दिया है । जब पाण्डव वन जा रहे थे, तो उन्होंने भी गाय और ब्राह्मण का साथ मांगा था। इस धरा पर भगवान श्रीराम, श्रीकृष्ण और परशुराम आते रहे, और उन्होंने भी गायों और सन्तों के उद्धार का काम किया । भविष्य में उत्पन्न होने वाली समस्याओं का हल भी गाय से ही मिलने वाले उत्पादों से मिल सकता है । गाय के बिना यज्ञ की कल्पना भी नहीं की जा सकती, क्योंकि यज्ञ के लिए यदि मन्त्र भाग ब्राह्मणों के पास है, तो हवि भाग गाय के पास है । इस अवसर पर स्वामी गोपालानन्द सरस्वती एवम् अजीत शर्मा के साथ अन्य साधु-सन्त एवम् श्रद्धालु उपस्थित थे । Post navigation राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग की सदस्य प्रीति भारद्वाज दलाल ने गुरुग्राम में बाल अधिकारों के संरक्षण के संबंध में ली समीक्षा बैठक बोधराज सीकरी ने सनातन पुरातन वैदिक अनुष्ठान में दिखाई आस्था