कमलेश भारतीय

राहुल गांधी कैंब्रिज में व्याख्यान देने गये और कहा कि भाजपा की केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुस्लिमों को भारत का नहीं मानते , बल्कि दूसरे दर्जे का नागरिक मानते हैं । इसी तरह अल्पसंख्यक समाज पर भी चोट की । राहुल ने कहा कि मैं उनकी इस नीतियों से प्रभावित नहीं हो सकता । वे देश को बांट रहे हैं । वे ऐसा विचार थोप रहे हैं जिसे भारत कभी स्वीकार नहीं कर सकता । ये सही नहीं कर रहे । आप समाज पर इस तरह विचार थोप नहीं सकते ! तभी तो भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल कहते रहे कि नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान खोल रहा हूं ।

इस व्याख्यान की अब भाजपा ही नहीं शिरोमणि अकाली दल की ओर से कटु आलोचना हो रही है । सबसे पहले सूचना व प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर सामने आये और कहा कि इधर तीन तीन राज्यों में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हुआ और उधर राहुल देश को बदनाम करने विदेश पहुंच गये । विदेश की धरती पर अपने देश को बदनाम कर रहे हैं । इसी तरह शिरोमणि अकाली दल के परमिंदर सिंह ढींडसा ने भी कहा कि सिखों का कातिल आज सिखों का मुनसिब बन रहा है ! देखो ! वही कांग्रेस है जिसने दिल्ली में कैसे गले में टायर डाल कर बुरी तरह मारा था और यह काम सज्जनकुमार और जगदीश टाइटलर के इशारे पर हुआ था लेकिन कांग्रेस है कि अब भी इनको महत्त्व दे रही है ।

वैसे कांग्रेस ने सिखों को मनाने और लुभाने में कोई कमी नहीं छोड़ी । खुद राहुल गांधी भी स्वर्ण मंदिर गये और इस सबके लिए दुख व्यक्त कर चुके हैं । जब कांग्रेस की सरकार आई तब मनमोहन सिंह को दो दो बार प्रधानमंत्री बनाकर ही शायद इसी भूल को स्वीकार करते अप्रत्यक्ष माफी मांगी ! पंजाब की तेरह लोकसभा सीटों में से बारह सीटें कांग्रेस को दे दीं ! इस तरह कोशिश सफल भी रही और फिर कैप्टन अमरेंद्र सिंह की सरकार भी बनाई । जहां तक भाजपा की बात है तो गुजरात के गोधरा कांड का भी बहुत चर्चा रहा लेकिन अब क्लीन चिट मिल चुकी है । इस कांड के बावजूद भाजपा को सफलता मिल रही है । क्या ऐसी भयावह स्थितियां सदैव जख्मों की तरह याद रहेंगीं या कोई समाज इन्हें माफ करने की दरियादिली दिखायेगा ? शायद नहीं । ये जख्म बहुत गहरे हैं और कांग्रेस को टाइटलर या सज्जन को कोई तरजीह नहीं देनी चाहिए ! ये जख्म ऐसे हैं जो हाथ लगाने मात्र से रिसने लगते हैं ! शिव बटालवी की पंक्तियाँ याद आ गयीं :

एह फट हन मेरे इश्के दे
एहनां दी की दवा करिये
एह हत्थ लायां बी दुखदे ने !
एह मरहम लायां बी दुखदे ने !

इनको याद करते ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं । साम्प्रदायिक सद्भाव के लिए जितनी कोशीश की जाये कम है !
-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।9416047075

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