-कमलेश भारतीय फिल्मों के ट्रेजेडी किंग तो दिलीप कुमार यानी यूसुफ खान हैं लेकिन आप जानते हैं कि हरियाणा की राजनीति के ट्रेजेडी किंग कौन हैं ? वो हैं चौ बीरेन्द्र सिंह जो मुख्यमंत्री बनने का सपना देखते देखते उम्रदराज हो गये और खुल कर कहते भी रहे कि मैं राजनीति में दरियां बिछाने नहीं आया लेकिन चाहे कांग्रेस में रहे या फिर भाजपा में मुख्यमंत्री पद तक पहुंचते पहुंचते ऐसे रह गये जैसे -देयर इज मेनी ए स्लिप्स विटवीन दी कप एंड द लिप्स ! यानी हाथ कुर्सी तक पहुंचते पहुंचते रह गये ! एक बार तो केंद्रीय मंत्री बनते बनते रह गये थे ! इसके बावजूद चौ बीरेन्द्र सिंह अब कह रहे हैं कि राजनीति में जो मिल गया , उससे संतुष्ट हूं लेकिन मुख्यंत्री न बनने की टीस अभी दिल में है ! इसीलिये तो इनके साथी उचाना में गरजे कि इनको कम समझने की भूल बहुत महंगी पड़ेगी भाजपा को । अपने साथियों की बातों के जवाब में चौ बीरेन्द्र सिंह ने कहा कि उनकी राजनीति में कितने ही साथी बने , कितने समय के साथ राह बदल गये कि जैसे मुझे पहचानते ही नहीं ! मेरे ऊपर राजनीतिक दृष्टिकोण से फैसला लेने का दवाब है साथियों का ! फैसला आपके पक्ष में होगा लेकिन घोषणा 23 मार्च को जींद के सम्मेलन में ! इसमें क्या राज है ? क्या नया राजनीतिक दल बनायेंगे ? अभी वे कह रहे हैं कि मैं भी कुछ नहीं जानता ! वैसे आजकल चौ बीरेन्द्र सिंह ऐसे भाषण दे रहे हैं जैसे कोई संत बोल रहा हो । वे कहते हैं कि हमें अंधविश्वास के खिलाफ लड़ाई लड़नी है जो हमें स्वामी दयानंद ने राह दिखाई थी । अंधविश्वास को तोड़ने की जरूरत है इस देश में ! हम अंधविश्वास के गुलाम कब तक बने रहेंगे ? इस पड़ाव तक आकर चौ बीरेन्द्र सिंह ने अपने तीन प्रेरणा स्त्रोत भी जाहिर कर दिये हैं -शहीद भगत सिंह , बाबा अम्बेडकर और छोटू राम । उनका कहना है कि शहीद भगत सिंह कुर्बानी के प्रतीक हैं तो बाबा अम्बेडकर कमेरे वर्ग की बात करते हैं और मेरे नाना सर छोटूराम ने किसानों की बदहाली के खिलाफ आवाज उठाई तो तीन ‘ क’ मेरे संघर्ष के प्रतीक हैं । मैं इनसे प्रेरणा लेकर राजनीति द्वारा गुमराह किये लोगों के लिये आंदोलन चलाऊंगा, जिसकी घोषणा 23 मार्च को होगी । यह भी स्पष्ट कर रहे हैं कि जींद का यह सम्मेलन न किसी राजनीतिक दल के पक्ष में और न ही विरोध में होगा । मुझे ईमानदारी की राजनिति करनी है जिसकी प्रेरणा अपने नाना सर छोटूराम से मिली । मेरे भी मन में कभी कभी आई कि राजनीति में अवसर मिला है क्यों न चार पैसे बना लूं लेकिन नाना छोटूराम का चेहरा मेरी आखों के सामने आता रहा और मैं उस पथ पर कभी न चला !इस उम्र में यह चाहते हैं बीरेन्द्र सिंह कि जिन युवाओं में कुछ आग हैउनको दिशा दिखा सकूं और जो साथी सदैव उनके साथ रहे उनका कुछ कर्ज उतार सकूं ! युवाओं को आगे बढ़ाने का काम कर सकूं ! अपने बारे में खुद ही कहा कि मेरी एक बुरी आदत है कि मैं पेट में छिपा कर सिर्फ मुंह से बात नहीं कह सकता । मैं भी चाहता हूं कि कन्या भ्रूण हत्या का विरोध किया जाये ! बेटी बचाई और पढ़ाई जाये ! कौशल विकास से भी बेरोजगारी ही बढ़ रही है । गरीबी बढ़ती जा रही है और गरीबों को बीपीएल कार्डों के झांसे में उलझा कर अपने उल्लू सीधे किये जा रहे हैं ! बुढ़ापा पेंशन भी टुकड़े फेंकने के समान है । उन्होंने कहा कि हम पुरानी समस्याओं के नये समाधान खोजने चले हैं । अब इस बीच यह भी कहा गया कि इस समय हरियाणा में दो ही राजनेता हैं जिनकी बात सुनी जा रही है , चाहे वे मुख्यमंत्री नहीं हैं- एक ओमप्रकाश चौटाला और दूसरे चौ बीरेन्द्र सिंह ! चौ बीरेन्द्र सिंह ने जींद के सम्मेलन को नाम दिया है -मेरी आवाज सुनो ! तो क्या उनके दिल की आवाज सुनेगी जनता या कोई राजनीतिक दल ? क्या हरियाणा के ट्रेजेडी किंग की कहानी का द एंड सुखांत होगा ?मेरी आवाज सुनोमैंने एक सपना दिल में दबा रखा है !-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी । 9416047075 Post navigation रोष स्वरूप काले कपड़े पहनकर धरना स्थल पर पहुंची महिलाएं, धरने पर लहराए काले झंडे बैंगलोर एयर इंडिया शो में निकाय मंत्री ने की अपनी भागीदारी