धरने पर गरजे राकेश टिकैत, बोले तानाशही से जनता के हितों को कुलच रही सरकार – राष्ट्रीय किसान नेता राकेश टिकैत धरने पर प्रदेश कार्यकारिणी व दल-बल के साथ पहुंचे – ग्रामीणों का विरोध जायज, जहाज से पहले ग्रामीणों को सडक़ मुहैया कराए सरकार : राकेश टिकैत हिसार 29 मार्च : तलवंडी राणा बाई पास पर रोड बचाओ संघर्ष समिति व ग्रामीणों द्वारा दिए जा चल रहे धरने के 51वें दिन भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं राष्ट्रीय किसान नेता राकेश टिकैत कार्यकारिणी व अपने साथियों के साथ समर्थन देने पहुंचे। समिति के अध्यक्ष एडवोकेट औमप्रकाश कोहली ने राकेश टिकैत व उनके साथ पहुंचे अन्य पदाधिकारियों का धरने पर स्वागत किया। इसके बाद ओ.पी. कोहली ने राकेश टिकैत को बंद किए गए रोड व हवाई अड्डा क्षेत्र व ग्रामीणों द्वारा सुझाए गए स्थायी रोड आदि जगहों का मुआयना करवाया। उन्होंने राकेश टिकैत को एयरपोर्ट की पट्टी के चलते सरकार द्वारा रातों-रात उखाडक़र बंद किए वैकल्पिक सडक़ मार्ग व इस रोड पर पडऩे वाली फैक्ट्रियां, लघु उद्योग, दुकान व कारोबार की हालात दिखाई जो अब वीरान और उजाड़ हो चुके हैं। इसके साथ ही उन्होंने ग्रामीणों को रोजमर्रा आ रही भारी दिक्कतों से रूबरू करवाया। राकेश टिकैत ने कहा कि यहां पर किसानों व ग्रामीणों के साथ बहुत अन्याय हुआ है। कल जब हम चंडीगढ़ रोड से हिसार आ रहे थे तो पुराने रास्ते से ही हिसार की ओर चल दिए तो आगे जाने पर जो देखा उससे मुझे बहुत ही तकलीफ हुई और दुख पहुंचा कि लोग उखाड़े गए रास्ते से गड्ढों के बीच मोटर साइकिल व दोपहिया वाहनों से किसी तरह गुजर रहे थे। इसके बाद हम वहां से लौटे। राकेश टिकैत ने कहा कि हमने सारा मुआयना कर लिया है आप लोगों का रास्ता गलत ढंग से बंद किया गया है। जब सरकार ने आपके पुराने रास्ते को जो कि पूर्वजों के समय से हमारा है उसे बंद किया तो सरकार की नैतिक व राजनीतिक जिम्मेदारी बनती है कि वह उसके स्थान पर दूसरा रास्ता ग्रामीणों को दे। राकेश टिकैत ने कहा कि यदि सरकार जल्द ही ग्रामीणों को स्थायी रास्ता नहीं देती तो फसल कटाई के बाद देश-प्रदेश का किसान इस धरने पर अपने टै्रक्टरों के साथ पहुंचेगा और ये ट्रैक्टर सरकार के खिलाफ टैंकों का काम करेंगे और किसान ट्रैक्टरों की मदद से पुराना रास्ता खोल देंगे। उन्होंने कहा कि पूरी किसान यूनियन व किसान आपके साथ है। अगर सरकार नहीं मानी तो पूरे देश का किसान धरने पर एकजुट होने का काम करेगा। राकेश टिकैत ने धरने को संबोधित करते हुए कहा कि जिस प्रकार से ग्रामीणों को बिना कोई स्थायी सडक़ मार्ग दिए रातों-रात रोड को उखाडक़र बंद कर दिया गया। उससे यही साबित होता है कि यह सरकार तानाशाही से लोगों के हितों को कुचलने में लगी हुई है। इस सरकार की तानाशाही व मनमानी एक नमूना हम किसान आंदोलन के दौरान देख चुके हैं जब पूरे सवाल तक लाखों किसान सडक़ों पर थे और सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी लेकिन किसानों की एकता व दृढ़ निश्चय ने सरकार की चूलें हिला दी थीं और उसे तीन काले कानून वापिस लेने पड़े। जिस प्रकार से आप लोगों के साथ सरकार ने अन्याय व ज्यादती की है वह बेहद गलत है। विकास के नाम पर आम जनता की दु:ख लकलीफ व उनके हितों की अनदेखी नाजायज है। मेरा आप लोगों से यही कहना है कि यह तानाशाह सरकार इस तरह आपकी बात नहीं मानने वाली, आप अपना संघर्ष जारी रखें और अपना हक स्थायी रोड लेकर ही दम लें। इस संघर्ष में हम आपके साथ हैं। इस अवसर पर ओ.पी. कोहली ने कहा कि हमारी केवल एक ही मांग है कि हमें सबसे कम दूरी का चौड़ा सडक़ मार्ग दिया जाए ताकि इस रोड पर पडऩे वाले दर्जनों गांवों के लोगों का भविष्य बर्बाद होने से बच सके। सरकार हवाई अड्डे के विस्तार पर तो पूरी तेजी से काम कर रही है जिसके चलते यहां से पुलिस लाइन, गोल्फ कोर्स रोड, राणा माइनर व हाई वोल्टेज तार तक को हटाने की प्रक्रिया तेजी से चल रही है लेकिन सबसे जरूरी ग्रामीणों के स्थायी सडक़ मार्ग की फाइल सरकार ने ठंडे बस्ते में डाल रखी है। ग्रामीणों के हकों पर डाका डालकर हवाई अड्डे व विकास की बातें बेमानी हैं। उन्होंने कहा कि चाहे सरकार स्थायी रोड में कितनी ही देरी करे हम पीछे नहीं हटने वाले जब तक हमें सडक़ नहीं मिल जाती हमारा धरना जारी रहेगा। इस मौके पर मुख्य रूप से राकेश टिकैत के साथ प्रदेश अध्यक्ष रतन मान, जिला अध्यक्ष समीर कुण्डू, शमशेर नंबरदार, दिलबाग हुड्डा, पूर्व नगर परिषद चेयरमैन राजेंद्र सूरा, संजना सातरोड़, पूर्व चेयरमैन भूपेंद्र गंगवा, बलवान सुण्डा, सरपंच बिछपड़ी प्रदीप भयाण, दलबीर सरपंच जुगलान, प्रदीप पूर्व सरपंच धिकताना, बीरमती, चंद्रो देवी सरपंच, राजबाला, केलापति, अंजू देवी, जयपाल, पूर्व सरपंच उमेद, रघुवीर दुधिया, सुरेंद्र बजाज, सुरेश बरवाला, दीपक बुगाना, सुरेंद्र पंघाल, सुरेश मलिक व हजारों की संख्या में ग्रामीण महिला, पुरुष, बुजुर्ग, युवा बच्चे मौजूद रहे। Post navigation जान के दुश्मन बनते आवारा कुत्ते विष्णु प्रभाकर के लेखक बनने में हिसार का योगदान : अतुल प्रभाकर