किसानों के कृषि ऋण को माफ करने, कृषि ऋण के कारण कितने किसानों ने आत्महत्या की और फसलों के बारे में एमएसपी पर कोई कानून सरकार द्वारा लाया जाएगा या नहीं जैसे तीन स्पलीमैंटरी प्रश्र भी पूछे
शराब घोटाले की एसआईटी रिपोर्ट पर मंजूर किए गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव संख्या 13 पर कहा
आबकारी मंत्री द्वारा ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर सदन में दिए गए जवाब झूठ का पुलिंदा: अभय सिंह चौटाला
शराब घोटाले की जांच के लिए एसआईटी, विजिलेंस और चीफ सेक्रेट्री की गठित की गई कमेटियों की रिपोर्ट सार्वजनिक क्यों नहीं की गई?
इन सबके अलावा कैग की रिपोर्ट भी आई है जिसमें साफ-साफ लिखा है कि प्रदेश के राजस्व को 106.76 करोड़ रूपए की चपत लगाई गई है
सवाल – उन सभी रिपोर्टों में ऐसी क्या चीज थी जिसको छुपाया जा रहा है?

चंडीगढ़, 17 मार्च: इनेलो के प्रधान महासचिव एवं ऐलनाबाद के विधायक अभय सिंह चौटाला ने शुक्रवार को बजट सत्र के प्रश्र काल के दौरान वर्तमान में राज्यों के किसानों पर बैंकों का कितना कृषि ऋण बकाया है जैसा महत्वपूर्ण मुद्दा सदन में उठाया। साथ ही किसानों के कृषि ऋण को माफ करने, कृषि ऋण के कारण कितने किसानों ने आत्महत्या की और फसलों के बारे में एमएसपी पर कोई कानून सरकार द्वारा लाया जाएगा या नहीं जैसे तीन स्पलीमैंटरी प्रश्र भी पूछे। उन्होंने स्पीकर द्वारा स्पलीमैंटरी प्रश्रों का जवाब 15 दिन में दिए जाने के आदेश और स्पीकर द्वारा सरकार का पक्ष लेने पर गहरी नाराजगी जाहिर की और सदन से वॉक आऊट किया।

इनेलो नेता ने स्पलीमैंटरी प्रश्र पूछते हुए कहा कि मामला किसानों द्वारा बैंकों से लिए गए ऋण के बारे में है, कम से कम इसका पूरा विवरण तो सरकार द्वारा देना चाहिए। वहीं, सरकार द्वारा बैंकों से ऋण लेने वाले किसानों की संख्या भी बहुत कम बताई है जबकि एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश में लगभग 19 लाख किसान परिवार हैं। उसमेें से वर्ष 2014 से जो कर्ज राशि एक आदमी 99 हजार 212 रूपए आती है। 2019 तक पांच वर्षों में यह कर्ज की यह राशि दुगुनी बढ़ कर 1 लाख 82 हजार 922 रूपए हो गई। उन्होंने किसानों पर बैंकों के कर्जे का खुलासा करते हुए कहा कि असल में यह कर्ज की राशि 78 हजार 311 करोड़ रूपए है।

अभय सिंह चौटाला ने भाजपा सरकार पर उनके द्वारा दिए गए प्रश्र पर छेड़छाड़ के गंभीर आरोप जड़ते हुए कहा कि उन्होंने जो किसानों पर कृषि ऋण के ब्योरे के बारे में प्रश्र पूछा था वह कृषि मंत्री से पूछा था जबकि मुख्यमंत्री ने एक बार फिर से सदन में झूठ बोला कि यह प्रश्र सहकारिता मंत्री से पूछा गया है। इससे पहले भी एक साजिश के तहत उनके प्रश्र के साथ छेड़छाड़ कर विध्वंसक शब्द को जोड़ दिया गया था। सहकारिता मंत्री ने विधानसभा में सिर्फ सहकारिता बैंक के आंकड़े प्रस्तुत किए जबकि हमने कृषि मंत्री से सभी बैंकों के आंकड़े मांगे थे। भाजपा सरकार ने पूछे गए सवाल से बचने के लिए हमेशा की तरह सदन और प्रदेश की जनता को गुमराह किया है। स्पीकर ने अभय सिंह के आरोपों के खिलाफ जांच करने का आश्वासन दिया।

