ग्रामीणों की परेशानी को देखते हुए बंद किए गए अस्थायी सडक़ मार्ग को पुन: खोले सरकार : ओ.पी. कोहली

– स्थायी रोड के लिए एनओसी में देरी के चलते ग्रामीणों की समस्या का हल करे सरकार : ओ.पी. कोहली –
– ग्रामीणों के धरने को हुए 25 दिन, रोजाना समर्थन देने भारी संख्या में पहुंच रहे लोग –

हिसार 3 मार्च : बरवाला रोड बचाओ संघर्ष समिति के तत्वावधान में गांव तलवंडी राणा के बाई पास ग्रामीणों का धरना आज 25वें दिन भी जारी रहा। धरने पर भारी संख्या में ग्रामीण जुटे। शुक्रवार को लोक गायक राजबाला ने देशभक्ति के गीत प्रस्तुत कर धरना स्थल पर उपस्थित लोगों में जोश भर दिया। धरने पर महिलाओं की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। आज धरने पर आप नेता दलबीर किरमारा अपने साथियों के साथ पहुंचे और उन्होंने ग्रामीणों की अनदेखी के लिए सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों को रोड बंद हो जाने से भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है लेकिन प्रदेश सरकार उनकी मुश्किलों की ओर से आंखें मूंदे बैठी है।

धरने की अध्यक्षता कर रहे समिति के प्रधान एडवोकेट ओ.पी. कोहली ने दलबीर किरमारा से स्थायी रोड संबंधी जानकारी साझा की। कोहली ने बताया कि स्थायी रोड की फाइल एनओसी के लिए गई है जिसमें समय लग सकता है। कोहली ने सरकार से मांग की कि जब तक स्थायी रोड नहीं बन जाता तब तक ग्रामीणों को पुराना सडक़ मार्ग खोल कर दिया जाए क्योंकि यह रोड बंद हो जाने से आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं। आज भी गांव का एक दूध विक्रेता दुर्घटनाग्रस्त हो गया जिसे काफी चोट आई हैं। वहीं गांव की छात्राएं तथा रोजमर्रा के लिए शहर जाने वाले लोगों को भारी परेशानियों से गुजरकर शहर तक पहुंचना पड़ रहा है। इसलिए हमारी सरकार से मांग है कि जब स्थायी रोड नहीं बन जाता ग्रामीणों को पुराना सडक़ मार्ग खोलकर दिया जाए ताकि उनकी परेशानियों का हल हो सके।

कोहली ने बताया कि धरने पर निरंतर भीड़ बढ़ती जा रही है और धरने को समर्थन देने रोजाना राजनीतिक, सामाजिक, संगठनों, खाप, पंचायत मैंबर तथा अन्य मौजीज व्यक्ति पहुंच रहे हैं। सरकार ग्रामीणों की परेशानियों को देखते हुए तुरंत स्थायी रोड का समाधान करे और ग्रामीणों को अस्थायी सडक़ मार्ग खोलकर दे।

आज धरने पर आप नेता दलबीर किरमारा के अलावा, लोक गायक राजबाला, बहबलपुर के पूर्व सरपंच धर्मपाल बागड़ी, निहाल सिंह पूर्व सरपंच, जोगेंद्र सिंह लाडवा, बलवान सिंह सूण्डा धिकताना सहित अनेक संगठनों के प्रतिनिध ग्रामीण पुरुष, महिलाएं, युवा, बुजुर्ग व बच्चे मौजूद रहे।

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