क्या गुजरात के बीजेपी नेता पूर्णेश मोदी खुशबू सुंदर के खिलाफ भी मामला दर्ज करेंगे?
क्या अदानी के खिलाफ बोलने पर की गई त्वरित कार्रवाई
इंदिरा गांधी की सदस्यता रद्द होने पर कांग्रेस ने की थी दमदार वापसी, क्या राहुल दिखा पाएंगे वैसा दम?
क्या राहुल गांधी वापस ला पाएंगे 1980 का दौर?
दक्षिण में तब भी थी मजबूत, अब भी मजबूत है

अशोक कुमार कौशिक

हर चोर का सरनेम मोदी ही क्यों यह बयान ही राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द होने का कारण बना है मोदी सरनेम मानहानि केस में सूरत कोर्ट में सजा के ऐलान के बाद लोकसभा स्पीकर ने राहुल की सांसद ही खत्म कर दी। काफी दिनों से थक चल रही लोकसभा एकाएक एक्शन में आई और उसने आनन-फानन में आज सदस्यता को रद्द कर दिया। इस त्वरित कार्रवाई को लेकर गहरे षड्यंत्र की बू आ रही है। लोकसभा की वेबसाइट से राहुल का नाम हटा दिया गया है।

राहुल पर हुए इस एक्शन के बाद उन पर मानहानि का केस दर्ज कराने वाले भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी की पूरे देश में चर्चा है। लोग दबी जुबान से कह रहे हैं शायद गौतम अडानी के खिलाफ आवाज बुलंद करने के कारण भ्रष्टाचार के आरोप में घिरे प्रधानमंत्री ने अपने बचाव में दबाव से यह कार्रवाई करवाई है। कांग्रेस ने एक्शन की वैधानिकता पर भी सवाल उठाया है कि राष्ट्रपति चुनाव आयोग से विचार-विमर्श कर किसी सांसद को अयोग घोषित कर सकते हैं।

क्या मोदी खुशबू सुंदर के खिलाफ भी मामला दर्ज करेंगे?

एक्ट्रेस से नेता बनीं खुशबू सुंदर के ये ट्वीट उस वक्त के हैं जब वो कांग्रेस पार्टी में थीं। इन पुराने ट्वीट के स्क्रीनशॉट कांग्रेस पार्टी से जुड़े सोशल मीडिया अकाउंट्स के जरिए वायरल हो रहे हैं और पूछा जा रहा है क्या गुजरात के बीजेपी नेता पूर्णेश मोदी खुशबू सुंदर के खिलाफ भी मामला दर्ज करेंगे? खुशबू सुंदर इस वक्त राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य हैं।

क्या लिखा है इन पुराने ट्वीट में?

साल 2018 में जब खुशबू सुंदर कांग्रेस पार्टी में थीं उन्होंने ट्वीट किया था ‘ यहां मोदी वहां मोदी जहां देखो मोदी…लेकिन ये क्यों? हर मोदी के आगे भ्रष्टाचारी सरनेम लगा हुआ है

मोदी मतलब भ्रष्टाचार…। आइए इसके अर्थ को बदलें।’ गौरतलब है कि खुशबू सुंदर के ये पुराने ट्वीट राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द होने के फौरन बाद से वायरल होने लगे।

कौन है खुशबू सुंदर?

खुशबू सुंदर हाल ही में नेशनल कमिशन फॉर वुमन की सदस्य बनीं हैं. बीजेपी में शामिल होने से पहले वो कांग्रेस पार्टी में थीं. खुशबू साउथ की एक्ट्रेस हैं और उन्होंने अभिनय से पॉलिटिक्स की दुनिया में कदम रखा है। वह अपने हालिया इंटरव्यू की वजह से भी चर्चित रही हैं। इस इंटरव्यू में उन्होंने खुलासा किया था कि जब वह 8 साल की थी, पिता ने उनका यौन उत्पीड़न किया था। उन्होंने कहा था कि मेरे पिता मेरी मां को भी मारते-पिटते थे।

इस मानहानि केस में सूरत की कोर्ट ने गुरुवार दोपहर 12:30 बजे राहुल गांधी को 2 साल की सजा सुनाई थी हालांकि 27 मिनट बाद उन्हें जमानत मिल गई थी। जज ने उन्हें माफी मांगने के लिए कहा तब उन्होंने माफी मांगने से साफ इनकार कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने 11 जुलाई 2013 को अपने फैसले में कहा था कि कोई भी सांसद या विधायक निचली अदालत में दोषी करार दिए जाने की तारीख से ही संसद या विधानसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य घोषित हो जाएगा। कोर्ट ने लिली थॉमस बनाम भारत सरकार के केस में यह आदेश दिया था इससे पहले कोर्ट का आखरी फैसला आने तक विधायक या सांसद की सदस्यता खत्म नहीं करने का प्रावधान था।

