गुडग़ांव, 17 मार्च (अशोक):  बिजली चोरी के एक मामले में निचली अदालत द्वारा उपभोक्ता के पक्ष में दिए गए फैसले को बिजली निगम ने जिला एवं सत्र न्यायालय में चुनौती दी थी। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश डा. डीएन भारद्वाज की अदालत ने अपील पर सुनवाई करते हुए बिजली चोरी के आरोप को गलत पाते हुए निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखते हुए बिजली निगम को आदेश दिए हैं कि उपभोक्ता द्वारा जमा कराई गई राशि को 12 प्रतिशत दर से उपभोक्ता को वापिस की जाए।

उपभोक्ता के अधिवक्ता क्षितिज मेहता से प्राप्त जानकारी के अनुसार आईआरडब्ल्यूओ क्षेत्र की स्नेहलता दत्ता के बिजली के बिल जुलाई 2015 से नियमित रुप से नहीं आ रहे थे। बिल में गड़बड़ थी, जिसकी शिकायत उसने विभाग से भी की थी। लेकिन विभाग ने कोई ध्यान नहीं दिया। कहीं कनेक्शन न कट जाए, इस डर से उसने बिजली के बिल में आइ्र अतिरिक्त धनराशि को भी जमा करा दिया था। बिजली विभाग ने 2016 की 29 अप्रैल को बिजली का मीटर उतारकर लैब में चैक करने के लिए भेज दिया था। उपभोक्ता पर आरोप लगाया गया था कि जांच में उसका मीटर टैंपर्ड पाया गया है और उस पर 34 हजार 103 रुपए का जुर्माना लगा दिया था। उपभोक्ता ने बिजली निगम के आरोप को गलत बताया था। फिर भी परेशानी से बचने के लिए उसने
उक्त धनराशि जमा कर बिजली निगम के खिलाफ अदालत में केस दायर कर दिया था।

सिविल जज मनीष कुमार की अदालत ने वर्ष 2019 की 18 जनवरी को मामले की सुनवाई करते हुए बिजली निगम के द्वारा लगाए गए बिजली चोरी के आरोप को गलत करार दिया था और निगम को आदेश दिए थे कि जमा कराई गइ धनराशि को 12
प्रतिशत बार्षिक ब्याज दर से वापिस किया जाए। बिजली निगम ने निचली अदालत के फैसले को जिला एवं सत्र न्यायालय में अपील के माध्यम से चुनौती दे दी थी। अदालत ने अब इस मामले की सुनवाई करते हुए बिजली निगम की अपील को खारिज कर दिया है और निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखते हुए आदेश दिए हैं कि उपभोक्ता द्वारा जमा कराई गई धनराशि को 12 प्रतिशत ब्याज दर से वापिस की जाए। अधिवक्ता का कहना है कि उपभोक्ता बिजली निगम के खिलाफ ह्रासमेंट का केस डालने की तैयारी कर रही है।

error: Content is protected !!