-कमलेश भारतीय पूर्वोत्तर राज्यों नगालैंड और त्रिपुरा में एक बार फिर भाजपा विजयी रही । आदिवासियों की बहुलता और ईसाई अल्पसंख्यक आबादी वाले पूर्वोत्तर राज्यों में भाजपा की यह जीत मायने रखती है और कांग्रेस के लिये असफलता भरा एक और चुनाव ! कांग्रेस ही नहीं वामपंथ का एक और राज्य भी हाथ से निकल गया । नयी पार्टी टिपरा मोठा ने भी तेरह सीटें जीत लीं । कांग्रेस और वामपंथी दलों को निराशा हाथ लगी । कांग्रेस और वामपंथ की दोस्ती को नकार दिया । इधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुटकी ली है कि विरोधी तो कह रहे हैं मर जा मोदी और जनता कह रही है कि मत जा मोदी ! यह बड़बोलापन नहीं है । यह भाजपा का चुनाव प्रबंधन बोल रहा है । जिन पूर्वोत्तर राज्यों में कभी कोई भाजपा का नामलेवा नहीं था , उनमें सरकारें बनना बड़ी चेतावनी है विपक्ष के लिये जो सन् 2024 में भाजपा को सत्ता से बाहर करने के सपने देख रहा है । जब भाजपा एक साल पहले से चुनाव प्रबंधन में लग जाती है तब तक कांग्रेस अपने में ही उलझी रहती है । अभी देखिये हरियाणा में फिर वही संगठन बनाने के लिये रस्साकशी और बयानबाजी हो रही है । सैलजा कह रही है कि संगठन न बनने पर हम सब बराबर के दोषी हैं जबकि नये प्रदेशाध्यक्ष उदयभान कह रहे हैं कि बस संगठन की सूची आने ही वाली है ! यही हाल अन्य राज्यों में भी है । पंजाब में सरकार गवां कर भी कांग्रेस में गुटबाजी खत्म नहीं हुई । राजस्थान में भी गहलोत और सचिन पायलट में रस्साकशी चलती रहती है । दिल्ली में कांग्रेस के पेर नहीं लग रहे ! ऐसे में सवाल उठता है कि भारत जोड़ो यात्रा से क्या कोई उम्मीद की जा सकती है ? राहुल गांधी की पैंतीस सौ किलोमीटर की यात्रा का क्या कोई असर देखने को मिलेगा ? हाथ जोड़ो यात्रा से पहले नेता आपस में तो हाथ जोड़कर दिखायें ! कहां तक और कब तक आपस में ही लड़ाई करते रहोगे ? अब भी साल जाओ , नहीं तो दास्तान भी न रहेगी दास्तानों में !-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी । 9416047075 Post navigation युवाओं के व्यक्तित्व विकास में भूमिका निभा सकूं : ज्योति राज ग्रामीणों की परेशानी को देखते हुए बंद किए गए अस्थायी सडक़ मार्ग को पुन: खोले सरकार : ओ.पी. कोहली