उधर फैसले के 3 घंटे के बाद राहुल गांधी ने 3 घंटे के बाद ट्वीट कर लिखा मैं भारत की आवाज के लिए लड़ रहा हूं मैं हर कीमत चुकाने को तैयार हूं।

कानून विशेषज्ञों के मुताबिक लोकसभा सचिवालय ने राहुल गांधी की संसदीय सीट वायनाड को खाली घोषित कर दिया है। इलेक्शन कमिशन ऑफिस सीट पर इलेक्शन का ऐलान कर सकता है । दिल्ली में राहुल गांधी को सरकारी बंगला खाली करने को भी कहा जा सकता है।

अगर राहुल की सजा का फैसला ऊपरी अदालत भी बरकरार रखती है तो वह अगले 8 साल तक चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे। 2 साल की सजा पूरी करने के बाद वह 6 साल के लिए अयोग्य रहेंगे।

राहुल गांधी अब सूरत कोर्ट के फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती दे सकते हैं। राहुल गांधी की टीम अब सूरत कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चेंज करने जा रही है अगर सूरत कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील को वहां स्वीकार नहीं किया जाता है तो उसके बाद सुप्रीम कोर्ट में अपील की जाएगी। सूरत कोर्ट के फैसले के खिलाफ राहुल को अपील दायर करने के लिए 30 दिनों का समय दिया गया है।

2019 लोकसभा चुनाव से पहले कर्नाटक के कोलार में एक रैली के दौरान राहुल गांधी ने कहा था चोरों का सरनेम मोदी है सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है चाहे वह ललित मोदी हो या नीरव मोदी हो चाहे नरेंद्र मोदी।

इसके बाद सूरत पश्चिम के बीजेपी विधायक पूर्णेश मोदी ने राहुल के खिलाफ मानहानि का केस किया था उनका कहना था कि राहुल गांधी ने हमारे पूरे समाज को चोर कहा है और यह हमारे समाज की मानहानि है। इस केस की सुनवाई के दौरान राहुल गांधी तीन बार कोर्ट में पेश हुए थे आखिरी बार अक्टूबर 2021 की पेशी के दौरान उन्होंने खुद को निर्दोष बताया था।
उनके वकील के मुताबिक राहुल ने कहा कि बयान देते वक्त मेरी मंशा गलत नहीं थी मैंने तो भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई थी।

इसी मामले में राहुल गांधी को सूरत कोर्ट ने गुरुवार को दोषी करार दिया कोर्ट ने उन्हें 2 साल की सजा और 15000 का जुर्माना भी लगाया इसके कुछ देर बाद उसी कोर्ट ने उन्हें 30 दिन के लिए जमानत भी दे दी । मानहानि के मामले में 2 साल की जेल अधिकतम सजा है यानी इससे ज्यादा मामले में सजा नहीं दी जा सकती।

राहुल गांधी के वकील बाबू मांगूकिया ने बताया कि मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एच एच वर्मा की कोर्ट ने राहुल गांधी को आईपीसी की धारा 499 और 500 के तहत दोषी ठहराया था साथ ही उन्हें जमानत दे दी और 30 दिनों के लिए सजा को निलंबित कर दिया ताकि उन्हें हाई कोर्ट में अपील करने का मौका मिल सके।

याद रहे कि 2013 में जब सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था ।सांसद विधायक को 2 साल या उससे ज्यादा की सजा मिलने पर उसकी सदस्यता तत्काल प्रभाव से खत्म हो जाएगी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ मनमोहन सरकार एक अध्यादेश लाई थी, जिससे सुप्रीम कोर्ट का फैसला निष्प्रभावी हो जाए।

24 सितंबर 2013 को कांग्रेस सरकार ने अध्यादेश की खुबिया बताने के लिए एक प्रेस कांफ्रेंस बुलाई थी। इसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी ने पहुंचकर कहा था यह अध्यादेश बकवास है और इसे फाड़ कर फेंक देना चाहिए। उन्होंने अध्यादेश की कॉपी को फाड़ दिया था। इसके बाद याद आदेश वापस ले लिया गया था।

