पाले से खराब हुई थी फसल, फलियों में नहीं दाने, अब केवल मुआवजे की आस

भारत सारथी/ कौशिक

नारनौल। क्षेत्र में दिसम्बर व जनवरी माह में पड़े भंयकर पाले का फसलों में अब असर देखने को मिल रहा है। सरसों की फसल के अंदर फलियों में दाने नहीं बचे हैं। जिससे परेशान किसानों ने अब खड़ी फसल पर ट्रैक्टर चलाना शुरू कर दिया है। किसानों का कहना है कि अब उन्हें केवल सरकार से ही आस है अगर सरकार ने भी मुआवजा नहीं दिया तो क्षेत्र का किसान पूरी तरह बर्बाद हो जाएगा।

दिसंबर व जनवरी माह में लगातार क्षेत्र में भयंकर पाला जमा। एक पखवाड़े के अंदर अनेक बार तापमान शून्य के आसपास रहा। फलस्वरुप क्षेत्र में सबसे संवेदनशील फसल सरसों तथा सब्जी की फसलों को जबरदस्त नुकसान हुआ। पाले का सबसे ज्यादा असर नांगल चौधरी, गोद बलाहा, नारनौल, महेंद्रगढ़, सतनाली, सीहमा तथा कांटी क्षेत्र में खड़ी सरसों की फसलों को हुआ। अधिकांश खेतों में 80% से ज्यादा का नुकसान देखने को मिल रहा है। खेतों में सिंचित पानी की बेहद कमी व लगातार तापमान में गिरावट ने सरसों को अपनी चपेट में ले लिया।

अब इसी से दुखी किसानों ने अपनी फसलों पर ट्रैक्टर भी चलाना शुरू कर दिया है। क्योंकि फसल कटाई और निकलवाई और सस्ती नहीं रह गई है। कटाई और निकलवाई में जितना खर्चा आएगा उतने की पैदावार भी नहीं मिल पाएगी।

नांगल चौधरी क्षेत्र के नया गांव में किसान महावीर ने शनिवार को अपनी खड़ी सरसों की हरी फसल पर आखिर ट्रैक्टर चला दिया। किसान का कहना है कि उसके खेतों में 80% से अधिक पाले की मार है। क्षेत्र में पड़े भंयकर पाले ने उनको कहीं का नहीं छोड़ा। इसी से परेशान हो उन्होंने अपनी खड़ी फसल में ट्रैक्टर चला दिया । अब कम से कम यह खत्म हुई फसल थोड़ा-बहुत खाद का काम तो करेगी। उसने कहा कि अब तो केवल सरकार से सहायता पर ही आशा है कि आखिर वह किसान की फसल से टूटी कमर राहत दिलाए।

किसानों का कहना है कि अगर सरकार मुआवजा देती है तो किसान का बचाव हो जाएगा। अन्यथा मंहगे बीज, खाद व जुताई के खर्चे से पीड़ित किसान बर्बाद हो जाएगा। किसानों की मांग है कि सरकार शीघ्र से शीघ्र उन्हें राहत प्रदान करें।

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