-कमलेश भारतीय पेंटिंग करती रहूं और अपने काम से लोगों तक पहुंच पाऊं , यही ख्वाहिश है मेरी । यह कहना है मूल रूप से झारखंड के गोड्ढा क्षेत्र निवासी और आजकल दिल्ली रह रहीं पेंटर आर्टिस्ट, अनुवादक और कवयित्री प्रीतिमा वत्स का । वे अभी डायलॉग संस्था की गोष्ठी में दिल्ली में मिलीं और कुछ जानने के लिये बातचीत की । वे अपने साहित्यकार पति देव प्रकाश चौधरी के साथ इस गोष्ठी में सहयोग कर रही थीं । -कितनी शिक्षा ?-एम ए फाइन आर्ट्स व इकोनॉमिक्स में । इग्नू से ग्रामीण विकास डिप्लोमा ! -पेटिंग कब से बनाने लगीं ?-बचपन से ही । जो कागज बचते उनकी मोटी काॅपी बना कर आड़ी तिरछी कृतियां बनाती । कोई अच्छी बन जाती तो घर की किसी दीवार पर चिपका देती । -तो रोका नहीं ?-मां थोड़ी सख्त थी पर पापा पूरा स्पोर्ट करते । मां कहती कि ठीक है अच्छी बनाई है लेकिन इसे फाइल में रख संभाल के । दीवार क्यों खराब कर रही है ! -साहित्यकार पति देव प्रकाश चौधरी ने भी नहीं रोका ?-हमारी पेटिंग ने ही तो हमें मिलाया । वे हर कदम पर सहयोग देते हैं और उनके सहयोग के बिना मैं इतना कहां कर पाती ! -कोई पुरस्कार ?-आल इंडिया पीपुल अवाॅर्ड, भागलपुर की परिधि संस्था से अवाॅर्ड! कल्चरल मिनिस्ट्री से जूनियर व सीनियर फैलोशिप ! और भी अनेक । कैसी पेटिंग बनाती हैं आप ?-लोक कला पर केंद्रित हैं मेरी पेंटिंग्स ! -कौन हैं आपकी प्रेरणा ? प्रसिद्ध पेटर आर्टिस्ट अर्पणा कौर । जब भी कुछ नया बनाती हूं तो इनको दिखाने दौड़ पड़ती हूं ! बहुत कुछ सीखा है इनसे ।-पेंटिंग के अलावा क्या करती हैं ? -अनुवाद । अजीत कौर की पुस्तक इधर उधर से का अनुवाद कार्य किया । लोकरंग इंडिया ब्लाॅग लिखती हूं । कवितायें भी कभी कभी ! कहानियां भी लिखी हैं । परिवार ?-पति देव प्रकाश चौधरी साहित्यकार व पत्रकार । एक बेटा अनहद जो तमिलनाडु में डिजाइनिंग का कोर्स कर रहा है । -क्या लक्ष्य ?-बस । पेंटिंग करती रहूं और अपने काम से लोगों में जगह बना पाऊं!हमारी शुभकामनाएं प्रीतिमा वत्स को ! Post navigation ग्रामीणों की परेशानी को देखते हुए बंद किए गए अस्थायी सडक़ मार्ग को पुन: खोले सरकार : ओ.पी. कोहली राहुल के व्याख्यान पर बबाल,,,