हालांकि, कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि अगर हाईकोर्ट उनकी सजा को निलंबित कर देती है, तो वह लोकसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य नहीं होंगे।

इंदिरा गांधी की सदस्यता रद्द होने पर कांग्रेस ने की थी दमदार वापसी

साल 1978 और तारीख थी 18 नवंबर,दिल्ली में बढ़ती ठंड के बीच तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने कर्नाटक के चिकमंगलूर से उपचुनाव जीतकर आई कांग्रेस नेता इंदिरा गांधी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव पेश कर दिया।

प्रस्ताव पर 7 दिन तक चली बहस के बाद इंदिरा गांधी की संसद सदस्यता रद्द कर दी गई। सदस्यता रद्द होने के बाद सदन से जब इंदिरा बाहर निकलीं तो कांग्रेसियों में जोश हाई था और नारे लगा रहे थे- एक शेरनी सौ लंगूर, चिकमंगलूर-चिकमंगलूर

ठीक 45 साल बाद सूरत कोर्ट के एक फैसले के बाद लोकसभा सचिवालय ने राहुल गांधी की सदस्यता रद्द कर दी है।लोकसभा के मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह के हस्ताक्षर से जारी लेटर में कहा गया है कि रिप्रजेंटेशन ऑफ पीपुल्स एक्ट-1951 के धारा 102 (1)(e) के तहत सदस्यता खत्म की जाती है।

राहुल को मानहानि केस में सूरत की एक अदालत ने गुरुवार को 2 साल की सजा सुनाई थी।राहुल की सदस्यता रद्द होने के बाद कांग्रेसी सड़कों पर है और डरो मत का नारे लगा रहे हैं।

राहुल की सदस्यता रद्द होने पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि लोकतंत्र बचाने के लिए हम जेल जाने को भी तैयार हैं। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने एक बयान में कहा है कि अभी इंदिरा के सभी सिपाही मर नहीं गए हैं।

*इंदिरा गांधी ने की थी दमदार वापसी

इमरजेंसी खत्म होने के बाद कांग्रेस के खिलाफ विपक्षी नेताओं ने एक मोर्चा बनाया था। मोर्चा का नेतृत्व जय प्रकाश नारायण कर रहे थे। 1977 के आम चुनाव में इंदिरा गांधी की करारी हार हुई। कांग्रेस पूरे देश में 154 सीटों पर सिमटकर रह गई। यूपी, बिहार, बंगाल और एमपी जैसे राज्यों में पार्टी का सूपड़ा साफ हो गया।

खुद इंदिरा गांधी रायबरेली सीट से चुनाव हार गईं। उनके कई मंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस की हार के बाद मोरारजी की सरकार बनी और इसके बाद शुरू हुआ गांधी परिवार पर कार्रवाई का दौर।

1978 में पहले संजय गांधी की गिरफ्तारी हुई और फिर इंदिरा गांधी को पुलिस ने पकड़ लिया।इसी बीच कर्नाटक के चिकमंगलूर सीट पर उपचुनाव की घोषणा हो गई।इंदिरा गांधी ने यहां से पर्चा दाखिल कर दिया।

इंदिरा के खिलाफ मैदान में उतरे थे दिग्गज समाजवादी नेता वीरेंद्र पाटिल। इंदिरा ने इस चुनाव में पाटिल को 70 हजार से ज्यादा वोटों से हराया और संसद पहुंचने में कामयाब रही। हालांकि, कुछ महीने बाद ही इंदिरा की सदस्यता रद्द कर दी गई।

इसके बाद इंदिरा पूरे देश का दौरा करने लगी। बिहार से लेकर गुजरात और दक्षिण में इंदिरा की जनसभा ने कांग्रेस में जान फूंक दिया। 1980 में आंतरिक टूट के बाद जनता पार्टी की सरकार गिर गई और फिर आम चुनाव की घोषणा हुई।

इंदिरा के सामने जगजीवन राम और चौधरी चरण सिंह जैसे दिग्गज नेताओं की चुनौती थी, लेकिन इंदिरा की राजनीतिक लड़ाई ने कांग्रेस की वापसी करा दी।

1980 में कांग्रेस ने 529 में 363 सीटों पर बड़ी जीत दर्ज की। चौधरी चरण सिंह की पार्टी को 41 और जनता पार्टी को 31 सीटों पर जीत मिली।

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