बजट सत्र के पहले चरण में स्पीकर द्वारा दो दिन के लिए उन्हें नेम करने पर हाई कोर्ट द्वारा विधान सभा को नोटिस जारी करने के खिलाफ सदन में प्रस्ताव पारित करने का पुरजोर विरोध किया और कहा कि उन्हें जो दो दिनों के लिए नेम किया गया था वो गलत था इसलिए वो हाई कोर्ट गए थे।

इनेलो द्वारा शराब घोटाले की एसआईटी रिपोर्ट पर मंजूर किए गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव संख्या 13 पर बोलते हुए कहा कि पहले आप ने कहा था कि इसका जवाब गृह मंत्री देंगे और वो उस दिन उपस्थित नहीं थे, आज आबकारी मंत्री इसका जवाब दे रहे हैं जबकि यही आबकारी मंत्री उस दिन सदन में मौजूद थे तब इन्होंने इसका जवाब क्यों नहीं दिया?

उन्होंने आबकारी मंत्री द्वारा एसआईटी रिपोर्ट पर मंजूर किए गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर सदन में दिए गए जवाबों को झूठ का पुलिंदा बताया। कोरोना महामारी के दौरान व लाकॅडाउन के समय प्रदेश में शराब घोटाले की जांच के लिए गठित की गई एसआईटी की रिपोर्ट का स्टेट्स मांगा था, उस रिपोर्ट को अब तक सार्वजनिक क्यों नहीं किया गया। उसके बाद विजिलेंस की एक टीम का गठन किया गया और विजिलेंस की टीम ने भी अपनी रिपोर्ट भी मुख्यमंत्री को सौंप दी थी। उस रिपोर्ट को भी अब तक सार्वजनिक नहीं किया गया है। तीसरा, आपने चीफ सेक्रेट्री की एक सदस्यीय कमेटी बनाई जिसकी रिपोर्ट भी आज तक नहीं आई।

इनेलो नेता ने तीनों कमेटियों पर सवालिया निशान खड़ा करते हुए कहा कि अगर सरकार ने कोई जांच कमेटी बिठाई तो उसकी रिपोर्ट भी सामने आनी चाहिए। लेकिन मंत्री द्वारा दिए गए जवाब में पूछे गए इन सब प्रश्रों का कहीं कोई जिक्र तक नहीं किया गया। उन सभी रिपोर्टों में ऐसी क्या चीज थी जिसको छुपाया जा रहा है।

उन्होंने आगे कहा कि विभाग के मंत्री द्वारा दिए गए उत्तर के अनुसार एक उप-निरीक्षक पर एफआईआर दर्ज की गई, इसके अलावा 7 एईटीओ व 15 आबकारी निरीक्षक को चार्जशीट किया गया जिन्होंने इस अवधि के दौरान परमिट स्वीकृत किए थे जबकि सभी डिस्टलरी और शराब की दुकानों को बंद कर दिया गया था। उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की गई, उसका भी कहीं जिक्र नहीं किया गया है।

एसईटी द्वारा की गई सिफारिशों के मध्यनजर विभाग ने शराब की अवैध बिक्री से होने वाले राजस्व के नुकसान को रोकने के लिए कई कदम उठाने की बात कही गई है परंतु अभी तक यह खुलासा भी नहीं किया गया है। सरकार यह बताए कि 2020 के बाद अवैध बिक्री से होने वाले राजस्व के नुकसान को वर्षवार कितना रोक पाए।

इन सबके अलावा कैग की रिपोर्ट भी आई है जिसमें साफ-साफ लिखा है कि प्रदेश के राजस्व को 106.76 करोड़ रूपए की चपत लगाई गई है। मंत्री के जवाब में कैमरों का जिक्र किया गया है, जब अवैध शराब डिस्टलरी से निकाली जा रही थी उस समय जो कैमरों के माध्यम से निगरानी की जा रही थी उन कैमरों की रिपोर्ट कहां है?